प्रेरणा वृद्धाश्रम में पक्षियों के लिए रखा मिट्टी के बर्तनों में पानी, भोजन के रूप में डालते हैं चावल के टुकड़े एवं अनाज।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 30 मई : भीषण गर्मी के मौसम में आम आदमी बेहाल है तो पशु पक्षियों का क्या हाल होगा। इस बात को प्रेरणा वृद्धाश्रम में नन्हे बच्चों ने समझा है। अपनों से दूर प्रेरणा वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों से प्रेरणा लेकर नन्ही आराध्या एवं आश्वी ने प्रतिदिन वृद्धाश्रम में पक्षियों के लिए मिट्टी के कसोरों में पीने को पानी और खाने को दाना रखना शुरू कर दिया है। इस के लिए नन्ही आराध्या एवं आश्वी प्रतिदिन अपने दादा डा. जय भगवान सिंगला के साथ वृद्धाश्रम में पहुंचती हैं। नन्हे बच्चों का उत्साह देखकर वृद्धाश्रम के बुजुर्ग भी काफी खुश होते हैं। उनका कहना है कि ऐसे संस्कार हर बच्चे में होने चाहिए।

प्रेरणा के संस्थापक डा. जय भगवान सिंगला ने बताया कि पहले नन्ही आराध्या एवं आश्वी में उत्सुकता होती थी कि छत पर पानी के कसोरे और दाना क्यों रखते हैं। पक्षियों के लिए पानी व भोजन की बात को समझने के बाद दोनों अपने मित्रों को साथ लेकर प्रेरणा वृद्धाश्रम परिसर तथा गार्डन में पक्षियों के लिए मिट्टी के बर्तनों में पानी रखने लगी। अब तो सुबह सुबह उठते ही घर में भी कहती हैं कि मम्मी सबसे पहले हमें पक्षियों को पानी रखना है और खाने को दाना डालना है। प्रेरणा वृद्धाश्रम में पक्षियों के लिए दो बार पानी रखा जाता है।

डा. सिंगला ने बताया कि भीषण गर्मी में दोपहर बाद जब पानी गर्म हो जाता है उसको फिर से बदल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि बच्चों के मन में यह भाव देखकर हम सभी परिवार जनों के साथ वृद्धाश्रम के बुजुर्गों को भी बहुत प्रसन्नता होती है। डा. सिंगला ने कहा कि अपनी पोतियों के उत्साह देखकर हमें लगा कि यह बच्चे अपने परिवार की परंपरा को पूरी तरह निभाएंगे। बच्चों को प्रोत्साहित करने में उनकी माता शिल्पा सिंगला का भी बहुत बड़ा हाथ है। वह उन्हें हमेशा नेक काम करने की प्रेरणा देती रहती है। यह सभी जानते हैं कि बच्चे अपने माता-पिता परिवार से और समाज से कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं।

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