भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। केन्द्रीय श्रमिक संगठन एआईयूटीयूसी व किसान संगठन एआईकेकेएम की बैठक आज एआईयूटीयूसी जिला प्रधान मास्टर सुबे सिंह की अध्यक्षता में पुराना लघु सचिवालय पार्क नारनौल में हुई। मीटिंग का संचालन जिला सचिव छाजूराम रावत ने किया। बैठक में केन्द्र व राज्य सरकारों की मजदूर-कर्मचारी ,किसान विरोधी व जन विरोधी  नीतियों के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी फेडरेशनों / एसोसियेशनों केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर ने आगामी 16 फरवरी को देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल और ग्रामीण बंद में बढ़ चढ़ कर भाग लेने का निर्णय लिया।

मीटिंग में वक्ताओं ने कहा कि सरकार मेहनतकश लोगों की रोजी-रोटी पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है । 44 श्रमकानूनों को खत्म कर उनकी जगह चार लेबर कोड लाकर यह काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने, छंटनी, लेऑफ व तालाबंदी की खुली छूट देने, हड़ताल करना व यूनियन बनाना असंभव बना देने, वेतन व सुविधा कटौती करने, वर्कलोड बढ़ाने, कच्चे कर्मचारियों को पक्का नहीं करने, रात्रि पाली में महिलाओं से ड्यूटी कराने जैसे घोर मजदूर- कर्मचारी विरोधी प्रावधान लागू कर रही है। यह बड़े संघर्ष से हासिल किए गए श्रमिक हितेषी कानूनों व  लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन रही है। एआईकेकेएमएस के जिला सचिव डा व्रतपाल सिंह ने कहा कि सरकार एमएसपी कानून बनाने से मुकर गई है । जन विरोधी बिजली बिल -2022 लाने पर आमादा है, जिससे किसानों के लिए सिंचाई महंगी व बिजली गरीबों की पंहुच से बाहर हो जाएंगी। इन जनविरोधी नीतियों और काले कानूनों के चलते मजदूर किसानों समेत तमाम मेहनतकश जनता का जीना दूभर होता जा रहा है। 

ऐसे में केन्द्रीय श्रमिक संगठन एआईयूटीयूसी व संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख घटक किसान संगठन एआईकेकेएम किसान – मजदूरों व मेहनतकश जनता से अपील करते हैं कि आगामी 16 फरवरी को औधौगिक हड़ताल व ग्रामीण बन्द में बढ़ चढ़ कर भाग लेकर किसान – मजदूर व जन विरोधी नीतियों को परास्त करने के लिए आगे आएं। आज की मीटिंग में एआईयूटीयूसी जिला के उप प्रधान सीताराम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका यूनियन हरियाणा की राज्य प्रधान कृष्णा देवी, बलजीत, कृष्णा, सुरेश कुमारी, निधी मित्तल, ग्रामीण चौकीदार संगठन के जिला प्रधान सुरेश चन्द नंगली, सुबे सिंह, ग्रामीण ट्यूबवेल ओपरटेर यूनियन के जिला प्रधान महेन्द्र सिंह चौहान, जिला सचिव सुरेंद्र कुमार मकसुसपुरिया भवन निर्माण कारीगर मजदूर यूनियन हरियाणा के महावीर प्रसाद गोद, राजकुमार,  बिनोद सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।

औधौगिक हड़ताल व ग्रामीण बन्द के प्रमुख मांगें:

• श्रम कानूनों में मालिकपरस्त बदलाव रद्द करो। मजदूर विरोधी चार लेबर कोड वापस लो। • श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 26000 रुपये महीना हो।

• केंद्र व राज्य सरकारों के कर्मचारियों के लिए नई पेंशन स्कीम खत्म कर पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करो। 

संगठित व असंगठित क्षेत्र में कार्यरत अन्य सभी मजदूरों को 12000 रुपये मासिक पेंशन मिले।

• महंगाई पर रोक लगाओ। सभी आवश्यक वस्तुओं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सस्ती दर पर जरूरतमंदों को उपलब्ध कराओ।

• बढ़ती बेरोजगारी व नौकरी छूटने की समस्या के समाधान के लिए सभी खाली पदों को स्थायी नियुक्ति के आधार पर भरा जाए। नई नौकरियों का सृजन करो। नई भर्ती पर लगी रोक हटाओ। ‘निश्चित अवधि के रोजगार’, आउटसोर्सिंग और नौकरियों की बारहमासी प्रकृति में ठेका प्रथा और कैजुअलीकरण बंद करो। कच्चे कर्मियों/मजदूरों को पक्का करो।

• मौलिक संवैधानिक अधिकार के रूप में ‘काम करने का अधिकार सुनिश्चित करो। बेतहाशा छँटनी, लेऑफ और कारखानाबंदी करना बंद करो।

• कार्यस्थल पर सभी श्रमिकों के स्वास्थ्य व सुरक्षा के प्रबंध हों। 

विनिवेश, उत्पादक संपत्तियों का मुद्रीकरण, पीएसयू की आउटसोर्सिंग सहित विभिन्न रूटों से शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी आदि बुनियादी सुविधाओं , रेलवे, रक्षा, बिजली, कोयला, तेल, इस्पात, दूरसंचार, डाक, परिवहन, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, बीमा, बैंकों सहित सार्वजनिक उपक्रमों व सरकारी उद्यमों का निजीकरण बंद करो।

 • सभी स्कीम वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दो, तब तक उन्हें श्रमिक का दर्जा दो और सभी सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले हितलाभों की गारंटी दो।

• आंगनवाड़ी कर्मियों को प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1500 रुपये व 750 रुपये मासिक मानदेय में बढ़ाकर दो।

आंगनवाड़ी केन्द्रों के किराए का भुगतान करो। उनके साथ हुए समझौते लागू करो। मिड-डे मील वर्करों को साल में 12 महीने का मानदेय दो व हर माह की 7 तारीख तक भुगतान हो।

• आशा वर्करों के रोके गये मानदेय का भुगतान हो और उनके साथ हुए समझौते तुरंत लागू हों।

• निर्माण मजदूरों के पंजीकरण व हितलाभ पर लगाई गई कठिन व आधारहीन शर्तें हटायी जाएं।

• असंगठित क्षेत्र के विभिन्न श्रेणियों के श्रमिकों को मौजूता कल्याण बोडों की सुरक्षा प्रदान करो और अन्य श्रेणी के श्रमिकों के लिए कल्याण बोडों की स्थापना करो। संगठित असंगठित क्षेत्रों के सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाओ। 

• मनरेगा मजदूरों को साल में 200 दिन काम और 600 रुपये प्रतिदिन दिहाड़ी हो।

• गारंटीशुदा खरीद के साथ सभी फसलों के लिए सी2+50% के रेट पर एमएसपी दो और छोटे और मध्यम किसान परिवारों को पूरी तरह कर्जमुक्त करने के लिए व्यापक पैमाने पर कर्जा माफ करो।

• आईपीसी, सीआरपीसी व साक्ष्य अधिनियम में किए गए सभी कठोर संशोधनों को निरस्त करो।

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