जमा कराई गई धनराशि को भविष्य में आने वाले बिजली के बिलों में किया जाए एडजस्ट

गुडग़ांव, 16 अक्टूबर (अशोक) : बिजली निगम द्वारा उपभोक्ता के बिल में अतिरिक्त चार्ज के अमाउंट के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज संचिता सिंह की अदालत ने बिजली निगम की इस कार्यवाही को गलत पाते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि 75 हजार 733 रुपए की धनराशि को आने वाले बिलों में समायोजित किया जाए। अदालत ने उपभोक्ता के हक में फैसला देते हुए कहा कि उपभोक्ता चाहे तो इस मामले से संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही भी कर सकता है।

ज्योति पार्क के उपभोक्ता राजेश आनंद के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजेश आनंद की न्यू कालोनी स्थित जितेंद्र बहल पार्क के पास एक दुकान है, जिसमें बिजली का कनेक्शन लगा हुआ है। उसके बिजली के बिल में 75 हजार 733 रुपए की अतिरिक्त धनराशि दिखाई गई। जिस पर उसने बिजली निगम के अधिकारियों से जानकारी हासिल की तो उसे बताया गया कि वर्ष 2014 से यह धनराशि उस पर बकाया चल रही है और यह धनराशि कुछ बिजली की रीडिंग की है। जिनका उसने भुगतान नहीं किया था। लेकिन इस बारे में बिजली निगम ने कोई जानकारी नहीं दी और उसे धमकाया कि वह पूरी धनराशि जमा कर दे, नहीं तो उसका बिजली का कनेक्शन काट दिया जाएगा। इसलिए मजबूर होकर उसने बिल की 82 हजार 903 रुपए की पूरी धनराशि जमा करा दी। जिसमें यह समायोजित धनराशि भी शामिल थी और 4 सितम्बर 2018 को बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस दायर कर दिया।

अधिवक्ता का कहना है कि अदालत ने मामले की सुनवाई की और बिजली निगम की अतिरिक्त धनराशि लगाए जाने को गलत ठहराते हुए बिजली निगम को आदेश दिया कि 75 हजार 733 की धनराशि उपभोक्ता के भविष्य में आने वाले बिजली के बिलों में एडजस्ट की जाए। अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता अदालत के इस आदेश को जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील भी करेगा कि उसको जमा राशि पर 24 प्रतिशत का ब्याज दिया जाए और यह धनराशि बिल में एडजस्ट न कर उसे इस धनराशि का चैक से भुगतान किया जाए, क्योंकि उसका बिजली का बिल प्रतिमाह करीब एक हजार रुपए आता है और इस धनराशि को बिजली के बिलों में एडजस्ट करने में करीब 7 साल लग जाएंगे।

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