कर्जा चुकाने को भी कर्जा ले रही गठबंधन सरकार: कुमारी सैलजा

गलत वित्तीय प्रबंधन से प्रदेश पर कर्ज हुआ 04 लाख 51 हजार करोड़

महंगाई दर को देखें तो बढ़ोतरी वाला नहीं, कटौती वाला है बजट

चंडीगढ़, 27फरवरी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने एक ऐसा रिकॉर्ड बना दिया है, जो किसी भी मायने में सही नहीं ठहराया जा सकता। यह रिकॉर्ड गलत वित्तीय प्रबंधन के कारण बना है। जिसके कारण प्रदेश पर 04 लाख 51 हजार रुपये से अधिक का कर्ज हो चुका है और इससे भी हैरत की बात तो यह है कि लगातार बढ़ते कर्ज को चुकाने के लिए भी और कर्जा ले रही है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि गठबंधन सरकार द्वारा बजट में कुल कर्ज 3,17,982 करोड़ रुपये दिखाया गया है, जबकि सच्चाई यह है कि आज प्रदेश पर कुल 4,51,368 करोड़ रुपये (आंतरिक कर्ज 3,17,982, स्मॉल सेविंग 44000, बोर्ड व कॉरपोरेशन 43,955, बकाया बिजली बिल व सब्सिडी 46,193) का कर्जा हो चुका है। कितना चिंतनीय है कि प्रदेश पर जीएसडीपी का 41.2 प्रतिशत कर्जा हो गया है, जो 33 प्रतिशत की मानक सीमा से कहीं अधिक है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साल 2024-25 के लिए भी सरकार ने 67,163 करोड रुपये लोन लेने का प्रावधान किया है, जबकि पिछले लोन और उसके ब्याज का भुगतान करने पर ही 64,280 करोड़ रुपया खर्च हो जाएगा। यह नए कर्ज की 95.7 प्रतिशत राशि है। यानी पुराने लोन की किश्त देने के लिए सरकार नया कर्जा ले रही है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि इस बार बजट में महंगाई दर जितनी भी बढ़ोतरी नहीं की गई। प्रदेश की महंगाई दर 6.24 प्रतिशत है, जबकि बजट में सिर्फ 3.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई। कायदे से देखा जाए तो यह बढ़ोतरी नहीं, बल्कि 03 प्रतिशत की कटौती है। बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार ने महंगाई की आरबीआई की मानक सीमा 04 प्रतिशत को भी पार कर दिया है। ये राष्ट्रीय औसत 5.1 के मुकाबले भी 1.21 प्रतिशत ज्यादा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा सरकार द्वारा बजट में दावा किया गया है कि वो 55,420 करोड़ रुपये पूजीगत निर्माण में व्यय करेगी। जबकि, कर्ज की किश्त व पेशगी घटाकर यह सिर्फ 16,280 करोड़ रुपया ही बचता है, जो कुल बजट का मात्र 8.5 प्रतिशत है। यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। इससे कोई भी कल्याणकारी योजना या बड़ी परियोजना शुरू नहीं की जा सकती। इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि सरकार द्वारा बजट में जो बड़े-बड़े ऐलान किए गए, उनको अमलीजामा पहनाने के लिए उसके पास कोई राशि ही नहीं है।

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