राव से आखिर क्यों है जनता नाराज—

मोदी के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की कवायद–

राव मोदी के नाम पर लगाना चाहते है छक्का—

रेवाड़ी (सुरेंद्र गौड़ )

प्रदेश में 25 मई को मतदान होना है लेकिन अभी तक गुरुग्राम सीट की बात करें तो यहां पर ज्यादा राजनीतिक गर्मी नहीं देखी जा रही। भाजपा ने लगातार चार बार सांसद रहे राव इंद्रजीत सिंह पर एक बार फिर से दाव लगाया है लेकिन कांग्रेस अभी तक नाम तक तय नहीं कर पाई। भाजपा ने तीसरी बार राव इंद्रजीत सिंह को टिकट दिया है। राव को लेकर इस क्षेत्र में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। राजस्थान में दिया गया नारा “मोदी तेरे से बैर नहीं, राव तेरी खैर नहीं” अब गुरुग्राम लोकसभा सीट पर भी लोगों की जुबान पर सुना जा सकता है। लोगों को मलाल है कि वोट लेने के बाद पूरे 5 वर्ष तक माननीय सांसद के दर्शन तक नहीं होते। क्षेत्र की जनता का कहना है कि इस क्षेत्र ने हर बार राव इंद्रजीत सिंह को रिकॉर्ड तोड़ मत दिए लेकिन चुनाव जीतने के बाद आज तक धन्यवाद करने भी नहीं आए।

विपक्ष तो पहले ही उन पर आरोप लगाती रही है कि राव इंद्रजीत सिंह ने हमेशा ड्राइंग रूम में बैठकर राजनीति की है इस क्षेत्र की जनता के दुख सुख और विकास से उनका कोई वास्ता नहीं रहता। गत लोकसभा चुनाव में भी राव को जनता की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ा था। नाराजगी को देखते हुए राव ने घोषणा की थी कि इस बार चुनाव जीतने के बाद हर बड़े गांव में जाकर धन्यवाद दौरा करेंगे लेकिन उनकी यह घोषणा पूरे 5 वर्ष बीतने के बाद भी मात्र घोषणा ही रह गई। लोगों में चर्चा यह भी है कि भाजपा पिछले 10 वर्षों में राव का कोई मजबूत विकल्प नहीं खोज पाई। साथ ही विपक्ष के पास भी कोई मजबूत चेहरा नहीं था ऐसे में लोगों की मजबूरी थी कि राव को वोट देने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था। आज भी लगातार 20 वर्षों तक केंद्र में वजीर रहने के बावजूद राव इंद्रजीत सिंह मोदी के नाम पर ही वोट मांग रहे हैं। विपक्ष लगातार उनको चुनौती देती रही है कि राव अपने द्वारा कराये गये विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच जाएं लेकिन राव केवल मोदी की गारंटी ही जनता को गिना रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फरवरी व मार्च में उनके लोकसभा क्षेत्र में दो रैलिया कर चुके है। राव को पिछली बार की तरह इस बार भी केवल मोदी के नाम पर ही भरोसा है। चर्चा तो यहां तक है कि जब भी कोई उनसे विकास कार्यों पर चर्चा करता है तो वह सिर्फ एक ही बात कहते हैं कि जनता ने वोट नरेंद्र मोदी को दिया है उन्हें नहीं। राव से न केवल जनता ही खफा है बल्कि पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की भी नाराजगी उन्हें झेलनी पड़ेगी। भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े रणधीर सिंह कापड़ीवास की पार्टी में वापसी हो गई है लेकिन रिश्तों में आई दरार अभी तक नहीं भरी है। बादशाहपुर में राव नरवीर सिंह, दो बार उनके सामने चुनाव लड़ चुकी सुधा यादव, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की भी नाराजगी राव को झेलनी पड़ सकती है।लोगों में चर्चा है कि अगर कांग्रेस किसी मजबूत चेहरे को मैदान में उतारती है तो इस बार चुनाव रोचक हो सकता है।

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