“ दिल को जब कभी कहीं सुकून न मिला ……. रफी तेरे नगमे बहुत याद आए..”

रफ़ी साहब की 44वीं पुण्य तिथि पर विशेष

वानप्रस्थ में मोहम्मद रफ़ी की पुण्य तिथि पर उनके गीतों की गूंज

“जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो..”

हिसार – आज वानप्रस्थ सीनियर सिटिज़न क्लब में सिनेमा जगत के महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफ़ी की 44वीं पुण्य तिथि बड़े उत्साह से मनाई और उन्हें उन्ही के गाये गीतों द्वारा याद किया गया

मंच का संचालन करते हुए श्री मती वीना अग्रवाल ने उनके जीवन से जुड़ी हुई कई यादें एवं क़िस्से सुनाए। सदस्यों ने उनके गाए हुए गीत सुना कर क्लब का माहौल ख़ुशनुमा बना दिया ।

डा: आर. डी. शर्मा ने उनके जीवनी की पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी

डा: शर्मा ने बताया कि रफ़ी साहब का जन्म अमृतसर के एक छोटे से गाँव कोटला सुल्तानपुर में हुआ। रफी जब महज 7 साल के थे तो उनका परिवार काम के सिलसिले में लाहौर आ गया. मोहम्मद रफी के बड़े भाई लाहौर में नाई की दुकान चलाते थे. मोहम्मद रफी का मन पढ़ाई लिखाई में ज्यादा नहीं लगता था इसीलिए कच्ची उम्र से ही भाई के साथ दुकान में हाथ बंटाते थे । वह बचपन में वारिस शाह हीर गाया करते थे । महान गायक सहगल ने जब छोटे से रफ़ी को लाहौर में सुना तो उन्होंने कहा यह बालक भविष्य में महान गायक बनेगा । बाद में वह लाहौर से मुंबई आ गए । उन्होंने 105 पंजाबी फ़िल्मों में 262 गीत गाए ।

भारत – चीन युद्ध के कारण उनका लाहौर जाने का सपना अधूरा रह गया

डा: डाँग ने बताया कि लगभग 40 वर्ष के संगीत जीवन के बाद 56 वर्ष की अल्पायु में इस संसार को अलविदा कह गए । छोड़ गए 25000 गीतों का अनमोल ख़ज़ाना जो उन्हें सदैव ज़िंदा रखेगा

संगीत का शुभारंभ राज्यस्तरीय ख्याति प्राप्त डा: आर के सैनी ने अपनी सधी हुई आवाज़ में तक़दीर फ़िल्म का यह प्रसिद्ध गीत
“जब जब बहार आई और फूल मुस्कुराए
मुझे तुम याद आए…पर हाल तालियों से गूंज उठा

कड़ी को आगे बढ़ाते हुए डा: पुष्पा खरब ने “ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे
संग संग तुम भी गुनगुनाओगे
हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे…..” गीत गाकर सब का मन लूट लिया

क्लब के जाने माने कलाकार डा: एस. एस . धवन ने अपनी सुरीली आवाज़ में
” इक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया
पहले अपना हुआ करता था”
गीत गाया जिसे सदस्यों ने बहुत सराहा
श्री प्रेम केडिया जी ने “ मेरी मुहब्बत जवाँ रहेगी
सदा रही है, सदा रहेगी……”

गीत प्रस्तुत किया
क्लब के नए सदस्य डा : रमेश हुडा ने यह गीत
” हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं, कोई तुझ-सा नहीं हज़ारों में” गाकर सबको आचंभित कर दिया
श्री योगेश सुनेजा ने अपने समय का मशहूर गीत
“ मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की क़सम
फिर मुझे नरगिसी आँखों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे “
पेश कर पुरानी यादें ताज़ा कर दी
श्रोताओं के आग्रह पर डा: सैनी ने नीला आकाश फ़िल्म का मार्मिक गीत
“ आखिरी गीत मुहब्बत का सुना लूँ तो चलूँ,
मैं चला जाऊंगा, दो अश्क़ बहा लूँ तो चलूँ,…..”
प्रस्तुत किया और क्लब परिसर तालियों से गूंज उठा ।
आगे बढ़ते हुए श्री बलवंत जांगड़ा ने अपनी कमाल की सुरीली आवाज़ में रफ़ी जी का यह मार्मिक गीत
हो …
खिलौना, जानकर तुम तो, मेरा दिल तोड़ जाते हो …..” गाकर सब को भावुक कर दिया
डा कमलेश कुकडेजा ने अपनी मधुर आवाज़ में
“ रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ
ये मुरादों की हंसीं रात किसे पेश करूँ..”
गाया
डा: आशा कवात्रा ने
महौल को खुशनुमा बनाते हुए एक मस्त गीत
“ मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया हर फ़िक्र को धुवें में उडाता चला गया” गाया
श्री करतार सिंह ने
“मैं पल दो पल का शायर हूं पल दो पल मेरी कहानी है….,” गा कर खूब धमाल मचा दिया
डा : एम एस राणा ने
“ याद न जाए, बीते दिनों की
जा के न आये जो दिन
दिल क्यूँ बुलाए
उन्हें, दिल क्यों बुलाए” गाया

कार्यक्रम को समापन की और ले जाते हुए वीना अग्रवाल ने दिल को छू जाने वाला मर्म – स्पर्शी गीत
” ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया,
ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ..”

गाकर सब को द्रवित कर दिया
श्रीमती वीना अग्रवाल ने रफ़ी जी की मृत्यु पर प्रसिध्द गीतकार आनन्द बख्शी की श्रद्धांजलि को याद करते हुए कहा
” ना तुझ सा फनकार तेरे बाद आया,
मौहम्मद रफी तू बहुत याद आया,
सुरों की सुरीली वो परवाज तेरी,
बहुत खूबसूरत थी आवाज तेरी,
जमाने जिसने दीवाना बनाया , मोहम्मद रफ़ी तू बहुत याद आया .”

उन्होंने नेहरू जी के घर जाकर महात्मा गांधी जी को श्रद्धांजली इस गीत के माध्यम से दी..
सुनो सुनो ए दुनिया वालो बापू की ये अमर कहानी.
अंत मे डा: सुनीता
सुनेजा ने एक राम भजन
” सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
मेरे राम, मेरे राम, तेरा नाम एक सांचा दूजा ना कोई॥

क्लब की उपप्रधान डा सुनीता शिओकंद ने धन्यवाद करते हुए रफ़ी साहब को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश के महान सपूत को उनके गीतों के लिए सदियों तक याद किया जाएगा

डा : डाँग ने कहा कि दो घण्टे से अधिक चले इस कार्यक्रम में 60 से अधिक सदस्यों ने कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया

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