प्रदेश के कई जिलों में हालत बद से बदतर हो चुके

 पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देशों को नहीं कर रहे लागू

चंडीगढ़, 13 जनवरी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य और उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में नशे की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है, लेकिन भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार सिर्फ खानापूर्ति करने में ही लगी है। कई जिलों में हालात बद से बदतर हो चुके हैं और बड़े नशा कारोबारियों तक पुलिस के हाथ पहुंच ही नहीं पा रहे। नशे के बढ़ते मामलों को देखते हुए जो निर्देश पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दिए थे, उन्हें लागू नहीं किया जा रहा है।

मीडिया का जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि आए दिन हाथ में लगी सिरिंज के साथ कभी बेसुध तो कभी जान गंवा चुके युवाओं की फोटो वायरल हो रही हैं। सबसे ज्यादा 18 से 35 साल के युवा इसकी चपेट में हैं। पंजाब से लगते इलाकों में ज्यादा ही समस्या खड़ी हो गई है। सबसे प्रभावित जिलों में फतेहाबाद, सिरसा, फरीदाबाद, रोहतक, अंबाला, गुरुग्राम, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, हिसार, जींद व कैथल की गिनती हो रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हरियाणा पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि साल 2023 तशा तस्करी व खरीद-फरोख्त की 3757 एफआईआर दर्ज की गई, जबकि 5330 नशा तस्करी के आरोपी गिरफ्तार हुए। इस हिसाब से हर रोज करीब 10 एफआईआर दर्ज हुई व 14 आरोपी अरेस्ट हुए। इस आंकड़े से नशे के कारोबार की प्रदेश में भयावह स्थिति का आंकलन किया जा सकता है। जितने मामले दर्ज का दावा किया जा रहा है, उससे कहीं अधिक तो पुलिस थाने तक पहुंचने से पहले ही रिश्वत लेकर रफा-दफा कर दिए जाते हैं।

कुमारी सैलजा ने कहा कि नशे के मामलों में स्वत: संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार को कुछ निर्देश दिए थे, जिनमें आत्महत्या से मरने वाले ड्रग एडिक्ट के परिवार को 05 लाख रुपये मुआवजा, ड्रग की एफआईआर करते समय उसके सरगना के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करने को कहा था। इसके साथ ही प्रत्येक जिले में ड्रग पुनर्वास केंद्र खोलने, हर शैक्षणिक संस्थान में नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने व इनके आसपास सादी वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात करने का निर्देश दिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नाबालिगों को शराब बेचने पर लाइसेंस रद्द करने, नशीली दवाओं के खिलाफ एसटीएफ गठित करने, नशीली दवाओं के कारोबार में शामिल लोगों को डेटाबेस व रिकॉर्ड रखकर उन नजर रखने, आदि निर्देश भी हाई कोर्ट ने दिए थे। लेकिन, भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने इनमें से अधिक को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इससे ड्रग माफिया और ड्रग के काले खतरे का साया प्रदेश के युवाओं पर लगातार मंडरा रहा है। नशा इतना अधिक पैर पसार चुका है कि अब लोग प्रदेश को उड़ता हरियाणा कहने लगे हैं।

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