डा. पी. सूर्यनारायण शास्त्री ने बताया सुदर्शन यज्ञ का महत्व।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 31 मई : देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से श्री जयराम विद्यापीठ की मुख्य यज्ञशाला में हैदराबाद से आए विद्वान आचार्यों एवं श्रद्धालुओं ने मंत्रोच्चारण के श्री सुदर्शन महायज्ञ एवं अनुष्ठान किया। जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि डा. पी. सूर्यनारायण शास्त्री ने विद्वान आचार्यों के साथ हैदराबाद से आए श्रद्धालुओं के लिए श्री सुदर्शन महायज्ञ एवं अनुष्ठान सम्पन्न करवाया गया। इस महायज्ञ में विश्व कल्याण, मानव सुरक्षा और रोगों पर विजय के लिए सुदर्शन चक्र का आह्वान किया गया।

डा. पी. सूर्यनारायण शास्त्री ने बताया कि सुदर्शन यज्ञ की उत्पत्ति सुदर्शन चक्र से हुई है, जो भगवान विष्णु (ब्रह्मांड के संरक्षक और पालनकर्ता) का सबसे बड़ा मानसिक हथियार है। सुदर्शन शब्द दो शब्दों – सु (जिसका अर्थ है शुभ) और दर्शन (जिसका अर्थ है दृष्टि) का मिश्रण है। तो सुदर्शन का अर्थ शुभ दृष्टि है। डा. पी. सूर्यनारायण शास्त्री ने बताया कि सुदर्शन चक्र एक ऊर्जावान चक्र के रूप में प्रकट होता है जो भगवान की इच्छा से घूमता है। सुदर्शन चक्र ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली उपकरण है जो खुशी, जीत और उपलब्धि के रास्ते में आने वाली हर चीज को दूर कर सकता है। जब भक्त इसे आह्वान करते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि यह भक्तों की इच्छाओं को पूरा करता है। इस अवसर पर पवन गर्ग, डा. रणबीर भारद्वाज, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक एवं प. पंकज इत्यादि भी मौजूद रहे।