फैसले के खिलाफ कोलकाता नेशनल काउंसिल की मीटिंग में होगा राष्ट्रव्यापी आंदोलन का ऐलान : लांबा हांसी, 5 दिसंबर। मनमोहन शर्मा केन्द्र सरकार द्वारा कर्मचारियों और पेंशन भोगियों के लिए आठवां वेतन आयोग गठित न करने के फैसले से करीब दो करोड़ कर्मचारियों एवं पेंशन भोगियों में आक्रोश पैदा हो गया है। केन्द्रीय वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन द्वारा जारी एक प्रेस बयान में साफ कर दिया है कि केन्द्र सरकार का 48.67 लाख केन्द्रीय कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनभोगियों के लिए आठवां वेतन आयोग गठित करने की कोई योजना नहीं है और ऐसा कुछ भी सरकार के पास लंबित नहीं है। इस बयान से केन्द्रीय एवं राज्य कर्मियों एवं पेंशनर्स को तगड़ा झटका लगा है और उनमें आक्रोश की लहर दौड़ गई है। क्योंकि सेंट्रल पे कमीशन से देश के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को वेतन एवं पेंशन में कुछ बढ़ोतरी की बड़ी आशा रहती है। केन्द्रीय कर्मचारियों, सशस्त्र बलों के कर्मचारियों और राज्य कर्मियों पर आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को जनवरी 2026 से लागू किया जाना प्रस्तावित है। इसलिए आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाना जरूरी है। फैसले के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ेंगे कर्मचारी कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने केंद्र सरकार के आठवां वेतन आयोग गठित न करने के फैसले को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसकी घोर निन्दा की है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ 28-30 दिसंबर को कोलकाता में होने वाली नेशनल काउंसिल की बैठक में केन्द्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ अन्य कर्मचारी संगठनों को साथ लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन का ऐलान करेगा। उन्होंने बताया कि नेशनल काउंसिल में सभी राज्यों से करीब 600 डेलीगेट्स भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों ने आंदोलन के दम पर दस साल बाद कर्मचारियों एवं पेंशन भोगियों के वेतनमान व पेंशन में संशोधन के लिए वेतन आयोग के गठन का प्रावधान करवाया हुआ है। उन्होंने बताया कि अब तक सात केन्द्रीय वेतन आयोग का गठन हुआ है और केंद्र सरकार ने इनकी सिफारिशों को केन्द्रीय कर्मचारियों एवं पेंशन भोगियों पर लागू किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सिफारिशों को केन्द्रीय कर्मचारियों एवं पेंशन भोगियों पर लागू करने के फैसले के तूरंत बाद राज्य सरकार अपने कर्मचारियों एवं पेंशन भोगियों पर उक्त सिफारिशों को लागू करते हैं। केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय आठवां वेतन आयोग गठित करने के इनकार के बाद राज्य कर्मियों का रास्ता अपने आप बंद हो गया है। उन्होंने बताया कि सरकार के आंकड़े के अनुसार लगभग 48.67 केन्द्रीय कर्मचारी और 67.95 लाख पेंशन भोगी है और इससे ज्यादा राज्य सरकारों और पीएसयू के कर्मचारी एवं पेंशनर्स है। सरकार के इस फैसले से दो करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों एवं पेंशनर्स में भारी आक्रोश है। राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि वित्त सचिव के बयान अनुसार केन्द्र सरकार एनपीएस में कुछ संशोधन करने जा रही है। सरकार ने पेंशन प्रणाली की समीक्षा के लिए वित्त सचिव के नेतृत्व में समिति का गठन किया था, जिसके बारे में वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन ने कहा, “हमने सभी संबद्ध पक्षों के साथ सलाह-मशविरा पूरा कर लिया है और हमारी रिपोर्ट जल्द ही दाखिल हो जाएगी। श्री लांबा ने दो टूक कहा कि कर्मचारियों को एनपीएस में कोई भी संशोधन मंजूर नहीं। देश का कर्मचारी पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली से कम पर सहमत नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि जब तक पुरानी पेंशन बहाली, आठवें वेतन आयोग का गठन,18 महीने के बकाया डीए डीआर का भुगतान, ठेका संविदा कर्मियों की रेगुलराइजेशन, निजीकरण पर रोक, खाली पदों को पक्की भर्ती से भरने, ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा, एनईपी को रद्द करने,एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई शर्तों को हटाने, पेंशनर्स की 65, 70, 75 व 80 साल की उम्र में बेसिक पेंशन में 5 प्रतिशत बढ़ोतरी करने आदि मांगों का समाधान नहीं होगा आंदोलन जारी रहेगा। Post navigation राष्ट्रपति ने फिर से बढ़ाया भारत सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. प्रवीण हंस का कार्यकाल …… हरियाणा सरकार की वायदा खिलाफी के खिलाफ जिला स्तरीय कन्वेंशन की : सुरेन्द्र यादव