हरियाणा में बीजेपी को सता रहा एंटी-इन्कमबेंसी का खौफ

हार से बचने के लिए पार्टी बना रही प्लान!

दोनों दाल 10 लोकसभा सीटों पर अलग-अलग चुनाव लड़ने की कर रहे हैं तैयारी

हरियाणा में जेजेपी छोड़ेगी बीजेपी का साथ, अकेले चुनाव लड़ने के संकेत दिए

भिवानी महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र से राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चुनाव लड़ने के दिए संकेत

अशोक कुमार कौशिक 

अयोध्या के रथ पर सवार होकर भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव करवा कर अपनी नैया पार लगाना चाह रही है। ऐसा इसलिए है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में 75 पार का नारा देकर 40 पर अटकी बीजेपी को 2024 में 10 साल की एंटी-इन्कमबेंसी का खौफ सता रहा है। बीजेपी को लग रहा है कि हरियाणा के मतदाताओं ने तो उसे पांच साल बाद 2019 में ही झटका दे दिया था लेकिन उसके 75 पार के बिछाए गए मेंटल ट्रैप में फंसे विपक्ष ने अपने कमजोर कैंपेन से सत्ता की दहलीज तक उसे पहुंचा दिया। लेकिन इस बार लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव नहीं हुए, तो सत्ता उसके लिए दूर की कौड़ी हो सकती है। 

हरियाणा में चुनाव के बाद बनी बीजेपी और जेजेपी गठबंधन लगता है चुनाव से पहले ही टूट जाएगा। सत्ताधारी बीजेपी और जेजेपी के नेताओं के हालिया बयान के बाद इसकी संभावना काफी बढ़ गई है। दरअसल, बीजेपी अध्यक्ष नड्डा द्वारा हरियाणा में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के संकेत देने के एक दिन बाद, इसके गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी ने कार्यकर्ताओं से पार्टी को ‘मिशन दुष्यंत 2024’ के लिए तैयार रहने को कहा है जिसका लक्ष्य पार्टी के नेता एवं उप मुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला को अगला मुख्यमंत्री बनाना है। 

आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ज्यादा समय नहीं बचा है और पार्टी कार्यकर्ताओं को ‘मिशन दुष्यंत 2024’ के लिए कमर कस लेनी चाहिए।

उन्होंने कार्यकर्ताओं से पार्टी की नीतियों और उपमुख्यमंत्री द्वारा किए गए विकास कार्यों के बारे में प्रचार करने के लिए घर-घर अभियान चलाने को कहा।

रैली में बोलते हुए, चौटाला ने पार्टी कार्यकर्ताओं से जेजेपी के ‘बूथ योद्धा’, ‘बूथ सखी’, ‘सदस्यता अभियान’ जैसे कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा करने और पार्टी को राज्य में सबसे मजबूत और सबसे बड़ा संगठन बनाने के लिए हाथ मिलाने का आह्वान किया। उन्होंने राज्य में गठबंधन सरकार के तहत किए गए जनकल्याणकारी कार्यों को भी गिनाया।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अजय सिंह चौटाला ने कहा कि पार्टी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा के साथ हरियाणा विधानसभा के चुनाव भी हो जाए इसकी भी प्रबल संभावना है।

उधर 6 जनवरी को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पंचकूला में फ्लॉप रोड शो के जरिये चुनावी आगाज तो कर दिया है लेकिन दो-तीन हजार की बमुश्किल जुटाई गई भीड़ और 7 किलोमीटर का घोषित रोड शो तकरीबन आधा किलोमीटर में ही खत्म होने के बाद चर्चाओं-कयासों का बाजार गर्म है। नड्डा के मंथन और बीजेपी कोर कमेटी की बैठक के बाद बाहर आई खबरें इस बात की तसदीक कर रही हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव भगवा दल के लिए गंभीर चिंता का सबब है। यही वजह है कि हरियाणा बीजेपी का बड़ा वर्ग लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव चाह रहा है। उसका मानना है कि यदि विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होते हैं, तो अयोध्या में श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा और तीन राज्यों में जीत के बाद बने माहौल में उसकी नैया पर हो सकती है। नहीं तो 10 साल के बाद सरकार के खिलाफ बनी एंटी-इन्कमबेंसी उसे सत्ता से दूर ले जाएगी।

बीजेपी नेताओं के लिए ऐसा सोचने की वजह 2019 विधानसभा चुनावों का सबक है। 2019 में बीजेपी ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 75 पार का नारा दिया था। बीजेपी की चुनाव मशीनरी ने 75 पार के नारे के साथ प्रदेश में ऐसा माहौल बना दिया था कि विपक्ष के साथ राज्य की जनता भी बीजेपी के बनाए इस जाल में फंस गई थी। इसी का नतीजा था कि लोग कह रहे थे कि वोट तो बीजेपी को नहीं देंगे लेकिन राज्य में सरकार तो उसी की बनेगी। यहां तक कि विपक्ष ने भी एक तरह से सरेंडर कर बीजेपी के लिए सत्ता का दरवाजा खोल दिया था। लेकिन जब विधानसभा चुनाव का नतीजा सामने आया तो वास्तविकता सामने थी। हरियाणा की जनता ने बीजेपी को नकार दिया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल मंत्रिमंडल के 7 दिग्गज मंत्री चुनाव हार गए थे। एक मात्र कैबिनेट मंत्री अंबाला कैंट से अनिल विज चुनाव जीत पाए थे। सोनीपत से कैबिनेट मंत्री कविता जैन, नारनौंद से वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, बादली से कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़, महेन्द्रगढ़ से शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा और इसराना से परिवहन मंत्री कृष्णलाल पंवार चुनाव हार गए थे। यहां तक कि बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला भी चुनाव हार गए थे। करनाल से मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जीत का अंतर भी पिछले चुनाव से कम हो गया था। 

90 सदस्यीय विधानसभा में 2014 में 47 सीटें जीतने वाली बीजेपी 40 पर अटक गई थी और 2014 में 15 जीतने वाली कांग्रेस की सीटें दोगुनी से भी बढ़कर 31 हो गई थीं। इन चुनाव परिणामों के बाद हरियाणा में यह चर्चा प्रबल थी कि विपक्ष ने थोड़ा भी जोर लगाया होता तो बीजेपी सत्ता से बाहर होती। विपक्ष को भी इसकी कसक अभी तक साल रही है। लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव कराने के पक्षधर हरियाणा बीजेपी के बड़े वर्ग को यही चिंता खाए जा रही है। बीजेपी के इन नेताओं का मानना है कि जनता ने तो उन्हें पांच साल बाद 2019 में ही झटका दे दिया था। वह भी उस वक्त इस तरह का परिणाम आया था जब 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक और इससे पहले पुलवामा ब्लास्ट के चलते देश में बीजेपी के पक्ष में जबरदस्त माहौल था और लोकसभा चुनाव के महज छह महीने के अंदर ही विधानसभा चुनाव हो गए थे। 

अब तो सरकार के 10 साल पूरे होने के बाद सरकार से जनता की नाराजगी ज्यादा है। लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव के पक्षधर नेताओं को तीसरी बार सत्ता उसी हालत में मिलती दिख रही है जब इस बुने जा रहे वर्तमान मायालोक में ही चुनाव करवा लिए जाएं। दिलचस्प तथ्य यह है कि राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर काबिज बीजेपी के सांसदों की राय इससे उलट आ रही है। उनको लगता है कि लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव हो गए तो सरकार की 10 साल की एंटी-इन्कमबेंसी का शिकार उन्हें होना पड़ेगा जिससे 2019 का प्रदर्शन दोहराना पार्टी के लिए मुश्किल होगा। मतलब बीजेपी की हरियाणा इकाई को लग रहा है कि लोकसभा के साथ विधानसभा के चुनाव नहीं हुए तो उनकी नैया डूब जाएगी और सांसदों को लग रहा है कि लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव हुए तो उनकी नैया डूब जाएगी। मामला बड़ा दिलचस्प है। 

बीजेपी के गढ़ में जेजेपी का मिशन-2024 

6 जनवरी को पंचकूला में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी के किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन न करने के ऐलान के अगले दिन 7 जनवरी को मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र करनाल में जन नायक जनता पार्टी ने मिशन 2024 का आगाज कर दिया। इसके लिए सीएम सिटी का चयन काफी मायने रखता है। जेजेपी की इस रैली में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को अगली बार मुख्यमंत्री बनाने के नारे भी लगे। बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इंडिया गठबंधन को काउंटर करने के लिए दिल्ली के पांच सितारा होटल में एनडीए के नाम पर आनन-फानन में जुटाए गए 38 दलों में शामिल रही जेजेपी की राहें क्या अलग हो गई हैं? क्या हरियाणा में एनडीए टूट गया है? क्या बीजेपी ने मान लिया है कि अब उसे चुनाव में किसी की जरूरत नहीं है? वह अकेले ही चुनाव जीतने में सक्षम है? इन तमाम सवालों के जवाब लोग खोज रहे हैं। हां, यह तो साफ है कि 2019 में 40 पर अटकने के बाद जेजेपी के साथ राज बांटने को मजबूर हुई बीजेपी में इस बात का दर्द आज भी है। वह चाहती है कि हरियाणा में अगर उसकी सरकार बने, तो अपने दम पर बने। लेकिन बीजेपी के गढ़ करनाल में रैली कर जेजेपी ने यह संदेश दे दिया है कि वह भी इस चुनौती के लिए तैयार है। जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने ऐलान कर दिया कि वह लोकसभा की सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संभावना है कि लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव करा दिए जाएं जिसके लिए वह तैयार हैं।

अब देखा जाए तो गठबंधन में शामिल दोनों पार्टियों की राष्ट्रीय अध्यक्ष एक स्वर में बात कर रहे हैं। इससे जाहिर होता है कि दाल में कुछ कल अवश्य है। वैसे भी हरियाणा में पिछली बार जब लोकसभा चुनाव हुए थे, दोनों दलों ने एक दूसरे के खिलाफ आग उगली थी। एक दूसरे के खिलाफ आरोप प्रत्यारोप लगाए थे। हालात यह रही कि भाजपा सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीती, दूसरी तरफ जननायक जनता पार्टी के हाथ कुछ नहीं आया।

राजस्थान में हो चुका है प्रयोग

अभी नवंबर माह में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी ने वहां 29 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। यह दीगर बात है कि सभी की जमानत जप्त हो गई, लेकिन इतना रहा कि दो-तीन सीटों पर जेजेपी ने वोट कटवा की भूमिका निभाई। जिसका सीधा लाभ भाजपा को हुआ। संभावना यह भी है कि अलग-अलग लड़ने पर फायदा दोनों दलों को मिल सकता है।

जिला महेंद्रगढ़ में बदलते समीकरण 

जजपा की ओर से जिला महेंद्रगढ़ की चारों विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी गई है। लोकसभा के लिए भी पार्टी अपना बयान दे चुकी है । डॉक्टर अजय सिंह चौटाला के मुताबिक अगर कानूनी अड़चन नहीं आई तो वह खुद नहीं तो उनके छोटे बेटे दिग्विजय सिंह चौटाला भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे । पार्टी की ओर से विधानसभा चुनाव की तैयारी के कार्यक्रम दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला के दौरे के बाद शुरू कर दिए गए। नारनौल में उनके पास राष्ट्रीय महासचिव नगर परिषद अध्यक्ष कमलेश सैनी का मजबूत चेहरा है। अटेली में पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अभिमन्यु राव और हल्का अध्यक्ष कुलदीप कलवाड़ी सक्रिय हो चुके हैं। महेंद्रगढ़ में पिछली बार रमेश पालड़ी उम्मीदवार थे। दुष्यंत चौटाला का पुराने कार्यकर्ता राजकुमार खातौद के घर भोजन करने जाने से अब माना जा रहा है कि पार्टी राजकुमार को बतौर उम्मीदवार मैदान उतार सकती है।

नांगल चौधरी में हो सकता है नया उलटफेर

नांगल चौधरी में पूर्व विधायक मूलाराम और उनकी पत्नी मंजू चौधरी के कांग्रेस में शामिल हो जाने के बाद पार्टी को बड़ा झटका लगा। वहां से जिला अध्यक्ष डॉक्टर मनीष शर्मा को सक्रिय किया गया । डॉ मनीष शर्मा को भी लेकर भाजपा उसे अपने दल में शामिल करने की कोशिश में है। इस आशय का संकेत गौड़ ब्राह्मण सभा नारनौल के एक समारोह में रामबिलास शर्मा ने दिए। इस समारोह में डॉक्टर मनीष शर्मा की उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि शर्मा के पीछे ‘जेजेपी’ है जिसे हम “बीजेपी’ करना चाहते हैं। इधर जिला महेंद्रगढ़ में एक और बड़ा उलटफेर होने की बातें सामने आ रही है। कहां जा रहा है कि एक पूर्व कांग्रेसी विधायक अति शीघ्र पार्टी को बाय-बाय टाटा कह सकते हैं। 

उधर डॉक्टर अजय चौटाला के दो दिवसीय दौरे के दौरान नारनौल के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश महता के यहां चाय पर जाना नांगल चौधरी में नई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दे रहा है,  कि नांगल चौधरी क्षेत्र से पार्टी अपनी खालीपन को किसी बड़े राजनीतिक चेहरे को सामने लाकर भर सकती है। इसकी जल्दी घोषणा हो जाने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो इस हल्के की राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे। 

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