ओ आर सी के बीके सचिन के लिए बना जुनून हर्बल रंगोली अभी तक दो दर्जन से अधिक 3डी हर्बल रंगोली बनाई गई हर्बल रंगोली बनाने में इस्तेमाल दालों का एक दाना भी नहीं फेंका गया फतह सिंह उजाला बोहड़ा कला / पटौदी 19 सितंबर । महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा भी दालों से बनाई रंगोली को सराहा गया है , जी हां यह बिल्कुल सच है। सर्वोच्च पद पर आसीन किसी भी व्यक्ति के द्वारा जब किसी कलाकार की बनाई गई कलाकृति या अन्य कोई चित्रकारी की सरहाना की जाए तो ऐसी कलाकृति या चित्रकार में कोई ना कोई प्रेरणादाई खासियत अवश्य होगी । बीते दिनों महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जब ओम शांति रिट्रीट सेंटर के परिसर में पहुंची तो वहां पर विभिन्न प्रकार की दालों से बनाई गई ऑर्गेनिक या हर्बल 3डी रंगोली को कुछ पल खड़े रहकर देखने से नहीं रोक सकी। किसी भी कलाकार के लिए इस प्रकार के लम्हे अपने आप में बहुत बड़ा पुरस्कार भी हो सकते हैं। ओम शांति रिट्रीट सेंटर के ही बीके सचिन के लिए दालों से विभिन्न प्रकार की 3डी रंगोली या फिर कलाकृति को बनाना अब उनके लिए जुनून बन चुका है । विभिन्न महत्वपूर्ण मौको पर सचिन के द्वारा अलग-अलग विषयों पर औसतन 12 किलो दाल से 3डी रंगोली या फिर कलाकृति बनाई जा चुकी है। इनमें इंडिया गेट, विशालकाय तिरंगा, गजानन गणेश, राष्ट्रपति भवन व अन्य बहुत सी प्रख्यात स्थान या देवी देवताओं की रंगोली या फिर कलाकृति शामिल है । सामान्यतः सूखे रंगों से रंगोली बनाई जाती है, जो की 3डी के मुकाबले बनाना सरल होती है । बीके सचिन के मुताबिक 3डी रंगोली या फिर कलाकृति बनाने में बहुत ज्यादा होमवर्क करना पड़ता है । विभिन्न प्रकार की और रंगों की दाल से 3डी रंगोली या फिर कलाकृति को इस प्रकार बनाया जाता है कि वह देखने वाले को आकर्षित करते हुए एक प्रकार से सजीव चित्र महसूस हो । उन्होंने बताया अभी तक दो दर्जन से अधिक 3डी रंगोली या फिर कलाकृति जिसे की ऑर्गेनिक या हर्बल भी कहा जा सकता है, उनके द्वारा बनाई जा चुकी है । इस प्रकार की रंगोली या कलाकृति की सबसे महत्वपूर्ण खासियत यह है कि इन्हें बनाने में जो भी कुछ खाद्य सामग्री या फिर डाल का इस्तेमाल किया जाता है, इसका एक दाना भी अभी तक फेंक नहीं गया है। किसी भी रंगोली अथवा कलाकृति उसमें इस्तेमाल की गई खाद्य सामग्री या फिर दाल को सहयोगियों की मदद से अलग-अलग करके रखा जाता है । कई बार दाल और चावल की खिचड़ी भी बनाकर बतौर प्रसाद वितरित कर दी जाती है । बीके सचिन के मुताबिक इस प्रकार की ऑर्गेनिक या हर्बल 3डी रंगोली अथवा कलाकृति बनाने में पेपर वर्क भी किया जाता है । इसके बाद संबंधित रंगोली अथवा कलाकृति आकार प्रकार निर्धारित कर उसे साकार रुप दिया जाता है । ऐसी रंगोली या कलाकृति बनाने के पीछे यही संदेश देने का काम किया जा रहा है कि केमिकल युक्त रंगों का इस्तेमाल नहीं किया जाए । शुद्ध पर्यावरण और स्वच्छ वातावरण प्रतीक जीव क लिए बहुत आवश्यक है। आज जरुरत इस बात की है कि हम सभी प्रकृति के प्रति ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करें। Post navigation मुख्यमंत्री ने पटौदी तहसील के भोरा कलां में 4.00 एमएलडी एसटीपी के लिए पाइप चैनल बिछाने की दी मंजूरी 30 साल से बंद पड़ी फिरनी से अवैध कब्जा हटवाया