भारत को आजादी दिलाने, इसे सुरक्षित रखने और इसको सक्षम बनाने में मुस्लिमों का बहुत योगदान है।
गुलाम भारत में अंग्रेजों के दोस्त रहे आरएसएस जैसे संगठन आज मुस्लिमों की कुर्बानियों को भुला देना चाहती है

7/8/2023 :- ‘भारतीय राष्ट्र राज्य के निर्माण में हिंदुओं के साथ मुसलमानों का भी योगदान रहा है। जंगे-आजादी में केवल हिंदुओं ने ही नहीं बल्कि मुसलमानों ने भी अपनी कुर्बानियां दीं। लेकिन आज कुछ संघी विचारधारा वाली नफरती ताकतें विशेषकर टीवी चैनल मुसलमानों को गद्दार और देशद्रोही सिद्ध करने पर तुली हैं। और ये सब संभव ऐसे हो रहा है क्योंकि शायद लोगों ने आजादी के इतिहास को ठीक से नहीं पढ़ा। कुछ दिक्कतें इतिहासकारों की भी रहीं। उन्होंने मुसलमानों के योगदान को उस तरह रेखांकित नहीं किया जिस तरह हिंदू नायकों के योगदान को रेखांकित किया गया है।’ उक्त बातें महिला कांग्रेस नेत्री सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होंने देश में मुस्लिमों के खिलाफ साजिशन फैलाई जा रही नफरत पर बोलते हुए कहा कि आज मुल्क में सबसे अधिक खतरा संघ परिवार से है। ये लोग मुसलमानों के योगदान को नकार कर हिंदू राष्ट्र बनाने का ख्वाब देख रहे हैं। जबकि इस कौम ने 1498 की शुरुआत से लेकर 1947 तक मुसलमानों ने विदेशी आक्रमणकारियों से जंग लड़ते हुए ना सिर्फ शहीद हुए बल्कि बहुत कुछ कुर्बान कर दिया, देश की आजादी में इनका भी बहुत बड़ा योगदान रहा है जिसे कोई भी राष्ट्रभक्त नकार नहीं सकता।

आज हम आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले चंद नेताओं को ही जानते हैं और बंटवारे की कथा को सही परिप्रेक्ष्य में नही देख पाते क्योंकि इस विभाजन की तोहमत हम लोग अक्सर इकबाल और जिन्ना के माथे मढ़कर छुट्टी पा लेतें हैं। लेकिन इनके अलावा भी बहुत कुछ है इस इस्लाम में जिसने देश को अपना श्रेष्ठ दिया है।

मुस्लिम समुदाय से घृणा, नफरत और ईर्ष्या रखने वाले लोग बताएं की वो कितना जानते हैं इस्लाम और इसकी मान्यताओं के बारे में वो कितना जानते हैं इनकी कुर्बानियों के बारे में वो कितना जानते हैं इनके इतिहास, इनकी सभ्यता, संस्कृति, परिवेश और भाईचारे के बारे में शायद बहुत कुछ नही जानते होंगे तो फिर आप ये जरूर सोचना की फिर आपके दिलो – दिमाग में इनके प्रति नफरत क्यों भरी, कहीं आपका इस्तेमाल तो नही किया जा रहा? यही बात मुस्लिम समुदाय के लोगों से भी है की वो भी हिंदू विचारधारा को इतना नही जानते लेकिन वो भी नफरत करते हैं हिंदुओं से, अगर कुछ मुस्लिम अथवा हिंदू समुदाय के लोग बुरे अथवा अपराधी प्रवृति के हैं भी तो वो किस धर्म में नही है, फिर केवल मुस्लिम हिंदुओं को और हिंदू मुस्लिमों को निशाना क्यों बना रहे हैं, जबकि दोनों ही इसी देश का हिस्सा है।

वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के ज्यादातर मुस्लिम नेता- मौलाना अबुल कलाम आजाद, जाकिर हुसैन, रफी अहमद किदवई, बेगम हजरत महल, नवाब सिराजुदौला, शहजादा फिरोजशाह, अब्दुल गफ्फार खान, आसफ अली, अशफाकुल्ला खान, बदरूद्दीन तैयबजी…को देशवासियों से भरपूर प्यार और सम्मान मिला। उन्हें सरकार में ऊंचे ओहदे मिले, सड़कों और संस्थाओं को उनके नाम मिले, उनकी जीवनियां लिखी गईं और आज भी उनकी जयंतियां और पुण्यतिथियां नियमित तौर पर मनाई जाती हैं। मुगल साम्राज्य के अंतिम शहंशाह बहादुर शाह जफर को कैसे भुलाया जा सकता है जिसने 1857 की क्रांति का नेतृत्व किया था, जिसे अंग्रेजों ने काला पानी की सजा दी। इसी प्रकार से पहले रॉकेट आविष्कारक शेर-ए-मैसूर टिप्पू सुल्तान को भी भुलाया नही जा सकता जिसने अनेक युद्धों में अंग्रेजों को घुटने टिका दिए थे, टिप्पु सुल्तान ने ही मनुवादियों की एक घृणित रिवाज जिसमें दलित महिलाओं को अपने स्तन ढकने का अधिकार नहीं था उसे बदल कर इन महिलाओं को सम्मान का अधिकार दिलाया।

उन्होंने कहा कि मुस्लिमों ने बहुत कुछ किया है इस देश के लिए मौलाना आज़ाद, बख्त खान, गफ्फार खान से लेकर अमीर खुसरो, मलिक मुहम्मद जायसी, रहीमदास, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, मोहमद रफ़ी, रहमान, ज़हीर खान, सानिया मिर्ज़ा तथा 1971 के भारत – पाक युद्ध में अमेरिकी टैंकों को नष्ट करने वाले शहीद अब्दुल हामिद और मिसाइल मैन डॉक्टर अब्दुल कलाम आजाद तक, सबने हमेशा इस देश का सर गर्व से ऊँचा किया है।

पराधीन भारत में ‘गदर’, ‘लाल कुर्ती’ व ‘खुदाई खिदमतगार’ जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन चलाने वाले और जंगे आजादी को क्रांति का रूप देने वाले नारे ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ का उदघोष करने वाले लोग भी मुस्लिम ही थे।

उन्होंने कहा कि आज समाज में जाति और धर्म का जो ज़हर फ़ैल रहा है उसे हमे और आपको ही मिल के खत्म करना होगा। और ये तब हो पाएगा जब हम हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई की भावना से बाहर आके सबको एक भारतीय की तरह देखना प्रारम्भ करेंगे। उन्होंने मेवात के क्रांतिकारियों को भी याद करते हुए हुए कहा कि हसन खा मेवाती जो की राणा सांगा की फौज का सेनापति था, जिसने बाबर के खिलाफ लड़ाई लड़ी। बाबर ने हसन खा मेवाती को बहुत प्रलोभन भी दिया था। इसी प्रकार से अकबर के साथ राजा मानसिंह और सवाई राजा मान सिंह थे और महाराणा प्रताप के सेना पति हकीमखान थे ये सभी हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल रहे हैं। इतिहास से हम सभी ने सिख लेनी चाहिए की शिवाजी ने अपने हाथो जहां अफजल खान का मकबरा बनाया और रायगढ़ में जादगीश्वर मंदिर बनवाया वहीं उन्होंने साथ में अपने हाथो मस्जिद भी बनवाई। अपने जेहन में नफरत पालने वालों को ये जान लेना चाहिए कि ओरंगजेब की सेना में सेनापति राजा मान सिंह था तथा शिवाजी को आगरा किले से निकालने वाले मदारी मेहतर एक मुस्लिम था। हमें इतिहास से ये जानना चाहिए की बहुत से मुस्लिम राजाओं ने मंदिर भी बनवाए और हिंदू राजाओं ने मकबरे और मस्जिद भी बनवाई।

राजा अपने अपने साम्राज्य के लिए लड़ते थे। हिंदू मुस्लिम का कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ। जरा सोचिए, आंख खोलिए, इतिहास को जानिए।

इतिहास से ही एक घटना और है, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का मुंह बोला भाई नवाब अली बहादुर था, जिसको रानी राखी बांधती थी। जब रानी की मौत हुई तो नवाब अली बहादुर ने ही उनका अंतिम संस्कार किया था। जबकि ग्वालियर के महाराजा सिंधिया लक्ष्मीबाई के खिलाफ थे।

आज संघ की जहरीली विचारधारा को आगे बढ़ाने वाली ये बीजेपी सरकार इस हिंदू-मुस्लिम एकता इन मिसालों को नही समझ सकती, ना जान सकती और ना इसे अपना सकती है। देश के विभाजन के समय भी जिस मेवात में धार्मिक फ़साद नहीं हुआ, आज वहां धार्मिक उन्माद फैला कर राजनीतिक रोटियाँ सेकने वाले और वोटों के ध्रुवीकरण की राजनीति करने वाले इन सत्ताधारी सफ़ेदपोशों ने धार्मिक सद्भाव व भाईचारे की भूमि मेवात व हरियाणा को अपनी नालायकी से हिंदू – मुस्लिम दंगों की आग में झोंक दिया है।

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस जैसे संगठनों को आज उन मुसलमानों की कुर्बानी बिल्कुल भी याद नहीं है। यह संगठन उस ज़माने में अंग्रेज़ों के दोस्त थे और भारत के दुश्मन। आज के वक्त में इन मुठ्ठी भर लोगों ने बहुसंख्यक हिन्दू वर्ग में यह भ्रम फैला रखा है कि मुसलमानों ने इस देश की आज़ादी के लिए कुछ नहीं किया। ऐसे में उन्हें यह जान लेना चाहिए कि हिन्दुस्तान के लिए मुसलमान कुर्बानियां देतें आएं हैं और आगे भी देते रहेंगे।

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