जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा जारी धरना आज 413 वें दिन भी जारी

गत वर्ष 4801 स्कूल एक ही झटके में खत्म किए जा रहे थे, काफी जगह ये स्कूल बंद भी किए गए, इन्हीं स्कूलों का विरोध जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल ने किया था,

कैथल, 13/11/2023 – जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा जारी धरना आज 413 वें दिन भी जारी रहा, धरने की अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान सभा कैथल के जिला प्रधान महेंद्र सिंह व सर्व कर्मचारी संघ जिला कैथल के सचिव रामपाल शर्मा ने संयुक्त रूप से की, रामपाल शर्मा ने कहा कि हरियाणा सरकार को तुरंत जन शिक्षा अधिकार मंच के प्रतिनिधिमंडल को बुला कर बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने हरियाणा सरकार को कहा कि सरकार को मैडिकल और नान मैडिकल के स्कूलों को बंद नहीं करना चाहिए बल्कि इनकी उपलब्धता बच्चों की नजदीक पहुंच पर होने चाहिए, राज्य के सैकड़ों स्कूलों में आज भी एक भी अध्यापक नहीं है, ज्यादातर स्कूल ऐसे भी हैं जहां पर सभी विषयों के अध्यापक नहीं है। अतिथि अध्यापकों व अन्य अध्यापकों को जिले में रिक्त पद होते हुए भी 200-300 किलोमीटर दूर के जिलों में भेजकर घर से बेघर किया जा रहा है, महिला अध्यापिका इससे बहुत पीड़ित है,2017 में नियुक्त अध्यापकों को जिले तो दे दिए गए हैं लेकिन अभी तक उनको स्कूल अलाट नहीं हुए है, यह सरकार की ट्रांसफर पालिसी पर भी प्रश्नचिन्ह है।ऐसी नीतियां घोषित की गई है कि सरकारी स्कूल में 500 रुपए मासिक फीस अभिभावकों को देनी होगी व प्राईवेट स्कूलों में दाखिला लेने पर सरकार यानी जनता के पैसों से फीस दी जाएगी, प्राईवेट स्कूलों को दी जाने वाली राशि से सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो सकता है लेकिन सरकार ऐसा नहीं करेगी, क्या यह जायज है ? यह एक ऐसा जूमला है, जैसे गैस सिलेंडर से सब्सिडी खत्म,फ्री सिम का वायदा कर अब उसके स्थान पर 699,799 रुपए लिए जा रहे है, हमें आशंका है कि शिक्षा की चिराग योजना से ऐसा ही होने की अधिक संभावना है,हमारा दावे के साथ कहना है कि आने वाले समय में प्राईवेट स्कूलों को दी जाने वाले फीस खत्म करेंगे।

गत वर्ष 4801 स्कूल एक ही झटके में खत्म किए जा रहे थे, काफी जगह ये स्कूल बंद भी किए गए, इन्हीं स्कूलों का विरोध जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल ने किया था, यह विरोध बेहद जायज था।

अखिल भारतीय किसान सभा के जिला प्रधान महेंद्र सिंह ने कहा कि सुरेश द्रविड़ ने संवैधानिक परिपेक्ष्य में ही बात कही थी, उनके द्वारा कही गई बात किसी भी प्रकार से देश के खिलाफ नहीं थी बल्कि देशहित में थी, निजीकरण देश हित में नहीं हो सकता। निजीकरण का विरोध होना ही चाहिए।

उन्होंने हरियाणा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अब जो सरकारी स्कूल जो मुख्य राजमार्गों पर है, उनमें दुकान काट कर स्कूलों में साधन जुटाने को कहा जा रहा है, फिर हम सरकार को हर चीज पर टैक्स क्यों देते है ? हमें इस पर सोचने की आवश्यकता है। इसके लिए जनता की व्यापक एकजूटता जरुरी है।

जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल के संयोजक जयप्रकाश शास्त्री ने कहा कि सरकार द्वारा बहुत बड़ी संख्या में स्कूलों को बंद किया जा रहा है, इससे शिक्षकों के हजारों पद खत्म होंगे तथा इसके साथ साथ अलग अलग विषयों के अध्यापक, लिपिक,मिड डे मील वर्कर, चौकीदार, स्वीपर, सेवादार आदि के पद भी खत्म होंगे। रोजगार के अवसर खत्म होने से हरियाणा के युवाओं को और अधिक बेरोजगारी का सामना भी करना पड़ेगा।

 हरियाणा सरकार ने सारे स्कूलों की जमीनें, इमारतें,भवन अपने नाम करवा ली है ताकि इनको किसी को बेचने में कोई दिक्कत न हो,जब ये सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे तो सरकार इन्हें लीज और पट्टे पर देगी, यह हरियाणा की जनता से बहुत बड़ा धोखा वर्तमान सरकार द्वारा किया जा रहा है।

हमारा आंदोलन इन सभी बातों को लेकर है, हरियाणा सरकार को हमारे साथ बैठकर इन मुद्दों पर बातचीत करें अन्यथा 9 दिसंबर को कैथल में एक बड़ी रैली आयोजित की जाएगी। धरने पर आज हजूर सिंह, मंगता पाई, ओमपाल भाल, शमशेर कालिया, बलबीर सिंह, रमेश चहल, बिजेंद्र मोर, बलवंत जाटान, रामचंद्र मलिक, रणधीर ढुंढ़वा, वीरभान हाबड़ी, मामचंद खेड़ी सिम्बल, बलवंत रेतवाल, सुरेश द्रविड़, सतबीर प्यौदा रामदिया आदि भी उपस्थित थे।

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