कांग्रेस भाजपा के नीरपुर गांव से पांच टिकटार्थी, एक भाजपा से पांच कांग्रेस से दावेदार 

पटीकरा व मांदी से भी दावेदारों की भरमार 

भारत सारथी कौशिक 

नारनौल। जिला महेंद्रगढ़ की तहसील नारनौल के एक गांव नीरपुर में विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए छह नेताओं ने अपना प्रचार अभियान शुरू कर रखा  है । हालांकि  चुनाव लड़ने वाले पांच नेताओ में तीन एक ही खानदान के हैं ,जबकि चौथा अहीरो में चौधरी अलग परिवार से  है। पांचवां प्रत्याशी सामान्य परिवार से संबंध रखता है।

नारनौल से सटे महेंद्रगढ़ के नीरपुर की पहचान एक शिक्षित गांव की हैं। अहीर बाहुल्य नीरपुर गांव में राव नरेंद्र सिंह चौधरी एक  समाजसेवक साठ साल पहले जिला प्रमुख रहे हैं। राव नरेंद्र सिंह पेशे से  वकील रहते हुए कई धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के प्रधान रहे हैं। उनकी ससुराल रेवाड़ी के प्रसिद्ध राजनेता राव महाबीर सिंह के यहां बूढ़पुर में थी। राव महाबीर सिंह भाजपा के नेता नरबीर सिंह के पिता थे। 

राव नरेंद्र सिंह के चाचा राव नौनिहाल सिंह जिला महेंद्रगढ़ के कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार वकील रहे हैं । राव नौनिहाल सिंह ने क्षेत्र के गरीब और साधनहीन किसानों की जमीन को जमीदारों के चुंगल से बचाने के लिए बहुत बड़ी मुहिम शुरू की थी। राव नौनिहाल सिंह और केंद्रीय मंत्री अहीरवाल के राजा राव बीरेंद्र सिंह की माताये भी सगी बहनें थी। इसके बावजूद राव नौनिहाल ने कभी राजनैतिक पहुंच का फायदा नहीं उठाया। 

राव नौनिहाल सिंह के पुत्र राकेश यादव नारनौल में  वकालत करने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद से  सेवानिवृत होकर कांग्रेस पार्टी की नारनौल हल्के से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। राकेश यादव अपनी सेवानिवृत्ति से पहले राकेश यादव  अपनी धर्मपत्नी कांता यादव, जो स्कूल संचालिका है, को आप पार्टी के जरिए  राजनीति में लाने की कोशिश कर चुके है। लेकिन कांता यादव को टिकट नहीं मिली। राकेश यादव लंबे समय तक जज की नौकरी करते हुए अपने क्षेत्र  की जनता से जुड़े रहे। अब चुनाव में जनसमस्याओं जानने के लिए जनता से रुबरु हो रहे है।

नीरपुर गांव के राव मानसिंह को पुलिस अधीक्षक की नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद  ओम प्रकाश चौटाला ने चौधरी देवीलाल की मृत्यु उपरांत खाली हुए राज्यसभा का सदस्य बनाया था। राव मानसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र राव सुखविंदर सिंह यादव बिजली विभाग में अधीक्षण अभियंता से रिटायर होकर कांग्रेस पार्टी की टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।  इससे पूर्व भी इसी परिवार के डॉ जेएस यादव   कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नौकरी करते हुए राजनीति में सक्रिय रहे, लेकिन राजनीति कामयाबी हासिल नहीं कर पाए थे।  

इसी परिवार के हाल ही में हरियाणा सरकार में भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी से  सेवानिवृत हुए विकास यादव भी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम चुके हैं। विकास यादव का क्षेत्र की जनता से कोई सीधा जुड़ाव नही रहा।  विकास यादव के पिता उमेद सिंह यादव ने भी  हरियाणा सरकार में भारतीय प्रशासनिक सेवा की थी। उमेद सिंह यादव की दो वर्ष पहले  मृत्यु हो चुकी है। विकास यादव के चाचा राव राजेंद्र सिंह यादव भी क्षेत्र की राजनीति में रहे थे। राव राजेंद्र सिंह की मृत्यु के उपरांत उनके पुत्र संदीप सिंह यादव भी राजनीति में सक्रियता रखते हैं। वह पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह के दामाद है। संदीप सिंह यादव को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का नजदीकी माना जाता है और भाजपा से टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। संदीप सिंह ने विधानसभा चुनाव भी लड़ा,लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हो पाई। इसी गांव नीरपुर से संबंध रखने वाले चांद सिंह एडवोकेट भी कांग्रेस पार्टी से टिकट की दावेदारी जता रहे हैं।

नारनौल से सटे एक ओर गांव विधानसभा चुनाव में राजनीति का केंद्र बिंदु है। पटीकरा गांव से तीन टिकटार्थी अलग-अलग पार्टी से दावेदार हैं। राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक बाबूलाल यादव भाजपा से टिकट की मांग कर रहे हैं। नगर परिषद के चुनाव में उन्होंने अपनी धर्मपत्नी को चुनाव लड़वाया था पर उन्हें सफलता नहीं मिली। जबकि सुरेंद्र यादव जजपा से टिकट की मांग कर रहे हैं। इसी गांव के संजय पटीकरा राव दान सिंह के बलबूते कांग्रेस की टिकट मांग रहे हैं।

नारनौल से तीसरा सटा गांव मांदी भी विधानसभा चुनाव में चर्चा में है। इसमें से राजेश यादव और मनजीत सिंह कांग्रेस टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। राजेश यादव ने अपनी धर्मपत्नी को नगर परिषद के चुनाव में भी मैदान में उतारा था पर उन्हें सफलता नहीं मिली। मनजीत सिंह जिला बार एसोसिएशन के प्रधान है। पूर्व उप जिला न्यायवादी अशोक कुमार भी चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। इसी गांव के सरजीत यादव किरण चौधरी के सहारे बीजेपी की टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। 

आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए उपरोक्त ये सभी नेता टिकट की दावेदारी के साथ साथ जन प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं। टिकट की घोषणा के बाद ही इनके रूख का पता लगेगा कि मैदान में जमा रहेगा और कोन पवेलियन लौटेगा। 

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