हरियाणा विधानसभा चुनाव : क्या बीजेपी में मनोहर लाल खट्टर के दिन लद गए ?

क्यों कहलाते हैं पोर्टल वाला मुख्यमंत्री

जाटलैंड से अहीरवाल तक कोई मनोहर लाल को अपने प्रचार में बुलाना नहीं चाहता

कैथल में भाजपा कार्यकर्ता के सेल्फी लेने से नाराज हुए पूर्व सीएम मनोहर लाल,रोका

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में विधानसभा चुनाव प्रचार चरम पर है। पिछले 9 साल सीएम की गद्दी पर रहा व्यक्ति न पीएम की सभाओं में दिख रहा है, न पोस्टरों में। जाटलैंड से लेकर अहीरवाल तक उनको अनदेखा किया जा रहा है। विधानसभा चुनाव में कोई प्रत्याशी इस भाजपा नेता को अपने प्रचार के लिए बुलाना नहीं चाहता। बात हो रही है पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की। जिनकी हालत यह हो गई है कि पीएम नरेंद्र मोदी हरियाणा में पिछले दिनों 2 बार आए और दोनों ही बार खट्टर को उनकी सभा में नहीं देखा गया। यही नहीं गृह मंत्री अमित शाह की सभाओं से भी वो नदारद रहे। भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से दूर होती नजर आ रही है। इसका कारण यह है कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए जो जनता में नाराजगी थी, उससे पार्टी चुनाव में बचना चाहती है।

जाहिर है कि सवाल तो उठेंगे। ये वही खट्टर हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास दोस्त हुआ करते थे। यही कारण था कि 2014 में जब हरियाणा में भारी बहुमत से बीजेपी की सरकार बनी तो सीएम के रूप में अचानक वो ध्रुवतारे की तरह उगे और फिर हरियाणा की राजनीति में छा गए। उनके कार्यकाल में उन पर भ्रष्टाचार के तो आरोप नहीं लगे पर कई बार उनके खिलाफ असंतोष गहराया और ऐसा लगा कि अब कुर्सी गई। पर हर बार वो किसी बाजीगर की तरह अपनी कुर्सी बचा लिया करते थे। इसके पीछे पीएम का विश्वासपात्र होना ही बताया जाता था। फिर अचानक क्या हुआ कि उन्हें पीएम मोदी उनसे दूरी बनाने लगे हैं। क्या बीजेपी में उनके खराब दिनों की शुरूआत होने वाली है, या सिर्फ एक रणनीति के तहत पार्टी उनसे कुछ दिनों मसलन चुनावों तक के लिए दूरी बना रही है।

खट्टर के बयान बन रहे समस्या

मनोहर लाल खट्टर के कुछ बयान भी चुनाव में बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बने हैं। उन्होंने शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को लेकर विवादित बयान दिया। इसके अलावा, जब हिसार में एक युवक ने कहा कि इस बार बीजेपी का विधायक हारेगा, तो खट्टर भड़क गए और युवक को सभा से बाहर निकलवा दिया। कैथल में मनोहर लाल खट्टर भाजपा वर्कर के उनके साथ सेल्फी लेने से नाराज हो गए। उन्होंने तुरंत उसे हाथ लगाकर सेल्फी लेने से मना कर दिया। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल शुक्रवार को गुहला से भाजपा प्रत्याशी कुलवंत बाजीगर के समर्थन में गांव सीवन में आयोजित जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। 

जनसभा के बाद मनोहर लाल वापस लौट रहे थे। वे कार के पास पहुंचे तो इसी दौरान एक युवक ने उनके साथ सेल्फी लेने का प्रयास किया। सेल्फी लेते देख मनोहर लाल ने तुरंत हाथ चला कर युवक को सेल्फी लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ये अलाउड नहीं है। अगर आपको फोटो लेनी है तो इकट्ठे की लें। अकेले की फोटो मैंने कभी किसी को लेने नहीं दी।

उधर खट्टर ने कांग्रेस की नेता कुमारी शैलजा को बीजेपी में शामिल होने का ऑफर दिया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया, जिससे पार्टी की किरकिरी हुई।

मंत्री बनने के बाद भी खट्टर की सक्रियता

केंद्र में मंत्री बनने के बाद भी मनोहर लाल खट्टर की सक्रियता कम नहीं हुई है। विधानसभा चुनाव में उनके कहने पर 32 सीटें दी गई। इससे यह संदेश गया कि मुख्यमंत्री नायब सैनी बनने के बाद भी खट्टर हरियाणा के महत्वपूर्ण फैसले ले रहे हैं। लेकिन उनकी यह सक्रियता बीजेपी कार्यकर्ताओं और हरियाणा की जनता को पसंद नहीं आई। खट्टर ने खुद को कुछ खास सीटों तक सीमित कर लिया है, जहां उनके करीबी चुनाव लड़ रहे हैं। ये सीटें उन क्षेत्रों की हैं जहां पंजाबी, गैर-जाट और पिछड़े वोटर हैं।

बीजेपी में खट्टर के खिलाफ नाराजगी

बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हरियाणा विधानसभा चुनाव से 6 महीने पहले हटाया था। इसकी वजह यह थी कि पार्टी में उनके खिलाफ नाराजगी थी। उन्हें “पोर्टल वाला मुख्यमंत्री” भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने कई सरकारी सेवाओं के पोर्टल लॉन्च किए। हरियाणा में प्रॉपर्टी आईडी तथा परिवार पहचान पत्र जैसे पोर्टल ने भाजपा को आम जनता से दूर कर दिया। इससे आम जनता को दिक्कतें आईं और यही कारण है कि लोगों में खट्टर के प्रति नाराजगी बढ़ी।  

1- ओबीसी वोटर्स में गलत मैसेज न जाए इसलिए खट्टर को दूर किया गया है?

दरअसल, केंद्र में मंत्री बनने के बाद भी हरियाणा में मनोहरलाल जिस तरह एक्टिव रहे, उससे ये मैसेज गया कि हरियाणा के सुपर सीएम तो खट्टर साहब ही हैं। जाहिर है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी के लिए ये बातें ठीक नहीं थीं। दूसरे पार्टी ने जिन उद्दैश्यों के चलते नायब सैनी को सीएम बनाया था वो भी पूरी नहीं हो रहीं थीं। पार्टी नायब सैनी को सीएम बनाकर चाहती थी कि ओबीसी वोटर्स को बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकृत किया जा सके। पार्टी की गणित ही यही है कि अगर ओबीसी ( करीब 30 प्रतिशत), पंजाबी (करीब 8 से 9 प्रतिशत), ब्राह्मण ( करीब 10 प्रतिशत) और बनिया वोट बीजेपी को मिल गए तो हरियाणा में लगातार तीसरी बार बीजेपी सरकार बनाने में सफल हो जाती। पर टिकट बंटवारे तक में नायब सैनी के बजाय खट्टर भारी पड़ गए। यहां तक कहा गया कि सीएम सैनी करनाल से विधानसभा टिकट चाहते थे पर खट्टर वहां से अपने खासम खास को टिकट दिलाने में सफल हो गए। इन सब कारणों से पिछड़े वोटर्स में ये संदेश जा रहा था कि अगर बीजेपी फिर से सरकार बनाती है तो कोई जरूरी नहीं है कि नायब सैनी फिर से सीएम बने। हो सकता है कि बीजेपी इसी कारण खट्टर से परहेज कर रही हो। 

2- क्या जाटों को नापसंद हैं खट्टर?

हरियाणा में जाट बनाम पंजाबी के बीच प्रतिस्पर्धा रही है। बीजेपी ने जब से एक पंजाबी मनोहर लाल खट्टर को सीएम बना दिया जाटों में बीजेपी को लेकर नाराजगी बढ़ती गई। ये नाराजगी पार्टी से आगे निकलकर पंजाबी समुदाय तक पहुंच गई। हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान पंजाबियों के प्रति जो नफरत जाटों में दिखी वह पहले कभी नहीं थी। कम से कम प्रतिस्पर्धा कभी हिंसा में नहीं बदली थी। आरक्षण आंदोलन के दौरान जाटों का गुस्सा पंजाबियों के घर और दुकान, कारों आदि पर निकला। बड़े पैमाने पर आगजनी हुई। 

एक अखबार में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कई भाजपा नेताओं ने बताया कि हरियाणा के सोनीपत, झज्जर और चरखी दादरी जैसे जाट बहुल क्षेत्रों में पार्टी से नाराजगी का कारण खट्टर हैं। खट्टर को लेकर हरियाणा भाजपा दो फाड़ हो गई है। 

3- क्या बीजेपी में उनका खेल खत्म हो चुका है?

पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि मनोहर लाल को ओबीसी और दलितों पर केंद्रित अभियान पर उन्हें लगाया गया है ताकि इन वर्गों में पार्टी कमजोर न पड़ जाए। पर यह बात हजम नहीं होती है। किसी भी राज्य में जब पीएम या किसी भी पार्टी का अध्यक्ष पहुंचता है तो उस पार्टी के सभी छोटे-बड़े नेता उस रैली में पहुंचते हैं। खट्टर की ऐसी कौन सी व्यस्तता है कि उन्हें मोदी और शाह की सभा में भी आने के लिए टाइम नहीं मिल रहा है। 

सत्ता की राजनीति में समय में कभी भी खराब हो सकता है। इसके लिए कोई किंतु-परंतु नहीं होता है। इसके पहले भी हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी में कितने नेता साइडलाइन हो चुके हैं। एक भाजपा नेता के हवाले से एक अखबार लिखता है कि खट्टर के प्रति नाराजगी थी क्योंकि उन्होंने कार्यकर्ताओं से मिलने में अनिच्छा दिखाई थी। सैनी ने कार्यभार संभालने के बाद कार्यकर्ताओं से मिलना शुरू किया और सभी को आश्वासन दिया कि उनकी शिकायतों का समाधान किया जाएगा। इससे कार्यकर्ता चुनाव प्रक्रिया में तन, मन, धन (शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से) के साथ भाग लेने के लिए प्रेरित हुए।

4- दक्षिणी हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र में महेंद्रगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा के पुराने पंडित रामबिलास शर्मा की टिकट कटवाकर मनोहर लाल खट्टर ने भाजपा का एक बड़े वर्ग को नाराज कर दिया। इससे पहले अहीरवाल के क्षत्रप रामबिलास शर्मा से उनका 36 का आंकड़ा चल रहा आ रहा है। अहीरवाल की सीटों पर मनोहर लाल खट्टर के हस्तक्षेप से बड़ी गुटबाजी बन गई है जिसकी चर्चा राव इंद्रजीत सिंह ने शुक्रवार को रेवाड़ी में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सम्मुख भी की। दक्षिणी हरियाणा में भाजपा की गुटबाजी में मनोहर लाल का हस्तक्षेप बताया जा रहा है।

मनोहर लाल खट्टर ने महिला सम्मेलन में भी की शिरकत

वहीं केंद्रीय मंत्री खट्टर ने शुक्रवार को करनाल में महिला सम्मेलन में भी शिरकत की। लगता है मनोहर लाल खट्टर अपने गृह क्षेत्र तथा कुछ सीटों तक सिमट गए हैं। कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने बीजेपी को विजयी बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा आत्मनिर्भर एवं सशक्त मातृ शक्ति डबल इंजन सरकार का संकल्प और विकसित हरियाणा के निर्माण का आधार हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मातृ शक्ति के अपार स्नेह और आशीर्वाद से हरियाणा में भाजपा तीसरी बार जीतेगी।

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