कांग्रेस हुड्डा को लोकसभा का चुनाव जड़वा सकती है, बीरेन्द्र सिंह के कांग्रेस में आने की बढ़ी उम्मीद, हुड्डा और बिरेन्द्र का अब उद्देश्य अपने बेटों को राजनीति में स्थापित करना

ईश्वर धामु

हरियाणा कांग्रेेेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के जातीय आधार पर चार उप मुख्यमंत्री बनने के ब्यान से आई कम्पन अभी थमी भी नहीं थी कि उन्होने चार में से एक महिला को उपमुख्यमंत्री बनाने का ब्यान दे दिया। बात यहीं रूकी नहीं हुड्डा ने तो यह भी कह डाला कि अगर मुख्यमंत्री जाट नहीं बना तो एक उपमुख्यमंत्री जाट होगा। इसके बाद तो पार्टी में तुफान आ गया। कांग्रेस का कोई नेता इसको हुड्डा का व्यक्तिगत ब्यान बता रहा है तो कोई उन पर जातपात की राजनीति करने का आरोप लगा रहा है। कांग्रेस के एक बड़़े नेता ने तो कह दिया कि यह नीतिगत फैसला है और इस पर पार्टी आलाकमान विचार करेगी। बताना होगा कि चार उपमुख्यमंत्री बनाने का विचार हुड्डा का नया नहीं है। पिछले चुनाव के समय जब अपनी उपेक्षा से आहत होकर उन्होने आलाकमान से बगावत कर रोहतक मेंं एक बड़ी रैली की थी, उसमें उन्होने पहली बार जातीय आधार पर उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की थी। उस समय उनकी यह घोषणा असरदार रही और पार्टी आलाकमान ने उनको मना लिया। इन सभी घटनाक्रम का मूल आधार तत्कालिन प्रदेश प्रधान अशोक तंवर से अनबन था। लेकिन अब पार्टी के हालात बिलकुल ही बदले हुए हंै।

परोक्ष में पार्टी की कमान हुड्डा पुत्र-पिता के पास है, चाहे कहने को पार्टी के प्रदेश प्रधान उदयभान है। जबकि हुड्डा का पार्टी खाते में मुकाबला करने को रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा और किरण चौधरी एक हुए हैं। लेकिन विधायकों का बहुमत हुड्डा के साथ है और हुड्डा के प्रदेश व्यापक प्रभाव से भी अब इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन लोकसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे समीप आता जा रहा है, हुड्डा के बारे में नए-नए विचार और चर्चाएं सामने आ रही है। राजनैतिक चर्चाकारों का तो यह भी कहना है कि समय आने पर वर्तमान में भाजपा में शामिल बीरेन्द्र सिंह डुमरखा कांग्रेस में हुड्डा के साथ आयेंगे? इस बारे अभी तो चर्चाओं का बाजार हीी गर्म है। इस बारे दलील दी जा रही है कि भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और बीरेेन्द्र सिंह अपने-अपने बेटों को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं। बीरेन्द्र सिंह का बेटा बिजेन्द्र सिंह वर्तमान में हिसार से भाजपा का सांसद है। परन्तु इस बार उनके अपने इस क्षेत्र में हालात अनुकु ल नहीं है। दूसरी ओर समझा जा रहा है कि बिजेन्द्र सिंह को उनके पिता बीरेन्द्र सिंह कांग्रेस में रह कर जल्द स्थापित कर सकते हैं। अगर साथ हुड्डा का मिल जाता है तो बिजेन्द्र सिंह को सांसद बनने से कोई नहीं रोक सकता। कांग्रेस के उच्च स्तरीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को भी कांग्रेस आलाकमान सांसद बना कर दिल्ली की राजनीति से जोडऩा चाहती है।

पहले 2019 में हुड्डा सोनीपत से लोकसभा का चुनाव हार गए थे। पर अब जिस रणनीति पर काम चल रहा है, उसके अनुसार बीरेन्द्र सिंह के कांग्रेस में आने पर उनके बेटे बिजेन्द्र सिंह को सोनीपत से पार्टी अपना उम्मीदवार बनायेगी और उसको जीताने की जिम्मेेदारी हुड्डा की लगाई जायेगी। सूत्र बताते हैं कि भूपेन्द्र सिंंह हुड्डा रोहतक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा जायेगा? अभी हुड्डा के अपने विधानसभा क्षेत्र गढ़ी-किलोई से कौन चुनाव लड़ेगा, यह अभी तय नहीं है। फिर भी सम्भावना जताई जा रही है कि हुड्डा के सांसद पुत्र दीपन्द्र हुड्डा का राज्यसभा से त्यागपत्र दिलवा कर विधानसभा का चुनाव लड़वाया जा सकता है। क्योकि दीपेन्द्र हुड्डा को सीएम बनाने का पिता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा का एक सपना है। इसी कड़ी में बीरेन्द्र सिंह अपने विधानसभा क्षेत्र उचाना से मैदान में उतरेंगे। बीरेन्द्र सिंह के अभी तक के ब्यान यही दर्शाते हैं कि वेंं एक बार फिर से उचाना जीतना चाहते हैं।

इन सम्भावित राजनैतिक हालातों में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा का जातीय आधार पर चार उपमुख्यमंत्री बनाने के ब्यान की अहमियत बढ़ जाती है। ऐसे में चाहे हुड्डा विधानसभा का चुनाव लड़े या लोकसभा का पर राजनीति उन्ही के इर्दगिर्द घुमेगी। ऐसे में जाट और महिला को उपमुख्यमंत्री बनाने के ब्यान से तो राजनैतिक समीकरण बदल ही गए हैं। पर हुड्डा विरोधी गुट के पास उपमुख्यमंत्री वाले ब्यान का सिवाए विरोध करने के अलावा ओर कोई तोड़ नहीं है। यह ब्यान देकर देखा जाए तो राजनैतिक बाजी अपने पाले में कर ली है।

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