गुडग़ांव, 8 सितम्बर (अशोक) :  बिजली चोरी के मामले में निचली अदालत द्वारा उपभोक्ता के हक में दिए गए फैसले को बिजली निगम की जिला अदालत में चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश सूर्यप्रताप सिंह की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार  रखते हुए खारिज कर दिया है।

बादशाहपुर क्षेत्र के उपभोक्ता नारायण सिंह के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 की 22
नवम्बर को बिजल निगम ने उपभोक्ता का बिजली का मीटर उतारकर बिजली निगम की लैब में चैक करवाया था और उपभोक्ता पर आरोप लगाए थे कि जांच में मीटर की बॉडी टैंपर्ड पाई गई है और उन पर एक लाख 20 हजार 230 रुपए का जुर्माना भी उसके बिल में समायोजित कर दिया था। उपभोक्ता ने बिजली निगम के अधिकारियों से आग्रह किया कि उसने मीटर से किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं की, लेकिन बिजली निगम के अधिकािरयों ने उनकी एक नहीं मानी।

बिजली निगम के आदेश के खिलाफ उपभोक्ता ने अदालत में केस दायर कर दिया था। 2019 की 31जुलाई को तत्कालीन अदालत ने फैसला दिया था कि फाइनल ऑर्डर आने तक जुर्माना राशि का 50 प्रतिशत बिजली निगम में जमा करा दिया जाए और निगम को यह आदेश भी दिया था कि उपभोक्ता का बिजली का कनेक्शन न काटा जाए। फाइनल ऑर्डर तत्कालीन सिविल जज साक्षी सैनी की अदालत ने देते हुए उपभोक्ता को बिजली चोरी के आरोपों से मुक्त कर दिया था और जमा की गई 50 प्रतिशत राशि यानि कि 60 हजार 115 रुपए 7 प्रतिशत ब्याज दर से वापिस करने के आदेश दिए थे।

अधिवक्ता का कहना है कि बिजली निगम ने अदालत के इस आदेश को जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। जिसे अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए खारिज कर दिया है। अधिवक्ता का कहना
है कि उपभोक्ता क्षेत्र का गणमान्य व्यक्ति है। बिजली निगम ने उन पर चोरी का केस बनाकर उसकी मानहानि की है। बिजली निगम के खिलाफ वह मानहानि का मामला भी दायर करेगा।

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