फरारी काटने थाईलैंड गया था भारत सारथी/ कौशिक डीग (भरतपुर)। हरियाणा से मोनू मानेसर की मंगलवार को गिरफ्तारी की गई थी, जिसके बाद उसे कोर्ट में पेश कर को सौंप दिया गया था. जुनैद-नासिर हत्याकांड को लेकर राजस्थान पुलिस मोनू मानेसर को लेकर गई थी. सुरक्षा कारणों की वजह से उसे भरतपुर के मथुरा गेट थाने में रखा गया, जहां डीग थाने की पुलिस मोनू मानेसर से पूछताछ में जुटी हुई है. राजस्थान पुलिस ने मोनू मानेसर को 2 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है. पूछताछ के दौरान मोनू मानेसर ने बड़ा खुलासा किया है. इसके अलावा मोनू मानेसर ने पुलिस पूछताछ में कई खुलासे किए हैं. उसने बताया कि गिरफ्तारी के 2 महीने पहले उसने थाईलैंड में फरारी काटी थी. इतना ही नहीं मोनू मानेसर ने अन्य आरोपियों को भी फरारी के दौरान शरण दी थी. ‘8 दिन पहले ही हो चुकी थी पूरी प्लानिंग’ मोनू मानेसर ने पूछताछ के दौरान बताया कि जुनैद और नासिर को सबक सिखाने के लिए 8 दिन पहले ही गैंग ने पूरी प्लानिंग कर ली थी. 14-15 फरवरी को अपहरण करने और अगली सुबह जलाकर मारने की पूरी साजिश पहले ही तैयार हो चुकी थी. यहां तक की ये भी पहले ही तय हो चुका था कि जुनैद और नासिर को कब और कहां से उठाना है. मोनू मानेसर का कहना है कि इस पूरी वारदात में शामिल एक अन्य अभियुक्त ने उसे जुनैद और नासिर की गाड़ी का नंबर और अन्य नंबर भी शेयर किया था. ‘बोलेरो में नहीं थी कोई गाय’ मोनू मानेसर के कहना है कि इसके बाद उसने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर जुनैद और नासिर को उठाने की पूरी प्लानिंग रची. घटना से 2-3 दिन पहले ही वो राजस्थान सीमा के पास सारी स्थितियां जांचकर गए थे. इसके बाद 14-15 फरवरी की रात को जुनैद और नासिर को उठा लिया गया. इस दौरान अपहरणकर्त्ताओं ने देखा कि उनकी बोलेरो में कोई गाय नहीं है. जिसकी सूचना मोनू मानेसर को दी गई. इसके बाद जुनैद और नासिर को जमकर पीटा गया. मोनू मानेसर ने बताया कि जुनैद और नासिर को फिरोजपुर झिरका थाने ले जाया गया. जहां पुलिस ने उन दोनों को लेने से मना कर दिया. जिसके बाद उन्हें जगंल में गाड़ी के साथ जला दिया गया. फरारी काटने थाईलैंड गया था दोस्त और परिजनों के पास छुपकर रहा : डीग पुलिस अधीक्षक बृजेश ज्योति उपाध्याय ने बताया कि गिरफ्तारी से दो माह पहले मोनू मानेसर फरारी काटने थाईलैंड गया था. वहां करीब 1 सप्ताह तक बैंकॉक में रुका था. मोनू मानेसर के साथ थाईलैंड और भी कई लोग गए थे. हत्याकांड के तुरंत बाद मोनू मानेसर गुड़गांव में अलग-अलग जगह छुप कर रहता था. घटना के बाद से ही उसने अपने मिलने वाले और दोस्तों के यहां पर रहकर फरारी काटी थी. मोनू ने अन्य आरोपी जो घटना में शामिल थे उनको भी शरण दी थी. अभी इस मामले में और भी गिरफ्तारियां होनी बाकी हैं. Post navigation व्यक्तिगत जीवन में ज्यादा से ज्यादा हिन्दी का प्रयोग करके हिन्दी को यर्थाथ में राष्ट्र भाषा का दर्जा दे : विद्रोही लॉरेंस ग्रुप में शामिल होना चाहता था कथित गौरक्षक मोनू मानेसर