जो महेन्दगढ़ प्रशासन, पुलिस व शिक्षा विभाग इस हदय विदारक घटना के लिए जिम्मेदार है, भला वे क्या स्वयं जांच करेंगे? विद्रोही

जांच के नाम पर लीपापोती करके मामले को ठंडा करके पूर्व की तरह निजी स्कूल संचालकों की मनमानी करने का अवसर भाजपा सरकार सुनियोजित रणनीति के तहत देना चाहती है : विद्रोही

12 अप्रैल 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने जिला महेन्द्रगढ़ के कनीना कस्बे के पास एक निजी स्कूल की बस पलटने से 8 मासूम बच्चों की मौत व एक दर्जन से ज्यादा स्कूली बच्चों के गंभीर रूप से घायल होने पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए हर मृतक परिवारजनों के प्रति गहरी शोक संवेदना प्रकट की व घायल बच्चों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। विद्रोही ने कहा कि कनीना के पास एक निजी स्कूल की बस घटना एक साधारण घटना न होकर पूरे हरियाणा में निजी स्कूल संचालकों की मनमानी का ऐसा प्रमाण है जो बताता है कि निजी स्कूल न केवल सरकारी नियमों की अवेहलना करते है अपितु पैसा कमाने व बचाने के लिए मासूम बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ भी करते है। प्रशासन व भाजपा सरकार ने कनीना के सम्बन्धित जीएल पब्लिक स्कूल की बस पलटने व बच्चों की मौत के जांच आदेश का लालीपोप तो थमाया है, पर जो महेन्दगढ़ प्रशासन, पुलिस व शिक्षा विभाग इस हदय विदारक घटना के लिए जिम्मेदार है, भला वे क्या स्वयं जांच करेंगे? जांच के नाम पर लीपापोती करके मामले को ठंडा करके पूर्व की तरह निजी स्कूल संचालकों की मनमानी करने का अवसर भाजपा सरकार सुनियोजित रणनीति के तहत देना चाहती है।  

विद्रोही ने कहा कि यदि भाजपा सरकार ईमानदार व गंभीर होती तो कनीना के पास निजी स्कूल बस पलटने की घटना को एक वेकअप काल के रूप में लेकर पूरे प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए इस घटना की जांच पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज को सौंपकर ऐसी सिफारिशे उनसे मांगनी चाहिए कि प्रदेश में फिर ऐसी घटना दोबारा न हो। सवाल उठता है कि ईद की सरकारी छुट्टी के दिन कनीना के इस जीएल पब्लिक स्कूल सहित पूरे प्रदेश के अधिकांश निजी स्कूल खुले क्यों थे? निजी स्कूल सरकारी छुट्टियों व आपातकाल में स्कूल बंद रखने के सरकारी निर्देशों की पूरे हरियाणा में खुलेआम धज्जियां क्यों उड़ाते है?

कहीं भी बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस, ड्राईवरों के लाईसेंस पर पुलिस व प्रशासन नजर रखने की बजाय उपेक्षा क्यों करता है? कनीना में जिस बस का एक्सीडेंट हुआ, उस बस का फिटनेस प्रमाण पत्र लैप्स हो चुका था। सात सालों से इस बस का इंश्योरेंस नही था। वहीं सुप्रीम कोर्ट की भी गाईड लाईनों की उपेक्षा इस बस व प्रदेश के भी निजी स्कूल बसों में धडल्ले की जा रही है। सरकार पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में न्यायिक जांच से भागकर एसडीएम या एडीसी से जांच करवाकर लीपापोती क्यों करना चाहती है?  विद्रोही ने कहा कि अब समय आ गया है कि पूरे प्रदेश के निजी स्कूल संचालकों व सत्तारूढ़ नेताओं के नापाक गठजोड़ को तोडकर खुलेआम हो रही निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए कठोर कदम उठाये जाये। हर जिले में नियमों की परिपालना के लिए जिला उपायुक्त व जिला पुलिस अधीक्षक की जवाबदेही तय हो। वहीं नियमों की अवेहलना होने पर उपाुक्त व एसपी, जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर हर छोटे-बडे अधिकारी को जवाबदेह मानकर उनके खिलाफ कठोर प्रशसानिक व कानूनी कार्रवाई हो तभी सत्ता सरंक्षण प्राप्त निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाकर उनसे नियमों की परिपालना करवाई जा सकती है।    

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