तीज के अवसर पर हरियाणवी लोकगीतों पर झूमे वानप्रस्थ संस्था के सदस्य

वानप्रस्थ सीनियर सिटिज़न क्लब में हरियाली तीज का पर्व धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ।

हिसार – वानप्रस्थ के महासचिव जे . के . डांग ने सदस्यों का तीज की सब को बधाई देते हुए कहा कहा कि तीज सावन मास के शुक्ला पक्ष की तृतीया को पूरे उत्तरी भारत में धूमधाम से मनाई जाती है । ऐसा कहा जाता है कि इस दिन माँ पार्वती ने भगवान शिव को धारण किया था । इसे सुहाग का प्रतीक माना जाता है । इस दिन गाँव , क़स्बों एवं शहरों में महिलाएँ शृंगार करती हैं , लोकगीत गाती हैं , नृत्य करती हैं एवं झूला झूलती हैं। घरों में स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं । इस अवसर पर विशेषकर गुलगले और सुहाली बनाई जाती हैं ।

मंच संचालन का करते हुए श्रीमती पुष्पा शर्मा व श्री बलवंत जांगड़ा ने स्मृद्ध हरियाणवी संस्कृति पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का आग़ाज़ श्रीमती कौशल जैन ने एक भजन

झूला तो पड़ गए अम्बुआ की डार पे जी,..हेरी कोई राधा को गोपाला बिन राधा को झुलावै, झूला कौन

गा कर कार्यक्रम में सावन के एक भीगे -!भीगे से समाँ का एहसास कराया जिसका श्रोताओं ने खूब आनंद लिया।
दूरदर्शन के पूर्व निदेशक एवं वानप्रस्थ के संस्थापक सदस्य श्री अजीत सिंह ने सावन का लोक गीत…

बादल उठ्या हे री सखी मेरे सासरे की ओड़,..पाणी बरसैगा जी तोड़

गाया जिसे सभी उपस्थित श्रोताओं ने तहेदिल से सराहा और अपनी तालियों से प्रत्युतर दिया।

कार्यक्रम में विविधता लाते हुए श्रीमती इंद्रा सांगवान ने हरियाणवी गाने पर एकल नृत्य

सास मेरी मटकनी ने दामण लिया पहर… के बुड्ढी न्यू मटकै
प्रस्तुत कर के कार्यक्रम में एक नया रंग भर दिया।

डा: सुनीता सुनेजा ने एक भजन

सावन की बरसे रिमझिम फुहार, पेड़ों पे लगी झूलों की क़तार, गोरा झूला झूल रही भोलेनाथ संग- – –
में संगीत और भक्ति का बहुत ही सुन्दर संयोग रहा जिसे खूब सराहना मिली।

कार्यक्रम की अगली कड़ी में श्रीमती कमला सैनी ने एक भजन

“ सावन का महीना पवन करे शोर
माँ अम्बे गोरी के मंदिर में नाचे मोर… “

गा कर गीतों की कड़ी में एक नया रुप पेश किया जिसका सब ने भरपूर आनंद लिया। इसी कड़ी में डा: आर एस हुड़्डा ने सामण
की एक दमदार रागिनी…

चोगरदे तै बाग हरा, घनघोर घटा सामण की,..छोरी गावें गीत सुरीले, झूल घलै सामण की
प्रस्तुत कर सभी उपस्थित सदस्यों को मदमस्त कर दिया.
आज का विशेष आकर्षण रहा डा: सुदेश गांधी , इंद्रा संगवान , सुनीता बहल , आशा आर्या एवं पुष्पा शर्मा का सामूहिक नृत्य …

मैं छैल गेल्याँ जाँगी बाजण दे मेरा नाड़ा

इस नृत्य ने स्टेज को हिला देने वाली ऐसी धमक मचाई कि हाल कई देर तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूँजता रहा।
कार्यक्रम की लड़ी मे अपनी चिरपरिचित मनमोहक आवाज़ में डॉ कृष्णा हुड़्डा ने

झूल बंटा दे सास रेशमी री, हाँ री घलवा दे बाग के बीच… बाग झूलन, हेरी जाण दे री

गा कर कार्यक्रम में सुरमई रंग भरी मिठास घोल दी जिसका सभी श्रोताओं ने भरपूर आनंद लिया.
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए श्रीमती शशी आर्या ने नस्वरचित गीत,

सास मेरा भाई आवेगा, कोथली तीज की लेके आवैगा
गा कर एक अलग ही विधा की प्रस्तुति दी जो प्रभावी व क़ाबिले तारीफ रही।
कार्यक्रम के मध्य में मंच संचालक श्री बलवंत जांगड़ा ने अपनी सधी हुई आवाज में एक लोक गीत,

मीठी तो कर दे री अंमाँ कोथली.. हाँ री जांगे बाहण कै देस, पपईया री बोल्या पीपली
गा कर ग्रामीण अंचल में प्रचलित तीज पर कोथली के रिवाज़ का एक मार्मिक बिम्ब का चित्रण कर सभी को भावुक कर दिया.
कार्यक्रम की लय को एक और मस्त पेशकश दी श्रीमती पुष्पा शर्मा ने एकल नृत्य से बोल थे:

मेरै सिर पर बंटा टोकनी, मेरै हाथ मैं नेजू डोल… मैं पतली सी कामिनी…
नृत्य और गीत की इस प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने पर विवश
गीतों की अगली कड़ी में डॉ आर डी शर्मा ने अपने द्वारा गाए पंजाबी गीत,

नी नणाने बेईमाने अखाँ फेरगी रकाने… नी तूँ केहि वीर नू कसूती लूती लाई नणदे, अज तैं मैनू मार पुवाई नणदे
से एक तड़क दार मिठास घोल कर श्रोताओं की प्रशंसा बटोरी।
पंजाबी गीत की इस प्रस्तुति के बाद श्रीमती वीना अग्रवाल ने पंजाबी संस्कृति का ही एक और गीत,

सौण दा महीना बागाँ विच बोलन मोर वे…मैं नइं सोहरे जाना, गड्डी नूँ खाली तौर वे
गा कर कोथली और सिंधारा की तहज़ीब की एक झलक पेश की जिसे बहुत ही उम्दा सराहना मिली।
श्रीमती इंदु गहलावत एक बहुत ही प्यारा लोक गीत,

*गली ए गली री नणदी, मनरा फिरै,..मनरै नै ल्याओ बुलवाए, चूड़ा तो हाथी दाँत का..
से एक तड़क दार मिठास घोल कर श्रोताओं की प्रशंसा बटोरी।

श्रीमती सुनीता गुप्ता तीज क्वीन चुनी गई। सब ने उनको मुबारक दी, महिला सदस्यों ने क्लब की ओर से उपहार भेंट किया ।

आर्या दंपति ने महिला – सशक्तिकरण पर एक स्किट पेश किया जिसे बहुत सराहा गया ।
कु. आरती एवं कुछ बच्चों ने हरियाणवी गीतों पर सुंदर नृत्य पेश किये और खूब वाह – वाह लूटी।

डा: अमृत खुराना ने धन्यवाद करते हुए सभी भागीदारों की प्रस्तुति और आयोजकों की लगन व मेहनत की प्रशंसा की ।उन्होंने विशेष रूप से जांगड़ा दंपति, डा: चौहान एवं श्रीं अशोक खट्टर का धन्यवाद किया ।

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