अब कांग्रेस में नहीं बीजेपी में ज्यादा खलबली 

अशोक कुमार कौशिक 

पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को संभाले किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़ने से प्रदेश की राजनीति में कई उलटफेर की संभावना प्रबल हो गई हैं। किरण के भाजपा में शामिल होने के बाद से विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों में भी खलबली मची है। किरण के पार्टी छोड़ने से जहां कांग्रेस नेताओं में अपनी स्थिति मजबूत करने की होड़ है, वहीं भाजपा में भी राजनीतिक कद को लेकर खलबली मचनी तय है। इस लोकसभा चुनाव में भले ही किरण चौधरी ने चौधरी धर्मवीर की अप्रत्यक्ष मदद की हो पर चौधरी धर्मवीर राजनीति की शुरुआत चौधरी बंसीलाल के विरोध से हुई थी। 1987 के चुनाव के उन्होंने तोशाम सीट से चौधरी बंसीलाल को जबरन हराया था।

भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र में किरण और श्रुति काफी सक्रिय रही हैं। हर विधानसभा क्षेत्र में इनकी पैठ है। वहीं, भाजपा के टिकट के दावेदार भी हर सीट के लिए तैयार बैठे हैं। भिवानी जिले में लोहारू विधानसभा क्षेत्र से प्रदेश के वित्तमंत्री जेपी दलाल और बवानीखेड़ा से राज्यमंत्री बिशंबर वाल्मीकि भी अच्छा खासा रसूख रखते हैं। बवानी खेड़ा में रामकिशन फौजी किरण चौधरी की उपज थी लेकिन किरण चौधरी के अहंकार के चलते वह उनसे दूर हो गए।

बंसीलाल के गढ़ तोशाम विधानसभा की स्थिति तो यह वहां अब कांग्रेस में नहीं बल्कि भाजपा खेमें में अधिक खलबली मचनी तय है। तोशाम क्षेत्र में पूर्व विधायक शशिरंजन परमार और जिला परिषद की मौजूदा चेयरपर्सन अनिता मलिक टिकट के दावेदारों की दौड़ में हैं। 

इनके अलावा भी कई लोग यहां से टिकट पाने की जुगत में लगे हैं। ऐसे में अगर किरण चौधरी यहां से अपनी दावेदारी करती हैं तो फिर समीकरण कुछ और ही होंगे। किरण चौधरी लगातार तीन योजनाओं से तोशाम विधानसभा से मौजूदा विधायक रहती आ रही हैं।

लोकसभा के बाद चुनावी मोड़ में भाजपा

लोकसभा में 10 में से पांच सीटें गंवाने के बाद भाजपा की नजर कांग्रेस के बागियों पर है। लोकसभा चुनाव के बाद दीपेंद्र हुड्डा की खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए प्रदेश में सियासत शुरू हो गई है। भाजपा इस सीट को कांग्रेस से हथियाना चाहती है। 

वहीं कांग्रेस सीट बचाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव नजदीक होने के चलते भाजपा ऐसे उम्मीदवार को राज्यसभा भेजना चाहती है जो उसके सभी जातीय समीकरण को साध सके। भाजपा इस सीट के लिए ऐसे उम्मीदवार की तलाश भी लगभग पूरी कर चुकी है।

किरण और हुड्डा परिवार के बीच 36 का आंकड़ा

प्रदेश कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व किरण चौधरी की आपसी खींचतान जगजाहिर है। किरण चौधरी ने हाल ही में दिए बयान में हरियाणा में कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं होने की बात कह कांग्रेस छोड़ने के संकेत दे दिए थे। 

प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने भी कह दिया है कि सब स्वतंत्र हैं। अपने फैसले लेने का हक सभी को हैं। भूपेंद्र हुड्डा ने अपने प्रभाव से किरण चौधरी की बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी की टिकट काट राव दान सिंह को लोकसभा प्रत्याशी बनाकर इस खींचतान को और बढ़ाने का काम किया था।

भिवानी के कांग्रेस खेमे में अब हुड्डा गुट को मिलेगी मजबूती

किरण के कांग्रेस को अलविदा कहने के बाद भिवानी में भूपेंद्र हुड्डा का गुट मजबूत होगा क्योंकि हुड्डा के यहां हर विधानसभा क्षेत्र में न केवल कार्यकर्ताओं की अच्छी फौज है, बल्कि पूर्व विधायकों का बड़ा धड़ा भी उनके साथ खड़ा है। ऐसे हालातों में किरण के जाने के बाद हुड्डा गुट यहां पहले से अधिक मजबूत होगा। 

अब कांग्रेस में भतीजे का रास्ता साफ

कांग्रेस में किरण के रहते तोशाम से चुनाव लड़ने के अभिलाषी अनिरुद्ध चौधरी की ख्वाइश भी अब पूरी हो सकती है। अपनी चाची किरण चौधरी के कांग्रेस में रहते यह संभव नहीं हो सकता था। वहीं बाढ़डा सीट पर पूर्व विधायक व बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा भी कांग्रेस से मैदान में आ सकते हैं। बंसीलाल परिवार में महेंद्रा और किरण के बीच पारिवारिक विवाद भी जगजाहिर है। ऐसे में बंसीलाल परिवार का एक धड़ा कांग्रेस तो एक धड़ा भाजपा में रह सकता है।

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