जमा कराई गई जुर्माना राशि उपभोक्ता को वापिस की जाए 24 प्रतिशत ब्याज दर से  

गुडग़ांव, 20 अक्टूबर (अशोक) : बिजली चोरी के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज प्रगति राणा की अदालत ने बिजली निगम द्वारा उपभोक्ता पर लगाए गए आरोपों को गलत  करार देते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान 24 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को दिया जाए। सुशांत लोक क्षेत्र के उपभोक्ता राजेंद्र कुमार के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार 12 जनवरी 2015 को उपभोक्ता के आवास पर लगा बिजली का मीटर बिजली निगम ने उतारकर निगम की लेबोरेट्री में चैक  कराया था और उपभोक्ता पर मीटर से छेड़छाड़ कर बिजली चोरी के आरोप लगाए थे। जबकि उपभोक्ता का कहना है कि उसके सामने बिजली का मीटर बिजली निगम ने नहीं उतारा था।

बिजली निगम ने उपभोक्ता पर 95 हजार 958 रुपए का जुर्माना लगा दिया था और उपभोक्ता को बिजली निगम ने धमकाया कि जुर्माना राशि नहीं भरी तो उसका बिजली का कनेक्शन काट दिया जाएगा। जिस पर उपभोक्ता ने जुर्माना राशि का भुगतान बिजली निगम को कर दिया था। और बिजली निगम के खिलाफ जिला अदालत में मामला दायर कर दिया था। जिला अदालत ने इस मामले को सुनवाई के लिए निचली अदालत में 25 अक्तूबर 2016 को भेजने का आदेश दिया था। अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता ने निचली अदालत में 6 जनवरी 2017 को बिजली निगम के खिलाफ केस दायर कर दिया था। इस मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज की अदालत ने बिजली चोरी के मामले को गलत करार देते हुए आदेश दिए कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई धनराशि का भुगतान उपभोक्ता को 24 प्रतिशत ब्याज दर से वापिस किया जाए। अधिवक्ता का कहना है कि बिजली निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों के कारण उपभोक्ता को बड़ी दिमागी परेशानी हुई है। जिस पर वह इन अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दायर करने की तैयारी में जुटा है।

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