अब वित्त मंत्रालय से मंजूरी लेने के बाद ही जीएसटी करदाताओं को भेजा जा सकेगा नोटिस : विनोद बापना

केंद्र सरकार ने जीएसटी करदाताओं को दी बड़ी राहत।

गुरूग्राम (जतिन /राजा ): केंद्र सरकार ने देश में उद्योग एवं जीएसटी करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए नॉर्थ ब्लॉक से मंजूरी मिलने के बाद ही कोई भी जीएसटी मांग नोटिस भेजने का फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले से व्यापारियों में खुशी है तथा उनका कहना है कि वे केंद्र सरकार के इस फैसले के व्यापारियों पर पड़ रहे मानसिक दबाव को कम किया जा सकेगा। इस बारे में कैपेरो मारूति के सीईओ व सीआईआई के वाईस प्रेजिडेंट विनोद बापना ने कहा कि बेमानी नोटिस जारी करने की उनकी क्षमता को प्रतिबंधित करने की संभावना वास्तव में एक स्वागत योग्य विकास है। इससे करदाताओं को राहत मिलेगी। यह परिवर्तन भारत में व्यापार करने की आसानी को काफी हद तक बढ़ाएगा।

विनोद बापना ने कहा कि नोटिस भेजने से पहले वित्त मंत्रालय से मंजूरी लेने से यह सुनिश्चित होगा कि वित्त मंत्रालय की कर नीति शाखा ने जिस व्याख्या पर विचार किया है, वह सभी नोटिसों के लिए एक मार्गदर्शक कारक होगी। इसके अलावा हाल ही में जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक में कई स्पष्टीकरणों को मंजूरी दी गई है, जिससे देश में संचालित विदेशी शिपिंग लाइनों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, विदेशी एयरलाइंस, स्टार्ट-अप आदि सहित कई क्षेत्रों को राहत मिली है, जो डीजीजीआई के नोटिसों की श्रृंखला से उलझे हुए थे, यह भी एक सराहनीय व प्रंशसनीय कदम है।

उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का धन्यवाद प्रकट करते हुए कहा कि उनका यह फैसला काफी सरहानीय है व इस फैसले का सभी करदाताओं को लम्बे समय से इंतजार भी था।

इस कदम का उद्देश्य मुकदमेबाजी को कम करना, खुफिया संसाधनों को सही दिशा में और जहां उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है, वहां तैनात करना है। जिससे जीएसटी व्यवस्था के तहत जीवन यापन और व्यापार करने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि अब डीजीजीआई संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग किया जाएगा और मामलों तथा मांग नोटिसों के सार्थक निष्कर्ष निकाले जा सकेंगे।

विनोद बापना ने कहा कि इस मामले में डीजीजीआई अपनी जांच जारी रखेगा, कर चोरी की जांच करेगा और जब भी उसे कोई चोरी का पता चलेगा, वह सीबीआईसी को सूचित करेगा। इसके बाद यह सीबीआईसी पर निर्भर करेगा कि वह कानून में विसंगतियों और खामियों से बचने के लिए सुधारात्मक स्पष्टीकरण की घोषणा करना चाहता है या नहीं।

गाौरतलब होगा कि डीजीजीआई सीबीआईसी की केंद्रीय खुफिया एजेंसी है, जो जीएसटी व्यवस्था के तहत कर बकाया, कर अदा न किए जाने, कर चोरी और करों की गलत रिपोर्टिंग पर कड़ी निगरानी रखती है। जांच शाखा पर अक्सर करदाताओं और उद्योग को नोटिस भेजने का आरोप लगाया जाता था, जहां उद्योग का एक अलग दृष्टिकोण होता था और खुफिया शाखा का करों का अलग आकलन होता था, जिसके कारण भुगतान अटक जाते थे, करों में देरी होती थी और मामलों का ढेर लग जाता था।

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