इसी कारण पूर्व विधायक के तौर पर मिल रही थी एक कार्यकाल की पेंशन चंडीगढ़ — इनेलो के निवर्तमान प्रदेशाध्यक्ष नफे सिंह राठी, जिनकी रविवार 25 फरवरी 2024 की शाम अज्ञात हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी, वह हालांकि झज्जर जिले की बहादुरगढ़ विधानसभा सीट से निरंतर दो बार विधायक निर्वाचित हुए थे परन्तु रोचक बात यह है कि आधिकारिक तौर पर उनका विधायक के तौर पर एक ही कार्यकाल है एवं इसी कारण उन्हें हरियाणा विधानसभा सचिवालय से पूर्व विधायक के तौर पर दो नहीं बल्कि एक ही कार्यकाल की पेंशन प्राप्त हो रही थी. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि जब उन्होंने गत वर्ष प्रदेश विधानसभा के सभी पूर्व सदस्यों (विधायकों) को मिल रही पेंशन राशि बारे आर.टी.आई. आवेदन कर विस्तृत सूचना मांगी, तो उसमें नफे सिंह राठी को पूर्व विधायक के तौर पर केवल एक ही कार्यकाल अर्थात मई, 1996 से दिसम्बर, 1999 तक के कार्यकाल की पेंशन दी जा रही दर्शायी गयी. मई,1996 में वह समता पार्टी ( देवी लाल- ओपी चौटाला की पार्टी का तत्कालीन नाम जो बाद में पहले हरियाणा लोक दल राष्ट्रीय -हलोदरा और तत्पश्चात इंडियन नेशनल लोक दल- इनेलो बनी) के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे. हेमंत ने बताया कि हालांकि नफे सिंह राठी फरवरी, 2000 में भी बहादुरगढ़ सीट से इनेलो के टिकट पर दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए थे, इस प्रकार हालांकि उनकी पूर्व विधायक के तौर पर दो कार्यकाल की पेंशन बनती थी परन्तु चूँकि जनवरी, 2005 में सुप्रीम कोर्ट के संवेधानिक बेंच ने नफे सिंह राठी के विरूद्ध इलेक्शन पिटीशन की सुनवाई करते हुए उनके फरवरी, 2000 में बहादुरगढ़ विधानसभा सीट से विधायक के तौर पर जीते दूसरे विधानसभा चुनाव को रद्द घोषित कर दिया था क्योंकि मई,1999 में उन्हें हत्या के एक मामले में अदालत द्वारा दोषी घोषित कर उम्रकैद की सजा सुनाई गयी थी एवं फरवरी,2000 में बहादुरगढ़ सीट से दूसरा विधानसभा चुनाव लड़ते समय उक्त मामले में दोषसिद्धि और सजा बरकरार थी जिस कारण नफे सिंह राठी विधायक के तौर पर चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे, इसलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनका विधायक के तौर पर दूसरा चुनाव रद्द कर दिया गया था. इसी कारण हरियाणा विधानसभा द्वारा राठी को केवल उनके विधायक के तौर पर पहले कार्यकाल की ही पेंशन प्राप्त हो रही थी. हेमंत ने यह भी बताया कि नफे सिंह राठी द्वारा उनकी दोषसिद्धि एवं सजा के विरूद्ध दायर क्रिमिनल अपील की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने हालांकि अगस्त, 2001 में उन्हें उक्त केस में बरी कर दिया गया था और इस आधार पर हाईकोर्ट ने उनके निर्वाचन विरूद्ध दायर इलेक्शन पिटीशन को जुलाई, 2002 में खारिज कर दिया था और जिससे उनका दूसरा चुनाव वैध हो गया था परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी,2005 में हाई कोर्ट के उक्त निर्णय को पलट दिया था. बहरहाल, उसके बाद नफे सिंह राठी ने वर्ष 2005, 2009, 2014 और 2019 हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में भी बहादुरगढ़ सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा परन्तु उन चारों चुनावों में यह पराजित हो गये थे. इसी दौरान वह वर्ष 2009 में रोहतक लोकसभा सीट से भी चुनाव हार गए थे. Post navigation चुनाव आयोग की सुविधा का उठाएं फायदा, ऑनलाइन चेक करें वोटिंग लिस्ट में अपना नाम: अनुराग अग्रवाल कर्जा चुकाने को भी कर्जा ले रही गठबंधन सरकार: कुमारी सैलजा