-कमलेश भारतीय लीजिए, विधानसभा चुनावों की घोषणा क्या हुई, हर दल में घमासान मच गया, हर तरफ घमासान मच गया । क्या भाजपा, क्या कांग्रेस, दोनों ही बेहाल हैं इस घमासान से, गुटबाजी से, बयानबाजी से ! अब अपने भाजपा के चौ रणजीत चौटाला को ही ले लीजिए, रानिया में घमासान में फंस गये हैं । अभी लोकसभा चुनाव में तो भाजपा में शामिल हुए थे और ऐसा लगता है कि भाजपा से विदाई की नौबत न आ जाये । हुआ यह कि भाजपा ने गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा से गठबंधन किया है । आप पूछो गोपाल कांडा कौन ? अरे यार वो ही गीतिका कांड से जिन कांडा का नाम जुड़ा रहा था और हरियाणा मंत्रिमंडल से बाहर कर दिये गये थे ! फिर वे सिरसा से निर्दलीय चुनाव जीते और भाजपा को उनकी जरूरत आन पड़ी । ज्यादा मामला उछलने पर म़त्रिमंडल में तो भाजपा नहीं ले पाई, ऐसे में चौ रणजीत चौटाला का दांव लग गया और वे निर्दलीय होते हुए भी बिजली मंत्री बन गये । अब भाजपा ने हलोपा से गठबंधन कर लिया तो गोपाल के भाई गोविन्द ने धवल कांडा को रानिया से चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा कर दी । ऐसे में बयानबाजी शुरू हो गयी, मच गया घमासान, दोनों तरफ से चले तीर ! चौ रणजीत चौटाला ने कहा कि मैं तो रानिया से ही चुनाव लड़ूंगा आप देख लो ! इस पर गोविन्द कांडा ने तंज मारा कि आठ बार हारने के बाद जीते थे चौ रणजीत चौटाला और इस बार लड़े तो जमानत भी नहीं बचेगी ! आगे बढ़कर और कहा कि नब्बे सीटों में किसी पर भी चौ रणजीत चौटाला का आधार नहीं है, सब जगह बंटाधार है । बताओ, कितनी बड़ी बात कह दी ! छोटा मुंह, बड़ी बात ! अब मुसीबत में है भाजपा, इस घमासान में क्या करे, क्या नहीं ? इधर कांग्रेस में बयानवीर कौन से कम हैं ! बड़े मियां सो बड़े मियां, छोटे मियां सुभानअल्लाह ! चिरंजीव को लीजिए, बयान दे दिया कि नौ सितम्बर को नामांकन करूंगा और डिप्टी सीएम बनूंगा जबकि अभी टिकटों की घोषणा कांग्रेस ने नहीं की है, इस तरह पार्टी से ऊपर उठकर घोषणा करने की शिकायत हरियाणा प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया तक पहुंची तो बोले कुछ लोग ओवर कान्फिडेंट होते हैं और चिरंजीव भी उन्हीं में आते हैं । सीनियर केंडीडेट होते हुए भी कोई पार्टी के नियमों से ऊपर नहीं होता ! अब चिरंजीव ठहरे लालू यादव के दामाद, उनसे कुछ गुरुमंत्र तो लिया होगा राजनीति का ! नहीं लिया तो अब ले लें ! ज्यादा देर नहीं हुई । अभी उम्र पड़ी है सीखने को ! अपने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को क्या सूझी कि नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कुछ सवाल मीडिया के माध्यम से पूछ लिये, जवाब आया नहीं तो खुद ही बोले कि हुड्डा ने 2014 से पहले मटरगस्ती की और अब मुझसे दस साल का हिसाब पूछ रहे हैं। ये शब्द गौर करने लायक है-मटरगश्ती और बोल कौन रहा है एक मुख्यमंत्री ! क्या यह शब्द शोभा देता है उनके श्रीमुख से ? फिर यह हिसाब ? तभी तो नेता प्रतिपक्ष श्री हुड्डा कह रहे हैं कि यह अजीब बात है कि सत्ता में बैठी भाजपा अपना हिसाब देने की बजाय विपक्ष से हिसाब मांग रही है । है न अजब गजब खेल राजनीति में ! इससे भी आगे अपरिपक्व बयान देते हैं मुख्यमंत्री कि हुड्डा राहुल गांधी से पूछकर जवाब दे दें। पूछो भाई, आपने किसके कहने पर सवाल पूछे हैं? है तो घमासान ही मचा हुआ हर तरफ ! इस घमासान का नाम ही चुनाव है, भाई!यह विधानसभा चुनाव है, भाई!!-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी। 9416047075 Post navigation जेपी दलाल का वायरल बयान साबित कर रहा है कि देश में लोकतंत्र, संविधान व जनादेश पर गंभीर खतरा : विद्रोही हरियाणा में टिकट के लिए उम्मीदवारों में मची होड़ …..