प्रकृति के प्रति स्नेह के भाव बना देते हैं प्रकृति को शक्तिशाली  
सात्विक अन्न से ही मन में सात्विक विचारों की उत्पत्ति होती
ब्रह्माकुमारीज द्वारा विश्व खाद्य दिवस पर विशेष कार्यक्रम    
बोहङाकला ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ कार्यक्रम का आयोजन

फतह सिंह उजाला                                         

बोहङाकला / पटौदी 16 अक्टूबर । प्रकृति के प्रति स्नेह का भाव प्रकृति में शक्ति पैदा करता है। उक्त विचार ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी ने अपने आशीर्वचन देते हुए व्यक्त किए। आशा दीदी ने ब्रह्माकुमारीज संस्थान के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये बात कही। ओम शांति रिट्रीट सेंटर में विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कार्य के प्रति समर्पण भाव विष को भी अमृत बना देता है। प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का भाव जरूरी है। धरती मां हमें जो कुछ भी प्रदान करती है, उसके लिए उसका धन्यवाद दें। भोजन स्वीकारने से पहले ईश्वर का शुक्रिया करना जरूरी है। जिससे कि उसमें शक्तिशाली प्रकंपन भर जाते हैं। 

भुखमरी के समाधान के लिए सनातन मूल्य जरूरी

ब्रह्माकुमारीज मुख्यालय माउंट आबू से प्रभाग के संयोजक बीके सुमंत ने कहा कि आध्यात्मिकता में अन्न का विशेष महत्व है। कहते हैं जैसा अन्न वैसा मन। सात्विक अन्न से ही मन में सात्विक विचारों की उत्पत्ति होती है। विश्व भर में बढ़ते तामसिक भोजन के कारण ही मानव मन हिंसा और क्रोध का घर बनता जा रहा है। हमारे शास्त्रों में वर्णन है कि सात्विक अन्न से सतायु होती है। शुद्ध शाकाहारी भोजन परमात्मा को समर्पित कर पकाने और खाने से ही तन और मन शक्तिशाली बनते हैं। भोजन करते समय प्रसन्नचित होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि कृषि में योग की भूमिका को जानना जरूरी है। ईश्वरीय स्मृति में रहकर कृषि कार्य करने से फसल भी बहुत उत्तम होती है। भुखमरी के समाधान के लिए अन्न ही नहीं बल्कि सनातन मूल्यों को अपनाने की भी जरूरत है।    

 निरोगी काया का आधार शक्तिशाली अन्न 

जिला परिषद, गुरुग्राम की अध्यक्ष, दीपाली चौधरी ने कहा कि सबसे बड़ा सुख निरोगी काया है। लेकिन निरोगी काया का आधार शक्तिशाली अन्न है। उन्होंने कहा कि ओआरसी के आध्यात्मिक वातावरण ने उन्हें प्रभावित किया। दिल्ली, किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव, शिव कुमार शर्मा ने कहा कि जैविक खेती ही वास्तव में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का माध्यम हैं। उन्होंने जीवन में सात्विक अन्न को अपनाने का भी दृढ़ संकल्प लिया। संस्थान के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग के दिल्ली जोन संयोजक बीके जयप्रकाश ने अन्न के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज में भोजन की शुद्धता पर अधिक बल दिया जाता है। ईश्वरीय स्मृति में किया गया भोजन मन के श्रेष्ठ विचारों का आधार है। ध्यान रहे कि जीवन भोजन के लिए नहीं बल्कि जीने के लिए भोजन करना है। जब हम जीने के लिए खाते हैं तो उतना ही लेते हैं जितना आवश्यक होता है।

प्रभाग के दिल्ली जोन की संयोजिका बीके राज दीदी ने स्वागत वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि किसान अन्नदाता है। किसानों का खुशहाल जीवन ही देश में खुशहाली ला सकता है। प्रभाग के सक्रिय सदस्य बीके सत्यवीर ने संस्था का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान का कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग केवल देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपनी सेवाएं दे रहा है। प्रभाग का मूल उद्देश्य शाश्वत योगिक खेती को बढ़ावा देना है। 

आज जरूरत है जैविक खेती की

पलवल से प्रभाग के सक्रिय सदस्य बीके राजेंद्र ने कहा कि भोजन पकाने और खाने से ज्यादा महत्व अन्न के पैदावार के तरीके का है। आज जरूरत है जैविक खेती की। रासायनिक खेती के कारण ही आज बीमारियां बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति हमारी संवेदनाओं को ग्रहण करती है। इसलिए योग और जैविक आधार से हम अन्न को शुद्ध बना सकते हैं। ब्रह्माकुमारीज संस्था गांव-गांव में जाकर किसानों को जैविक खेती के बारे में जानकारी दे रही है।दिल्ली, अशोक विहार से बीके सुनीता ने श्रेष्ठ विचारों के द्वारा कृषि में योग के प्रयोग का अभ्यास कराया। उन्होंने बताया कि योग से प्रकृति में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे कि प्रकृति भी हमारी सहयोगी बनती है। कृषि विज्ञान केंद्र, गुरुग्राम की वैज्ञानिक अनामिका शर्मा एवं गाजियाबाद से आए कृषि के जानकार रविन्द्र शर्मा ने भी कार्यक्रम के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त की।

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