रामलीला का उद्देश्य यही है कि सभी जीवन को मर्यादित, संस्कारित होकर जीयें
महाभारत में मर्यादा का पालन नहीं हुआ, रामायण में पूरी मर्यादा
अब तक 300 रामायण लिखी जा चुकी हैं। सभी ने अपने-अपने हिसाब से व्याख्या 
पाश्चात्य संस्कृति को छोड़ अपनी संस्कृति अपनाकर संस्कारी बनें  
पदम पुराण से रामलीला के मंचन के बाद मुनिश्री अनुमान सागर ने की पत्रकारों से बात

फतह सिंह उजाला                                       

गुरुग्राम 25 अक्टूबर । पाठशाला प्रणेता मुनिश्री अनुमान सागर जी महाराज ने कहा कि श्रीराम की तरह ही आज के समय में माता-पिता, शिक्षक बच्चों में बचपन से ही ऐसे संस्कारों का समावेश करें, जिससे समाज में उनके संस्कारों की मिसाल दी जाए। समाज उनसे शिक्षा ले। पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भागकर हमने अपनी संस्कृति और संस्कारों को छोड़ दिया है। यही हमारे समाज का सबसे बड़ा नुकसान है। यह बात उन्होंने यहां श्री दिगम्बर जैन बारादरी में पत्रकारों से बातचीत में कही। 

 मुनिश्री अनुमान सागर जी महाराज ने यहां पदम पुराण के माध्यम से करवाई गई रामलीला का उल्लेख करते हुए कहा कि जैन धर्म के पदम पुराण के आधार पर रामलीला का उद्देश्य यही है कि सभी जीवन को मर्यादित, संस्कारित होकर जीयें। यही राम का जीवन रहा है। उनमें बचपन से ही ऐसे संस्कार दिए गए कि वे महलों में भी संस्कारित रहे और वन में भी संस्कारित रहे। जिस किसी भी व्यक्ति को बचपन से अच्छे संस्कार दिए जाते हैं तो वह जीवन पर्यन्त संस्कारित ही रहता है। श्रीराम ने हर जगह पर अपना आचरण सही रखा। वे शाकाकारी रहे। ऋषि-मुनियों को भी उन्होंने वनवास के दौरान संभाला। कभी ऐसी वस्तुओं का पान नहीं किया, जिससे कि उनकी मर्यादा भंग होती हो। उन्होंने कहा कि आज के समय में बहुत कुछ अप्रिय घट रहा है। हमें अपनी बेटियों को सुरक्षित रखना है। श्रीराम की मर्यादा का आगे जिक्र करते हुए मुनिश्री ने कहा कि 90 दिन तक राम-रावण के बीच युद्ध चला था। युद्ध में भी उन्होंने मर्यादा का पालन किया। मुनिश्री ने महाभारत और रामायण के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि महाभारत में मर्यादा का पालन नहीं हुआ। रामायण में पूरी मर्यादा रही। उन्होंने कहा कि सीता रावण के यहां हरकर भी सुरक्षित रही। रावण ने उनकी मर्जी के बिना उनको छुआ तक नहीं। लेकिन उन्होंने सीता का हरण करके अपने अहंकार का परिचय दिया। यही उनकी सबसे बड़ी गलती रही।  

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि अब तक करीब 300 रामायण लिखी जा चुकी हैं। सभी ने अपने-अपने हिसाब से व्याख्या की है। पदम पुराण में बताया गया है कि रावण को राम ने नहीं लक्ष्मण ने मारा था। पदम पुराण से रामलीला करने के पीछे का आशय बताते हुए मुनि श्री अनुमान सागर जी महाराज ने कहा कि पदम पुराण 1000 पन्नों का ग्रंथ है। आज के भागदौड़ भरे जीवन में बच्चों के पास भी इतना बड़ा ग्रंथ पढ़ऩे का समय नहीं है। इसलिए इसे रामलीला के माध्यम से मंचित करके बच्चों में संस्कार पैदा करने का प्रयास किया गया है। यहां कलाकारों को नहीं बुलाया गया, बल्कि जैन परिवारों ने मिलकर ही यह रामलीला की। आपस में जो रिश्ते हैं, उन्हीं रिश्तों से रामलीला में कलाकारों को भूमिका मिली। उदाहरण के तौर पर अगर कोई पति-पत्नी थे तो वे ही राम-सीता यहां बने। 

मुनिश्री ने कहा कि राम का जीवन संस्कारी है और संस्कार ही महान बनाते हैं। व्यक्ति जन्म से नहीं संस्कारों से महान बनता है। उन्होंने इस बात को प्रमुखता से कहा कि आज के समय में बच्चे संस्कारों से वंचित हैं। उन्हें संस्कार देने की बहुत जरूरत है। भौतिकता उन पर हावी हो रही है। वे पाश्चात्य संस्कृति में डूब रहे हैं। उन्होंने अपने धर्म के माध्यम से संस्कारवान बनाना है। इसके लिए स्कूलों में संस्कार देने की कक्षाएं लगनी चाहिए। महाराज श्री ने आजादी से पूर्व 1822 का जिक्र करते हुए कहा कि तब मैकाले नाम अंग्रेज ने यहां स्कूलों को बंद कर दिया था। आदेश जारी किया कि जो अंग्रेजी पढ़ेगा, उसी को नौकरी मिलेगी।

 इस अवसर पर जैन समाज के प्रधान संदीप जैन ने कहा कि चार महीने से यहां मुनि श्री का वर्षा योग चल रहा है। इसी दौरान यहां रामलीला का मंचन भी महाराजश्री के आशीर्वाद से किया गया। बच्चों, युवाओं को धर्म से जोडऩे का प्रयास कया गया है। महाराजश्री की देशभर में 900 पाठशालाएं चल रही हैं, जहां बच्चों में संस्कार सृजित करने का काम होता है। उन्होंने कहा कि रामलीला हमें संस्कारी बनाती है। हम किसी भी परिस्थिति में रहें, हम धैर्य से रहें।

जैन समाज के प्रवक्ता अभय जैन एडवोकेट ने कहा कि अब से 10 वर्ष पहले गुरुग्राम में पदम पुराण से रामलीला आयोजित की गई थी। इस बार महाराज श्री अनुमान सागर जी महाराज के आशीर्वाद से 10 साल बाद भी रामलीला मंचित की गई। इस रामलीला में 200 से अधिक जैन परिवारों के सदस्यों ने भाग लिया। यहां सभी परिवारजन रामलीला के मंच पर मंझे हुए कलाकार की तरह नजर आए। हर किसी में कॉन्फिडेेंस आया है। महिला टीम से नीरा जैन ने कहा कि रामलीला में महिलाओं में काफी उत्साह था। अभी तक हम सब सामान्य रामलीला देखते आए हैं। पदम पुराण से की गई रामलीला में कई नई जानकारियां मिलीं हंै। रामलीला में पात्रों ने बहुत अच्छा रोल किया। महाराज जी के आशीर्वाद से सभी को नई प्रेरणा मिली।                                       

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