जमा कराई गई जुर्माना राशि का 12 प्रतिशत ब्याज सहित उपभोक्ता को किया जाए भुगतान

गुडग़ांव, 9 मार्च (अशोक): बिजली निगम द्वारा बिजली चोरी के मामले में निचली अदालत के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश सूर्यप्रताप सिंह की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए बिजली निगम की अपील को खारिज कर दिया है और बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि निचली अदालत के फैसले के अनुसार उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान 12 प्रतिशत ब्याज दर से किया जाए।

जवाहर नगर क्षेत्र के उपभोक्ता विरेंद्र कुमार मित्तल के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार 7 दिसम्बर 2017 को बिजली निगम के कर्मचारियों ने उपभोक्ता का बिजली का मीटर बदला था। आवास से उतारे गए बिजली मीटर की बिजली निगम ने लैबोरेट्री में जांच कराई और उपभोक्ता पर आरोप लगाए थे कि उसने मीटर के साथ छेड़छाड़ कर बिजली की चोरी की है और उपभोक्ता पर एक लाख 3 हजार 454 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था। बिजली निगम ने उपभोक्ता से कहा था कि यदि वह जुर्माना नहीं भरेगा तो उसका बिजली का कनेक्शन काट दिया जाएगा। जिस पर उपभोक्ता ने 9 नवम्बर 2020 को बिजली निगम कार्यालय में जुर्माना जमा कराकर 16 नवम्बर 2020 को बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस दायर कर दिया।

अधिवक्ता का कहना है कि सिविल जज अनिल कुमार की अदालत ने बिजली चोरी के मामले को गलत करार देते हुए बिजली निगम को 31 जनवरी 2023 को आदेश दिए थे कि जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान 12 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को किया जाए। अधिवक्ता का कहना है कि निचली अदालत के बिजली निगम ने उच्च अदालत में चुनौती दी थी। जिस पर अब उच्च अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है कि निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए बिजली निगम की अपील को खारिज कर दिया है। अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता बिजली निगम के खिलाफ ह्रासमेंट का केस दायर करने की तैयारी में लग गया है।

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