हनुमान चालीसा में निहित जीवन का वास्तविक सार : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। दिनांक 19 सितंबर 2023 श्री बोधराज सीकरी की हनुमान चालीसा मुहिम के तहत मंगलवार को ब्लिस बैंक्वेट हॉल के मालिक श्री संजीव कुमार द्वारा श्री हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन करवाया गया। ब्लिस बैंक्वेट हाल में पंचमुखी हनुमान जी के दरबार की छवि देखते ही बन रही थी। सायं लगभग 7 बजे श्री संजीव कुमार जी ने अपने पूरे परिवार के साथ पूजा-अर्चना की व पूजा के पश्चात सीकरी जी ने श्री संजीव कुमार के पूरे परिवार के साथ मिलकर ज्योत प्रचंड की। इसके पश्चात श्री गजेन्द्र गोसाई के द्वारा व्यास पीठ से, जिन पर माँ सरस्वती की अपार कृपा है, के द्वारा 21 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ वहां उपस्थित लगभग 350 साधकों को साथ लेकर व उनके साथ पँडित भीमदत्त ज्योतिषाचार्य सभी ने मिलकर 21-21बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया।

इसके अतिरिक्त जामपुर बिरादरी के शिव मंदिर ईस्ट ऑफ कैलाश में भी पचास लोगों ने 5-5 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया l इसके पश्चात प्रताप नगर के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन में सीकरी जी की अगुवाई में शाम को 100 लोगों के द्वारा 5-5 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। इस प्रकार बिल्स बैंक्वेट हाल में आयोजित 49 वें श्री हनुमान चालीसा के पाठ की कुल संख्या पिछली संख्या को मिलाकर 3,19,464 व साधकों की संख्या 21,667 हो गई है।

श्री संजीव कुमार जी के पूरे परिवार के द्वारा वहां उपस्थित सभी साधकों पर गुलाब के फूलों की वर्षा की गई। जिस तरह उनका पूरा परिवार और श्री बोधराज सीकरी, श्री गजेंद्र गोसाई जी के संकीर्तन ‘मेरी लगी राम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने’ शुरू किया तो पूरा पंडाल झूम उठा।

सीकरी जी ने अपने संबोधन में कहा कि अभी एक युवा बच्चे ने मुझसे पूछा कि हनुमान चालीसा से क्या लाभ है। मुझे बहुत प्रसन्नता हुई की युवा वर्ग में इसके लिए चेतना आई है। श्री सीकरी जी ने बताया कि हनुमान चालीसा 1600 ई. पूर्व यानि आज से लगभग 723 वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास जी ने उस समय लिखा जब अकबर ने उन्हें अपने दरबार में बुलाया और वह नहीं आये। तब अकबर ने नाराज होकर उन्हें फतेहुपर सीकरी जेल में डाल दिया, जहां उन्हें प्रेरणा प्राप्त हुई और उन्होंने श्री हनुमान चालीसा की रचना जेल में रहते हुए की। उन्हें जब जेल में डाला गया तो उस कारावास के बाहर लाखों बंदर इकट्ठे हुए और बंदरों ने सब तहस-नहस कर दिया। आखिरकार तुलसीदास जी का लोहा अकबर को भी मानना पड़ा और तुलसीदास जी को तुरंत रिहा करना पड़ा। इसके बाद बोधराज सीकरी ने अर्जुन के अभिमान को महाभारत के युद्ध के समय जो उन्हें हो गया था, उसे योगीराज कृष्ण ने कैसे दूर किया उसकी व्याख्या की।

हनुमान जी से वनवास के समय राम जी की भेंट और अपना परिचय जब हनुमान जी ने दिया, इसकी जब सीकरी जी अपने मुखारविंद से व्याख्या कर रहे थे, तो वहां बैठे सभी दर्शकों ने सीकरी जी का बड़े जोर शोर से करतल ध्वनि से स्वागत किया।
डॉक्टर अलका जी की गरिमायुक्त उपस्थिति रही।

इस अवसर पर यजमान संजीव कुमार चेयरमैन ब्लिस बैंक्वेट और उनकी पत्नी श्रीमती सरीना, उनके बेटे अभिनव सहित सगे संबंधी रोहित और सुमन धीमान के साथ-साथ डॉक्टर अलका शर्मा, गजेन्द्र गोसाईं, ओम प्रकाश कथूरिया, प्रमोद सलूजा, धर्मेंद्र बजाज, राम लाल ग्रोवर, अनिल कुमार, किशोरी लाल डुडेजा, रमेश कामरा, रमेश कालरा, सुभाष अरोड़ा, ए.के धीर, गिरिराज ढींगरा, के.के गांधी. अनिल मनचंदा, जगदीश बंसल, हरीश बेकरी के मालिक दविंदर, पूजा खेत्रपाल, पूनम भटनागर, पालम विहार के शेखर तनेजा और उनकी टीम, रमेश चुटानी, रवि मनोचा, सुभाष नागपाल, सुखदेव, राजेश गाबा, युधिष्ठर अल्माडी, द्वारका नाथ मक्कड़, राजीव छाबड़ा, रमेश मुंजाल, कृष्ण ग्रोवर, कृष्ण चावला, राजिंदर बजाज, चांद आहूजा, अर्जुन वशिष्ठ, राजपाल नासा, गुलशन अरोड़ा, राजपाल आहूजा, जगदीश डुडेजा, सुरिंदर बरेजा, वासदेव ग्रोवर, प्रभु दयाल कुमार, अर्जुन वशिष्ठ , हेमन्त मोंगिया, रूपम,नरिंदर कथूरिया, ओ.पी गाबा, दमन दीवान, महिला- ज्योत्सना बजाज, ज्योति बजाज, पुष्पा नासा, रचना बजाज, सीमा कपूर, निशी मोंगिया, सिमरन बजाज, शशि बजाज, सरोज चुटानी, सुरेश सीकरी व अन्य जन मौजूद रहे।

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