किसानों से कृषि कानूनों के विरोध का बदला ले रही भाजपा : अनुराग ढांडा
मंडियों में व्यवस्था के लिए किसान नहीं सरकार जिम्मेदार : अनुराग ढांडा
धान में कट के नाम पर किसानों से कैश लिया जा रहा : अनुराग ढांडा
किसानों को डीएपी सेंटरों पर चाइनिज डीएपी मिल रहा : अनुराग ढांडा
सरकार का किसानों को 80 हजार बेलर मशीनें देने का दावा, जबकि ग्राऊंड पर 20 हजार भी नहीं : अनुराग ढांडा
बेलर मशीनों की सब्सिडी में करोड़ों रुपए का घोटाला : अनुराग ढांडा
मजबूर किसानों पर एफआईआर और जुर्माना लगाना सही नहीं: अनुराग ढांडा

20 अक्टूबर, दिल्ली/चंडीगढ़ – आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर किसानों के मुद्दे पर खट्टर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि भाजपा की केंद्र और हरियाणा सरकार किसानों को टारगेट करके उनको कमजोर करने का काम कर रही है। क्योंकि किसानों ने जिस तरीके से कृषि कानूनों का विरोध किया, उसका बदला भाजपा किसानों से ले रही है। इस दौरान सैकड़ों लोग अपने समर्थकों के साथ विभिन्न पार्टियों को छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए। कांग्रेस एससी सेल की वाइस प्रेसिडेंट बीबो इंदौरा, हरियाणा विकास पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष संजय बिश्नोई, रतिया विधानसभा से कांग्रेस यूथ विंग के महासचिव विक्रम सिंह, भीखेवाला से मौजूदा सरपंच बलजीत नैन कांग्रेस छोड़कर, पूर्व ब्लॉक समिति सदस्य वेदपाल भाजपा छोड़कर, नरवाना के गांव गुरथली से बलबीर सिंह भाजपा छोड़कर, धमतान साहिब से रामकला भाजपा छोड़कर और कैथल के गांव शिमला से पूर्व सरपंच रामकुमार ने जजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्वाइन की।

अनुराग ढांडा ने कहा कि हरियाणा में किसान बहुत परेशान है। पिछले 6 दिनों से मंडियों में धान की खरीद नहीं हो रही है। जिसके कारण मंडियों में पड़ा हजारों टन धान बारिश में भीग गया और अब खरीददार कह रहे हैं कि धान में नमी है इसलिए नहीं खरीदा जा सकता। उन्होंने कहा कि अब सरकार की एक्सपोर्टर के साथ सहमति बन गई है और एक्सपोर्टर खरीद शुरु करने जा रहे हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार से मांग करती हैं कि पिछले 6 दिनों में किसानों को जो त्रासदी झेलनी पड़ी और बहुत सारे किसानों को कम कीमत पर धान बेचना पड़ा। सरकार उन किसानों के खाते में पूरा पैसा पहुंचाने का काम करे। इसके अलावा किसानों का जो धान भीग गया है और उसमें नमी आ गई है, उसकी खरीद की किमत में किसी प्रकार का कट न लगे।

उन्होंने कहा कि अब मंडियों में नया सिलसिला शुरू हो जाएगा, जिसमें किसानों को कहा जाएगा कि धान में नमी है, जिसकी वजह से कट लगेगा या खरीदेंगे नहीं। इस अव्यवस्था के लिए किसान नहीं सरकार जिम्मेदार है। यदि सरकार ने प्रोपर शेड की व्यवस्था नहीं की, समय पर उठान नहीं हुआ और समय पर खरीदी नहीं हुई तो इसकी जिम्मेदार सरकार है। अब कह रहे हैं कि खरीदी अब शुरु होगी लेकिन धान में नमी के कारण रेट नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा सरकार कह रही है कि पैसे सीधे किसान के खाते में जाएंगे तो कट कैसे लगेगा। जबकि मंडियों में खरीदी के समय किसानों से 30 रुपए, 50 रुपए और 100 रुपए जितना धान बेच रहा है के हिसाब से कैश लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों के पैसा मिलना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य है कि किसान से पहले कट का पैसा लिया जाता है और फिर उसकी खरीदी को ओके किया जाता है। फिर बाद में धान का पैसा किसान के खाते में पहुंचता है। सरकार किसानों के साथ जो खिलवाड़ कर रही है, उसको तुरंत प्रभाव से बंद करके किसानों को जो बारिश और अव्यवस्था के कारण नुकसान हुआ है, सरकार उसकी पूर्ति करे।

उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से डीएपी सेंटरों पर जो डीएपी डिस्ट्रीब्यूट किया जा रहा है, वो चाइनिज डीएपी है और पानी में सही से घूलता नहीं है, जिसकी वजह से डीएपी असर नहीं करता। इसके अलावा कहीं पर भी किसानों के लिए डीएपी की जितनी उपलब्धता होनी चाहिए वो नहीं है। सेंटरों पर किसानों की लंबी लंबी लाइन लग रही हैं। अब किसान के लिए अपनी जमीन तैयार करने और नई फसल लगाने का वक्त है, जिसके लिए किसानों को डीएपी चाहिए। इसलिए सरकार उपलब्धता सुनिश्चित करे ताकि किसान को इधर-उधर भटकना न पड़े। इसके अलावा सरकार डीएपी की क्वालिटी को इंश्योर करे। यदि सरकारी सिस्टम में मिलावटी खाद और बीज आ रहा है तो किसान किस पर भरोसा करें और कृषि को कैसे आगे बढाए। सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि पराली को लेकर सरकार की जितनी योजनाएं लागू होनी चाहिए थी, सरकार ने उस तरीके से वो योजनाएं लागू नहीं की। योजनाओं का जो लाभ किसानों के पास पहुंचना चाहिए था वो नहीं पहुंचा। यदि किसानों के पास मशीनों की उपलब्धता नहीं है, सरकारी योजना किसानों तक नहीं पहुंच रही है। ऐसी स्थिति में मजबूरी में यदि कोई किसान इस तरह का कदम उठाने को मजबूर होता है, यदि कहीं पर पराली जलाई जाती है तो सरकार उस पर लाखों रुपए का जुर्माना व केस दर्ज करती है। आम आदमी पार्टी उसका पूरजोर विरोध करती है। किसान यहां पर किसी भी तरीके से दोषी नहीं है, बल्कि पीड़ित है। यदि उनको सही तरीके से मशीनें उपलब्ध करवाई जाएं व सरकार उनको जागरुक करे तो पराली जलाने की घटनाएं खत्म की जा सकती हैं और प्रदूषण से निजात पाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि सरकार पराली को खत्म करने के लिए या उसके निस्तारण के लिए जो भी योजनाएं सरकार लेकर आई उनमें बड़े पैमाने पर घोटाले हुए हैं और वो योजनाएं जमीन पर लागू नहीं हो सकी हैं। इसलिए सरकार किसानों पर केस दर्ज न करके उनका साथ दे। उन्होंने कहा सरकार कहती है कि 80 हजार बेलर मशीनें किसानों को दी है, लेकिन ग्राऊंड पर 20 हजार मशीनें भी नहीं है। मशीनों के लिए बड़े पैमाने पर सब्सिडी दी जाती है, जिसमें करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है। इसी तरीके से सरकार सभी योजनाएं कागजों में लागू कर रही है, धरातल पर नहीं। इसी कारण पिछली साल के मुकाबले इस साल पराली जलाने की घटनाएं कई गुना बढ़ी हैं।