हमारे देश में पिछले 10 वर्षों में खाद्य उत्पादन में 18.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है,इसी बीच जनसंख्या में 10.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है तो फिर भी देश में भूखमरी और कुपोषण क्यों बढ़ा है ?

स्कूल मर्जर प्रक्रिया का विरोध करने वाले शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ पर एफआईआर दर्ज कर दी जाती है और एफआईआर के माध्यम से राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है

कैथल, 06/01/2023 – जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा जारी धरना आज 467 वें दिन भी जारी रहा, धरने की अध्यक्षता रिटायर्ड कर्मचारी नेता अशोक शर्मा ने की, इस अवसर पर अशोक शर्मा ने कहा कि हमारे देश में पिछले 10 वर्षों में खाद्य उत्पादन में 18.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है,इसी बीच जनसंख्या में 10.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है तो फिर भी देश में भूखमरी और कुपोषण क्यों बढ़ा है ? यदि जनसंख्या ही इन दिक्कतों का कारण होती तो निश्चित रूप से भूखमरी और कुपोषण कम होने चाहिए थे। इससे साफ है कि आबादी का मसला केवल और केवल एक बहाना है, वास्तव में आम जनता निशाना है , शिक्षित और तर्कशील लोग ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करते, यह निर्णय लेना स्त्रियों का जनवादी अधिकार भी है।समाज में मौजूद अशिक्षा व संस्कृति के अभाव के लिए मौजूदा व्यवस्था ही इसके लिए जिम्मेदार है, लेकिन मौजूदा सरकार इस व्यवस्था में और भी अधिक इजाफा कर रही है। हरियाणा सरकार लड़कियों के स्कूलों को मर्जर के नाम पर बंद कर रही है और धार्मिक उन्माद के नाम पर जनता को लड़ाया जा रहा है। स्कूल मर्जर प्रक्रिया का विरोध करने वाले शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ पर एफआईआर दर्ज कर दी जाती है और एफआईआर के माध्यम से राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है, यह अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला होने के साथ साथ जनता के अधिकारों पर कुठाराघात है।

 बेरोजगारी बढ़ने का पहला बुनियादी ढांचागत कारण है मुनाफाखोर व्यवस्था, जहां उत्पादन का मकसद किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाना हो,जब इस मकसद से आम जनता की बेहतरी,उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति, कामगारों के लिए मानवीय काम करने की परिस्थितियां सुनिश्चित करना न हो तो फिर वहां तो बेरोजगारी ही बढ़ेगी,पिछले 10 वर्षों में बेरोजगारी द्वारा सारे रिकॉर्ड तोड़े जाने का कारण है, मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था का भयंकर कुप्रबंधन, इसके पीछे का असली मकसद है कि अडानी और अंबानी जैसों की मुनाफाखोरी में कोई कमी न आए। इन्हीं 10 वर्षों में निजीकरण की जो आंधी चली है, उसके कारण जबरदस्त छंटनी हुई है, केवल सरकारी आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2016 में 41.2 करोड़ लोगों के पास नौकरी थी, जबकि वर्ष 2021 में 40.4 करोड़ लोगों के पास नौकरी थी। वह भी तब जब सरकारी नौकरी होने की परिभाषा यह है कि अगर पिछले हफ्ते आपने किसी दिन काम किया है तो आपको नौकरीशुदा माना जाएगा, ऊपर से मोदी सरकार ने तो नौकरी के आंकड़े जुटाना ही बंद कर दिया है, ताकि सच्चाई लोगों के सामने न आ सके।

असलियत यह है कि अक्तूबर 2023 में बेरोजगारी दर ने फिर से नया रिकॉर्ड बनाया और सेण्टर फार मानीटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार 10.1 प्रतिशत से भी ऊपर चली गई। वर्ष 2021 तक नौजवानों में रोजगार दर 10.4 प्रतिशत थी अर्थात 100 नौजवानों में 90 बेरोजगार थे, मोदी सरकार के 10 साल के राज में ही हर मिनट 3,हर घंटे 182 और हर दिन 4400 नौकरियां घटी है। पहले नोटबंदी और फिर कोविड के दौरान कुप्रबंधन तरिके थोपे गए लाकडाऊन ने खास तौर पर जनता की रोजी रोटी को तबाह कर डाला और उसके बाद मोदी सरकार ने बेरोजगारी से निपटने का कोई ठोस कार्यक्रम नहीं बनाया।

धरने पर आज जयप्रकाश शास्त्री, सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक ईश्वर ढांडा, मदन पहलवान, बलवंत जाटान,धूप सिंह सिरोही, रामकरण बांगरा, रामशरण राविश, रमेश हरित, जयपाल फौजी, रमेश देबण, सतबीर, कलीराम , सुखपाल, मामचंद, वीरभान हाबड़ी, हजूर सिंह,भीम सिंह आदि भी उपस्थित थे।

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