-कमलेश भारतीय यह राजनीति है जो जाति को इंसान से ज्यादा महत्त्व देती है। इंसान की कीमत कुछ भी नहीं, जाति की ही कीमत है। जाति के आधार पर ही टिकटों का फैसला होता है। मीडिया भी इसमें बराबर का दोषी है, रिपोर्टिग ही जाति के आधार पर की जाती है यानी इस क्षेत्र में जाट, उसमें ब्राह्मण, उसमें सैनी, किसमें अहीर-यादव-राव सब खोलकर लिखते हैं, राजनीतिक दल सभी इन आंकड़ों के आधार पर टिकट बांटने को आधार बनाते हैं। भारत ही क्यों, अब तो अमेरिका जैसे देश में भी राष्ट्रपति चुनाव के प्रत्याशी अपनी प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस से पूछ रहे है कि आप भारतवंशी हो या अश्वेत? अब तक तो भारतवंशी बता रही थीं, अभी अचानक से अश्वेत वोट पाने के लिए अश्वेत कैसे बन गयीं? यह सवाल जाति को लेकर ही किया गया और ट्रम्प जब पिछड़ने लगे, तब उन्हें यह श्वेत अश्वेत दिखने लगा, जैसे हमारे यहाँ अगड़े पिछड़े दिखने लगते हैं तभी तो किसी ने सोशल मीडिया में लिखा कि जब खिलाड़ी पदक जीतते हैं, तब वे भारतीय होते हैं लेकिन जब भारत लौटते हैं, तब जात के हो जाते हैं ! हमारी संसद भी इससे अछूती नहीं। अभी संसद में नता प्रतिपक्ष राहुल गा़धी से बड़ी निर्लज्जता से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने उनसे अप्रत्यक्ष रूप से जाति ही पूछी, जिसका काफी विरोध हुआ, हंगामा हुआ, जो स्वाभाविक है। राहुल गांधी की राष्ट्रीयता को लेकर भी समय समय पर सवाल उठाये जाते हैं। ऐसे में हमारे हरियाणा के तेज़ तर्रार नेता अनिल विज कह रहे हैं कि राहुल गांधी स़सद में महाभारत न करें, विकास की बात करें। मज़ेदार बात याद दिला दूं कि कभी विपक्ष में रहते हरियाणा की फायर ब्रांड सुषमा स्वराज यह कहा करती थीं कि हम संसद में राजनीति करने आये हैं, भजन कीर्तन करने नहीं आये! अनिल विज जी विपक्ष अपना काम करता है और सत्ता पक्ष अपने पैतरे चलता है। नीट पेपर लीक , किसानों की समस्याओं और महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण को हरसंभव तरीके से सत्ता पक्ष टालने के प्रयास में रहा ! इसलिए सबके दाता हैं भगवान् ! अब राहुल गांधी का पप्पू टैग हटाकर मंदबुद्धि टैग शुरू किया गया है ! ये खेल जारी हैं और फिर हमारा कवि बच्चा लाल पूछता है :.कौन जात हो भाईकौन जात हो !दलित में आता हूंमुझे लगता है हिंदू में आते होआता हूं न, साहब, परआपके चुनाव में!!-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी 9416047075 Post navigation “ दिल को जब कभी कहीं सुकून न मिला ……. रफी तेरे नगमे बहुत याद आए..” सीसवाल में पांडवकालीन शिवलिंग पर जलाभिषेक