वयोवृद्ध साहित्यकार डॉ. भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता के अभिनंदन ग्रंथ आस्था के पुजारी लोकार्पित

अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, हरियाणा द्वारा हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सहयोग से किया गया आयोजन

गुरुग्राम, 06 नवंबर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् हरियाणा द्वारा हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सहयोग से दिनांक 5 नवम्बर, 2023 रविवार को प्रातः 11 बजे से हरियाणा में परिषद् के संस्थापक तथा 25 से भी अधिक वर्षों तक प्रदेश महामंत्री रहे वयोवृद्ध साहित्यकार डॉ. भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता के अभिनंदन ग्रंथ आस्था के पुजारी का लोकार्पण राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जैकबपुरा में किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. कुलदीप अग्निहोत्री कार्यकारी उपाध्यक्ष हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी पंचकूला रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद् के प्रान्तीय अध्यक्ष प्रो. सारस्वत मोहन मनीषी ने की वहीं प्रान्तीय परिषद् के मार्गदर्शक डॉ. शिव कुमार खंडेलवाल का सानिध्य रहा और अकादमी के पूर्व निदेशक एवं परिषद् के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पूर्णमल गौड़ विशिष्ठ अतिथि के रूप में विराजमान रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन परिषद् के महामंत्री डॉ. मनोज भारत ने किया।

डॉ. मीनाक्षी पांडे द्वारा उच्चारित सरस्वती वंदना से प्रारंभ कार्यक्रम में डॉ. श्रुति शर्मा, अध्यक्ष रेवाड़ी शाखा ने अतिथियों का शाब्दिक स्वागत किया। विद्यालय की ओर से भी अतिथियों के सम्मान किया गया। अभिनंदन ग्रंथ के लोकार्पण के बाद प्रो. रमेशचन्द्र शर्मा कार्यकारी अध्यक्ष हरियाणा प्रांत ने डॉ. गुरुमैता के साथ अपने अनुभवों को साझा किया। प्रांतीय कोषाध्यक्ष हरीन्द्र यादव ने डॉ. गुरुमैता के गीत सागरमाथा मस्तक जिसका नामक गीत का सस्वर पाठ किया। डॉ. अग्निहोत्री ने अपने संबोधन में डॉ. गुरुमैता के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर प्रकाश डाला। उनका मत है कि साहित्यकार का सृजन अपने काल के सांस्कृतिक मूल्यों को व्याख्यायित करने वाला होना चाहिए। डॉ. पूर्णमल गौड़ ने गुरुमैता जी को वंदनीय बताया तो डॉ. खंडेलवाल ने कहा कि गुरुमैता जी का पूरा जीवन साहित्य औऱ परिषद् को समर्पित रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंगल की भावना रहित कोई भी सृजन साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं होता।

अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. मनाषी जी ने कहा कि गुरुमैता जी एक व्यक्ति मात्र नहीं हैं, वे अपने आप में एक संस्था हैं। हरियाणा के साहित्यिक परिवेश को राष्ट्रवाद की ओर उन्मुख करने में उनका योगदान अनुपमेय है। उन्होंने गुरुमैता जी पर लिखी अपनी एक कविता भी सुनाई।

इस कार्यक्रम के साक्षी बनने के लिए हरियाणा की विभिन्न इकाइयों से परिषद् सदस्य पधारे जिनमें सोनीपत से डॉ. अशोक बत्रा, डॉ. संतराम देसवाल, रामधन शर्मा, नरेश आकाश, डॉ. बी.के.बंसल, प्रहलाद सिंह, रेवाड़ी से गोपाल वसिष्ठ व तेजभान कुकरेजा, भिवानी से विनोद कुमार व विकास नसीब, दादरी से डॉ.अशोक मंगलेश, पलवल से महेन्द्र प्रसाद सिंगला, कैथल से डॉ. तेजिन्द्र रोहिल्ला व सतबीर जागलान, खरखौदा से नाहर सिंह दहिया, गुरुग्राम से डॉ.विजय नागपाल, डॉ.मुक्ता, त्रिलोक कौशिक, घमंडीलाल अग्रवाल, कृष्णलता यादव, सुशीला यादव, मोनिका शर्मा, कुसुम यादव, कमलेश कौशिक, सुरेन्द्र मनचंदा, अशोक छाबड़ा, नवीन भारद्वाज, ओमबीर यादव तथा डॉ. गुरुमैता के परिवारजन उपस्थित रहे। संगठन मंत्री डॉ.जगदीप राही ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

You May Have Missed

error: Content is protected !!