18 जनवरी से भटका बाघ 2303 लगभग 300 किलोमीटर का कर चुका है सफर, नहीं आ रहा गिरफ्त में 27 जनवरी को घुसा था बहरोड़ क्षेत्र में, आसपास के गांवों में वन विभाग ने किया अलर्ट हरियाणा के बाद राजस्थान बहरोड़ क्षेत्र में मचा रखी है दहशत भारत सारथी/ कौशिक नारनौल/ बहरोड़। अलवर सरिस्का टाइगर रिजर्व की बफर जोन से निकला हुआ ढाई साल का बाघ 2303 बहरोड के आसपास के गांव में लगातार घूम रहा है, लेकिन वन विभाग की पकड़ में नहीं आ रहा। दिन में सरसों में छिपे रहने के बाद शाम होते ही अपना लोकेशन बदलना शुरू कर देता है। कल मुंडावर तहसील के गांव सामदा की पहाड़ी के आसपास था, लेकिन रात को वहां से निकलकर मुंडावर के चिरूणी गांव में पहुंच गया। वन विभाग की टीम में सुबह होते ही पग मार्क देखना शुरू कर देती हैं। तालवृक्ष रेंजर दिलीप सिंह ने बताया कि आज गुरुवार को टाइगर के पद मार्क गांव चुड़ला से निकलते हुए हटूंड़ी चिरूणी के पास मिले हैं। जहां दिन में ड्रोन की सहायता से टाइगर की तलाश करने का प्रयास किया गया, लेकिन दिनभर तेज हवा के चलने के कारण ड्रोन उड़ नहीं पाया। रात के समय टाइगर को देखने और उसे ट्रेस करने के लिए पांच जगह अलग-अलग लोकेशन पर कैमरे लगाए गए, लेकिन टाइगर इन सभी लोकेशनों से बचकर निकल गया। जिससे कमरे में टाइगर कैद नहीं हो पाया। हरसौरा बानसूर के बांध से निकलने वाले नदी नुमा नाले में चला गया। इसके आसपास खेती की जा रही है। आसपास के लोगों को सूचना दे दी गई है और सचेत कर दिया गया है। 1 फरवरी गुरुवार को टाइगर एचडी 2303 के आखिरी पगमार्क मुंडावर के गांव चिरूणी के पास मिले वहां चुड़ला, हटुंडी, चिरूणी, गोपीपुरा, टेहड़की, इंदिरा बस्ती, ढ़ेलवास, आलनपुर, जीवनसिंहपुरा सहित आसपास के गांव व ढ़ाणियां शामिल है। यह बाघ 27 जनवरी को बहरोड़ के इलाके से लगाते हुए बर्ड़ोद के पास बामड़ोली मुंडावर के पहाड़ से लगते हुए खेतों की तरफ आया था। जहां इसके पगमार्क मिले थे। इसके बाद हरियाणा से टीम वापस राजस्थान पहुंच गई। इसके पीछे टीम में लगातार चल रही है। उन्होंने ग्रामीणों को अलर्ट किया हुआ है। सांय के समय खेतों से निकलकर घरों को लौट जाए यदि दिन में भी खेतों का काम करते हैं तो सरसों के खेतों में जाने से बचे, क्योंकि टाइगर सरसों के खेतों को अपने बचाव के लिए सबसे सुरक्षित जगह मानता है और वही छिपता है। सरिस्का बाघ अभ्यारण की टीम के अनुसार गत सोमवार को बाघ 2303 का मूवमेंट बहरोड के पास स्थित जैनपुर बास – पहाड़ी गांव में थी। महिला रविता को टाइगर सरसों के खेत में दिखाई दिया था। लेकिन उसके बाद किसी ने भी नहीं देखा। वन्यजीव विशेषज्ञ व सरिस्का अभयारण्य टीम के अनुसार उसके बाद यह सोतानाला की ओर बढ़ गया। बाघ को टैंकुलाइज नहीं कर पाई । इसकी वजह बाघ की मूवमेंट लगातार बदलना बताया जा रहा है। लगभग ढाई सौ से तीन सौ किलोमीटर की दूरी तय कर चुके टाइगर 2303 लगातार अपनी लोकेशन बदल रहा है। यह बाघ बहरोड के गांव बर्ड़ोद, शालू की ढाणी, लालपुर कीरतसिंहपुर, मुंडावर के गांव बापड़ोली सहित अनेक गांव से होता हुआ बांस पहाड़ी गांव की ओर बढ़ा। 27 जनवरी को सुबह ग्रामीणों ने बाघ के पगमार्क बापड़ोली के पहाड़ से लगते हुए सरसों के खेतों में देखें। 28 जनवरी को बहरोड के गांव ढ़िश और मुंडावर के गांव बधीन तथा गांव बसई चौहान में पहुंच गया था। 29 जनवरी को बहरोड़ क्षेत्र के गांव पहाड़ी और जैनपुर बास के खेतों में पहुंच गया था। जहां सरसों के पत्ते तोड़ रही महिला पर हमला किया लेकिन वह बच गई। यहां से उसने मूवमेंट किया और करीब 4: बजे वह वापस लौट गया। 30 जनवरी को बहरोड के गांव मोहम्मदपुर और बानसूर के गांव बबेली के बीच नदी में चला गया। 31 जनवरी को बबेली बानसूर क्षेत्र से निकलकर मुंडावर के गांव शामदा पहुंच गया। यहां टाइगर के पग मार्ग देखे गए हैं टीम आज यही मौजूद है। चार दिन से भाग 10 किलोमीटर के क्षेत्र में ही इधर-उधर विचरण कर रहा है। सरिस्का बाग परियोजना के रेंजर ने बताया टाइगर की उम्र ढाई साल है इसको रेडियो कॉलर नहीं लगाया गया क्योंकि अभी उसकी कम उम्र है यह सरिस्का से निकलने के बाद लगातार मूवमेंट कर रहा है। इसका लास्ट मूवमेंट सोतानाला के पास देखा गया है। इसके बाद इसकी ताजा लोकेशन शामदा की पहाड़ी के पास मिली है। टाइगर दिन में मूवमेंट नहीं करता और सरसों के खेतों में बैठ जाता है ऐसे में टाइगर को ट्रेस कर पाना और ट्रेंकुलाइज करने में कठिनाई हो रही है। लेकिन टाइगर रात के समय खेतों से मूवमेंट करता है। यहां बता दे की अलवर के सरिस्का जंगल से एक टाइगर 2303 गत 18 जनवरी को भटक कर कोटकासिम से होते हुए बसई वीरथल गांव में देखा गया। उसके बाद खुशखेड़ा गांव में पहुंचा। खुशखेड़ा गांव में उसने एक बुजुर्ग किसान रघुवीर पर हमला किया था। इसके बाद उसने दिशा बदली ओर शुक्रवार 20 जनवरी को रेवाड़ी जिला के धारूहेड़ा क्षेत्र भटसाना में देखा गया। उसने 20 -21 जनवरी में चार जगह लोकेशन बदली। गांव ततारपुर खालसा, भटसाना, खरखड़ा और जड़थल गांव में मूवमेंट करता रहा। 21 जनवरी को पहले खड़खड़ा गांव फिर बुढ़ी बावल में ट्रेस हुआ फिर अन्य गांवो में पहुंच गया था। रेवाड़ी के भटसाना गांव पहुंची सरिस्का टाइगर रिजर्व टीम के सदस्य हीरालाल और धर्म सिंह पर उसने हमला भी किया। बाघ के हमले से हीरालाल गंभीर रूप से घायल हो गए थे। वहीं धर्म सिंह उसकी दहाड़ सुनकर ही बेहोश हो गए थे। बाघ के आदमखोर होने के बारे में देवेंद्र प्रताप जगावत कहते हैं कि अभी ऐसी कोई बात नहीं है। Post navigation हेमंत सोरेन ही नहीं लालू प्रसाद, जयललिता, ओम प्रकाश चौटाला, चंद्रबाबू समेत ये मुख्यमंत्री जा चुके हैं जेल श्रमिक संगठनों की बैठक में 16 फरवरी को देशव्यापी औद्योगिक हड़ताल और ग्रामीण बंद में बढ़ चढ़ कर भाग लेने का निर्णय