हरियाणा कृषि विकास मेला-2023 में प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ की अनुपस्थिति से उठ रहे सवाल?

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में 8,9,10 तारीख को हरियाणा कृषि विकास मेला-2023 का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया। दूसरे दिन मुख्य अतिथि की भूमिका कृषि मंत्री जेपी दलाल ने निभाई और समापन सत्र में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर रहे। प्रेस विज्ञप्तियों के अनुसार मेला अत्याधिक सफल रहा, जिसने सभी आयाम पूरे किए। 

इस मेले में भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ की अनुपस्थिति अनेक प्रश्न उठा रही है। ओमप्रकाश धनखड़ दो कार्यकाल तक भाजपा कृषि मोर्चा के अध्यक्ष रहे। मनोहर लाल खट्टर की पहली विधानसभा में कृषि मंत्री रहे। अर्थात अगर कहें कि हरियाणा में किसानों का सबसे बड़ा चेहरा हैं तो शायद अनुचित ना होगा। 

प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ही नहीं अपितु हरियाणा भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष सतविंद्र मांढी व 22 जिलों से किसी किसान मोर्चे के अध्यक्ष की उपस्थिति इस मेले में दिखाई नहीं दी, जबकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला, बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग, हांसी से विधायक विनोद भ्याना, रतिया के विधायक लक्ष्मण नापा, मार्केट बोर्ड के चेयरमैन आदित्य देवीलाल आदि-आदि अनेक भाजपाई नेता वहां उपस्थित थे। 

भाजपा के कार्यकर्ताओं में चर्चा है कि शायद मुख्यमंत्री मनोहर लाल नहीं चाहते थे कि प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ इस कार्यक्रम में सम्मिलित हों, जिससे उनका कद बढ़े। कुछ का कहना है कि वह पार्टी के अन्य कार्यों में व्यस्त थे, इस कारण समय नहीं मिला। कुछ का कहना है कि समय की बात नहीं शायद आमंत्रण ही नहीं मिला और आमंत्रण मिलता, किसानों का कार्यक्रम था तो भाजपा के किसान मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष सतविंद्र मांढी व अन्य जिलों के किसान मोर्चों के जिला अध्यक्षों को आमंत्रित करना ही चाहिए था, किसी के पास आमंत्रण पहुंचा ही नहीं। अर्थात यह भव्य आयोजन किसानों का कर शायद मुख्यमंत्री यह दर्शाना चाहते हैं कि वह स्वयं ही सक्षम हैं हर कार्यक्रम करने में।

चर्चाओं का क्या चलती ही रहती हैं। कुछ का कहना था कि प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि जजपा से गठबंधन नहीं होना चाहिए लेकिन मुख्यमंत्री की इस चुप्पी है। इसी प्रकार मंत्री संदीप सिंह को धनखड़ जी ने अपने कार्यक्रम में आने से मना किया था और वह मुख्यमंत्री के साथ हैं। ऐसी ही अनेक उदाहरण देकर चर्चाएं चल रही हैं। सार यह निकला कि शायद प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को वह मान नहीं मिल रहा, जिसके वह अधिकारी हैं। इसके पीछे या तो ओमप्रकाश धनखड़ की कार्यशैली जिम्मेदार है या फिर उनका मुख्यमंत्री से सामंजस्य अच्छा नहीं है। जो भी है, चर्चा का विषय तो बन ही गया।