देवीलाल, बंशी लाल व भजनलाल के वारिस पहले ही मैदान में 

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, राज्य के कई स्थापित राजनीतिक नेताओं के बेटे-बेटियां, करीब दो दर्जन खानदानी वारिस चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। हरियाणा के विधानसभा चुनाव की बढ़ती सरगर्मी के बीच भाजपा के कई नेता अपनी ही पार्टी के ल‍िए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। राज्य में सरकार चला रही बीजेपी के कई नेता टिकट को लेकर गजब की बेचैनी दिखा रहे हैं और इसके ल‍िए पार्टी से बगावत तक करने का संकेत दे रहे हैं।

पूर्व मंत्री राव नरबीर स‍िंंह भी इन्‍हीं मेंं से एक हैं। उन्‍होंने इस बार ट‍िकट नहीं म‍िलने पर न‍िर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ने की भी घोषणा कर दी है। जनसंपर्क कार्यक्रमों में वह भाजपा के ल‍िए प्रचार करते हुए अपनी बात भी खुल कर कह रहे हैं।

हरियाणा की भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और गुरुग्राम लोकसभा सीट में आने वाली बादशाहपुर सीट से पूर्व विधायक राव नरबीर सिंह ने एक बार फिर बीजेपी नेतृत्व को चेताया है कि पार्टी इस बार उनका टिकट काटने की गलती ना करे। कुछ दिन पहले राव नरबीर सिंह ने ऐलान किया था कि वह बादशाहपुर से चुनाव जरूर लड़ेंगे।

अध‍िकार‍ियों ने हर‍ियाणा में मचा रखी है लूट: नरबीर

राव नरबीर ने रविवार को एक बैठक के दौरान कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था और तब वह प्रदेश में बहुमत तक हासिल नहीं कर पाई थी। वह यह भी कह रहे हैं क‍ि ज‍िस तरह मंत्री रहते उन्‍होंने व‍िकास का काम क‍िया था, जनता वैसा ही व‍िकास फ‍िर देखना चाह रही है। उन्‍होंने अफसरों पर भी न‍िशाना साधते हुए अपनी सरकार को घेरा। उन्‍होंने कहा- अध‍िकार‍ियों ने हर‍ियाणा में लूट मचा रखी है और खास कर गुरुग्राम में हर काम के ल‍िए आम जनता से अध‍िकारी पैसे ले रहे हैं।

राव नरबीर स‍िंंह 2011 से भाजपा में हैं और इससे पहले दो बार व‍िधायक रह चुके थे। 2014 में वह तीसरी बार भाजपा के ट‍िकट पर व‍िधायक बने। मनोहर लाल खट्टर की सरकार में उन्‍हें मंत्री भी बनाया गया था। 2019 में उन्‍हें भाजपा ने ट‍िकट नहीं द‍िया था।

इनमें केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव, हरियाणा के पूर्व मंत्री संपत सिंह के बेटे गौरव संपत सिंह, हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप शर्मा के बेटे चाणक्य पंडित, कांग्रेस के हिसार से सांसद जय प्रकाश के बेटे विकास सहारन और भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार राव दान सिंह के बेटे अक्षत राव, सांसद चौधरी धर्मवीर के बेटे मोहित चौधरी, हाल ही में बीजेपी में प्रवेश करने वाली किरण चौधरी की बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी की तोशाम विधानसभा से चुनाव मैदान में उतरना चाहती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्नल राम सिंह के पुत्र राव संजय सिंह, पूर्व विधायक रघु यादव के पुत्र सृजन यादव, पूर्व हरियाणा के मंत्री राव बंशी सिंह के पौते व राव नरेंद्र सिंह के पुत्र कृष्ण राव राजनीति के अखाड़े में करने को लालायित हैं। पूर्व सीपीएस अनीता यादव के पुत्र सम्राट यादव जजपा की टिकट पर अपनी किस्मत आजमा चुके। इसी तरह हरियाणा के पूर्व मंत्री निहाल सिंह के पुत्र सुरेन्द्र सिंह चुनावी अखाड़े में भाग्य आजमा चुके।

कांग्रेस के पूर्व राई विधायक जय तीरथ दहिया के बेटे अर्जुन दहिया, मुंढाल खुर्द के पूर्व विधायक रणबीर महेंद्र के बेटे अनिरुद्ध चौधरी, कांग्रेस के पूर्व महम विधायक आनंद सिंह दांगी के बेटे बलराम सिंह दांगी और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला भी चुनावी मैदान में उतरने की कोशिश में हैं। 

अहीरवाल के रामपुरा हाउस से मझंले राजा राव अजीतसिंह के छोटे बेटे राव अभिजीत सिंह भी चुनाव लड़ने का मन बनाये हुए हैं। अभी वह किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे उन्होंने यह स्पष्ट नहीं है। वह भी अपने भाई की तरह अटेली से भाग्य आजमाना चाहते हैं। इससे पहले उनके बड़े भाई स्वर्गीय राव अर्जुन सिंह अटेली से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं।

45-वर्षीय आरती राव दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं और एक राइफल शूटर हैं, जिन्होंने 18 साल तक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने कहा कि “मैंने अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 15 स्वर्ण पदक जीते हैं।”

उन्होंने कहा, “चुनावी राजनीति में उतरने की मेरी योजना अब 10 साल पुरानी है. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ क्योंकि पार्टी (भाजपा) ने मुझे 2014 और 2019 (विधानसभा चुनाव) में मैदान में नहीं उतारा, लेकिन इस बार, मैं चुनाव लड़ने जा रही हूं, चाहे कुछ भी हो. मैंने 2021 में एक सार्वजनिक बैठक में इसकी घोषणा पहले ही कर दी थी।”

हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि “चाहे कुछ भी हो” कहने का उनका क्या मतलब था, लेकिन उनके पिता के करीबी और बीजेपी इंसाफ मंच के एक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आरती निर्दलीय या “हरियाणा इंसाफ कांग्रेस” के बैनर तले चुनाव लड़ सकती हैं, जो उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा बनाई गई एक राजनीतिक पार्टी है।

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने हरियाणा के किस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का फैसला किया है, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी तक विधानसभा क्षेत्र का चयन नहीं किया है, लेकिन यह गुड़गांव लोकसभा सीट या परिसीमन से पहले अस्तित्व में रहे महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत कोई भी क्षेत्र हो सकता है।

आरती ने कहा, “मैं विधानसभा क्षेत्र का चयन उन लोगों पर छोड़ना चाहती हूं, जो हमेशा हमारे परिवार के साथ खड़े रहे हैं।” गुड़गांव लोकसभा सीट के तहत, बादशाहपुर, गुड़गांव, रेवाड़ी और सोहना विधानसभा क्षेत्र अनारक्षित सीटें हैं, जहां राव इंद्रजीत सिंह का प्रभाव माना जाता है।

पूर्ववर्ती महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट के नारनौल, महेंद्रगढ़ और अटेली विधानसभा क्षेत्र और रोहतक लोकसभा सीट के अंतर्गत कोसली विधानसभा क्षेत्र अन्य ऐसे क्षेत्र हैं, जहां उनके पिता का प्रभाव माना जाता है। अपने विजन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि एक महिला होने के नाते शिक्षा उनकी प्राथमिकताओं में से एक है।

उन्होंने कहा, “अभी तक लोग ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे, लेकिन अब महिलाएं सभी परीक्षाओं में अव्वल आ रही हैं। मुझे लगता है कि हमें महिलाओं की शिक्षा में और अधिक निवेश करने की ज़रूरत है।” उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा और युवाओं को रोजगार देना कुछ अन्य मुद्दे हैं, जिन पर वह काम करेंगी।

गौरव सिंह, जिनके पिता संपत सिंह ने हरियाणा में विभिन्न मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में कई विभागों को संभाला है, अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र हिसार के नलवा से चुनाव लड़ना चाहते हैं। संपत, जिन्हें लोकप्रिय रूप से “प्रोफेसर संपत सिंह” के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वे कॉलेज में टीचर थे, उसके बाद वे 1977 से 1979 तक देवीलाल के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनके राजनीतिक सचिव के रूप में राजनीति में आए, वे छह बार विधायक रह चुके हैं। वे भट्टू कलां विधानसभा सीट से चार बार चुने गए, 1998 में फतेहाबाद विधानसभा से और 2009 में नलवा विधानसभा सीट से उपचुनाव जीते।

44-वर्षीय गौरव, जिनके पास ह्यूमन रिसोर्स में एमबीए की डिग्री है, ने कहा कि वे सक्रिय राजनीति में शामिल होना चाहते हैं ताकि उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकें जिन्हें अब तक नज़रअंदाज किया जाता रहा है. उन्होंने बताया, “राजनेता आमतौर पर उन मुद्दों पर बात करते हैं जो स्टीरियोटाइप बन गए हैं। किसी से भी बात करें तो जवाब मिलेगा कि वे भ्रष्टाचार को खत्म करेंगे। युवाओं के मुद्दे हमेशा पीछे रह जाते हैं।”

उन्होंने कहा कि हरियाणा में किसी ने भी गांवों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) सिस्टम के बारे में कभी बात नहीं की और बताया कि यह एक कदम जल जनित बीमारियों और स्वास्थ्य सेवा के बोझ को कम कर सकता है।

गौरव ने कहा, “राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने एक निजी फर्म को शामिल करके अपने राज्य में ऐसा किया था।” उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को युवाओं के लिए परामर्श केंद्र स्थापित करने चाहिए ताकि वे बेईमान तत्वों के शिकार न हों और विदेश जाने के लिए गधे का रास्ता न अपनाएं।

टिकट चाहने वालों की प्राथमिकताएं

हैदराबाद के नालसर से लॉ ग्रेजुएट 40-वर्षीय चाणक्य पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ करनाल लोकसभा सीट से कांग्रेस टिकट के दावेदार थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने चुनाव प्रचार में कड़ी मेहनत की थी, लेकिन टिकट युवा कांग्रेस प्रमुख दिव्यांशु बुद्धिराजा को मिला।

जिला अदालतों में वकालत करने वाले चाणक्य ने कहा, “मेरे पिता सोनीपत की अपनी पारंपरिक गन्नौर सीट से (हरियाणा विधानसभा चुनाव) लड़ेंगे। अगर कांग्रेस मुझे टिकट देती है तो मैं पानीपत या करनाल जिले की किसी भी सीट से चुनाव लड़ना चाहता हूं।” उनके विजन के बारे में उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए रोजगार सृजन की ज़रूरत है, जैसा कि कुछ दक्षिणी राज्यों ने किया है।

उन्होंने बताया, “जीटी रोड (एनएच44) पर इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जहां से बड़ी संख्या में युवा डिग्री लेते हैं। हालांकि, उन्हें अपनी शिक्षा के अनुरूप नौकरियां नहीं मिल रही हैं। दूसरी ओर, हम पाते हैं कि इस क्षेत्र के अधिकांश अस्पतालों में केरल और उत्तर-पूर्वी राज्यों की नर्सें हैं. हरियाणा में हम अपनी महिलाओं के लिए रोज़गार नहीं जुटा पा रहे हैं।”

चाणक्य के अनुसार, अगर उन्हें मौका मिले तो वे अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जैसे शासन तक पहुंच और शहरी विकास।

उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा में भाजपा सरकार ने शासन में डिजिटलीकरण डिजिटलीकरण के बारे में बहुत बात की, लेकिन शासन में सुधार करने के बजाय लोगों की पहुंच को कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि शहरों का तेज़ी से विस्तार और झुग्गियों का विकास एक और चिंता का विषय है।

उन्होंने बच्चों की शिक्षा में सुधार की ज़रूरत पर भी जोर दिया। चाणक्य ने कहा, “पश्चिम में सरकार यह सुनिश्चित करती है कि बुनियादी प्राथमिक और उच्च विद्यालय की शिक्षा अच्छी तरह से वित्त पोषित और प्रबंधित हो। हालांकि, हरियाणा में सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय है और माता-पिता अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजने से हिचकते हैं।”

कृषि को एक अन्य प्राथमिकता के रूप में सूचीबद्ध करते हुए उन्होंने कहा, “कृषि में कोई निवेश नहीं हुआ है और सभी कृषि वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि अब समय आ गया है कि हम इसमें और अधिक निवेश करें।”

तीरथ दहिया ने कहा कि उनके बेटे अर्जुन 10 साल से ज़्यादा समय से राय निर्वाचन क्षेत्र की देखभाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि इस बार वह चुनाव लड़े। हालांकि, वो चाहते हैं कि मैं चुनाव लड़ूं और सहायक भूमिका में रहना चाहता हूं। देखते हैं क्या होता है। यह पार्टी नेताओं पर निर्भर करता है।”

कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल भी हिसार में सक्रिय हो रहे हैं और उनके बयान से इस तरह की अटकलें हैं कि उनका परिवार हिसार विधानसभा सीट से टिकट मांग सकता है। नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल हिसार से विधायक और हरियाणा सरकार में मंत्री रही हैं।

निश्चित रूप से इस तरह के ऐलान बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव में बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।

देवीलाल का परिवार अलग-अलग पार्टियों से चुनावी रण में एक दूसरे के आमने सामने होंगे 

लोकसभा चुनाव के बाद अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। इस चुनाव में चौटाला परिवार एक दूसरे के सामने राजनीतिक मैदान में उतर सकता है। इतना ही नहीं यह पहली बार होगा कि जब देवीलाल का परिवार अलग-अलग पार्टियों से चुनावी रण में उतरेगा।

हरियाणा की राजस्थान और पंजाब के साथ लगती डबवाली विधानसभा में इस बार नए समीकरण बन रहे हैं। यहां मुकाबला काफी रोमांचक होने वाला है।

चौटाला परिवार जहां अपनी परंपरागत सीट दोबारा हासिल करने की जद्दोजहद में है तो वहीं देवीलाल के कुनबे से ही आने वाले अमित सिहाग दूसरी बार कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा जाने की तैयारी कर रहे हैं।

डबवाली विधानसभा में इनेलो का सबसे अधिक कब्जा रहा है। इस बार यहां से इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला की पत्नी कांता चौटाला मैदान में उतर सकती हैं। कांता चौटाला डबवाली में एक्टिव हैं। 

इसके अलावा दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय चौटाला जेजेपी से और बीजेपी से आदित्य चौटाला मैदान में उतर सकते हैं। ऐसा पहली बार होगा जब 4 दलों से परिवार आपस में लड़ेगा।

चौटाला गांव से बने ज्यादा विधायक

डबवाली में पंजाबी और बागड़ी बेल्ट दोनों शामिल हैं। राजस्थान के साथ लगते इलाके में बागड़ी बेल्ट और पंजाब के साथ लगते क्षेत्र में पंजाबी मतदाता अधिक हैं। चौटाला परिवार की पकड़ दोनों ही बेल्ट में मजबूत मानी जाती है। 

गांव चौटाला, गंगा, कालुआना, बनवाली और ओढ़ा यहां के बड़े गांव हैं। इस बार चार उम्मीदवार एक ही गांव चौटाला के हो सकते हैं। हालांकि इसी इसी गांव से ज्यादा विधायक बनते आए हैं।

2019 में चौटाला गांव के 5 लोग चुनाव लड़े

डबवाली हलका में ही चौटाला गांव है, जो राजनीति की नर्सरी के तौर पर भी जाना जाता है। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में चौटाला गांव के 5 लोग रणजीत सिंह रानियां से, अभय चौटाला ऐलनाबाद से, दुष्यंत चौटाला उचाना से, नैना चौटाला बाढड़ा से और अमित सिहाग डबवाली से चुनाव जीत कर विधानसभा की चौखट तक पहुंचने में कामयाब हुए थे। चौटाला गांव से चौधरी साहब राम ने 1934 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था।

ताऊ देवीलाल के परिवार के हैं ये सब लोग

दिग्विजय चौटाला अजय चौटाला के छोटे बेटे हैं और देवीलाल की पड़ पौत्र हैं। वहीं आदित्य चौटाला ताऊ देवीलाल के पौत्र हैं। डॉ. केवी सिंह देवीलाल के भतीजे हैं और इनका बेटा अमित सिहाग मौजूदा विधायक हैं। कांता चौटाला देवीलाल की पौत्र बहू है। ऐसे में चारों ही दावेदारों की नजदीकी रिश्तेदारियां हैं।

कांता चौटाला दिग्विजय चौटाला की चाची और आदित्य चौटाला की भाभी हैं। डॉ. केवी सिंह कांता चौटाला के ससुर हैं। डॉ. केवी सिंह और आदित्य का चाचा-भतीजे का नाता है। ऐसे में हरियाणा में शायद डबवाली ही ऐसी इकलौती सीट होगी, जहां इस पर प्रदेश के एक बड़े सियासी घराने के सदस्य आमने-सामने होंगे।

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