भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम वर्तमान में बदहाली का शिकार है, जिसमें मुख्य रूप से सडक़, सफाई, सीवर इत्यादि के कारण हैं। सडक़ें टूटी हैं, सीवर बंद हैं वर्षों से साफ नहीं हुए हैं और सफाई की बात ही लिखना दुश्वार है। लोगों के घरों से कूड़ा उठाने का प्रबंध नहीं है, सडक़ों पर जगह-जगह कूड़े के ढ़ेर लगे हैं, अपने घर का कूड़ा डालने के लिए जनता रात को चोरी-छिपे कहीं डालकर आती है। उसके पीछे कारण यही है कि कूड़ा उठाने की एजेंसी नदारद नजर आती है। सफाई ठेकेदार मगरूर हैं, क्योंकि उन्हें सत्ता का संरक्षण है। इस गंदगी से लोगों के घरों में बीमारियां घर करने लगी हैं, जिसका प्रमाण डॉक्टरों पर बढ़ती भीड़ है।

गुरुग्राम हरियाणा का सबसे अधिक राजस्व देने वाला जिला है। फिर इसकी यह स्थिति विचारनीय है। उपरोक्त जो कार्य मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं, वे सब गुरुग्राम निगम से संबंधित हैं और निगम के बारे में कहें तो जब से गुरुग्राम बना है, तभी से निगम पर टीम इंद्रजीत का ही वर्चस्व रहा है। 

आन-बान-शान से बनाए मेयर, आन-बान-शान से क्या गिनवाएंगे काम :

सर्वप्रथम जब निगम के लिए चुनाव हुए तो निगम के मेयर विमल यादव बने थे और वह भी राव इंद्रजीत सिंह की अनुकंपा से। राव इंद्रजीत सिंह ने उस समय कहा था कि आन-बान-शान का सवाल है, मेयर टीम तो हमारी ही बनेगी और उन्होंने विमल यादव को मेयर, यशपाल बतरा को सीनियर डिप्टी मेयर और परमिन्दर कटारिया को डिप्टी मेयर बनाया।

विचारनीय है कि उस समय राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस में होते थे और डिप्टी मेयर परमिन्दर कटारिया भाजपा में थे लेकिन समीकरण बिठाने के लिए उन्हें लेना आवश्यक था तो उन्हें डिप्टी मेयर बनाया।

अब दूसरी बार नगर निगम की मेयर मधु आजाद को बनाया, प्रमिला कबलाना को सीनियर डिप्टी मेयर और सुनीता यादव डिप्टी मेयर को बनाया। इस बार भी बात वही आन-बान-शान की थी और इस समय राव इंद्रजीत सिंह भाजपा में आ चुके थे, जबकि गजे सिंह कबलाना कांग्रेस में थे। तो शायद निवर्वाद रूप से कह सकते हैं कि गुरुग्राम निगम के कार्यों पर राव इंद्रजीत सिंह की पूर्ण नजर थी या कहें कि उनके इशारों से ही संचालित होते थे तो शायद अनुचित न होगा।

वर्तमान में गुरुग्राम के नागरिकों में यह चर्चा जोरों पर है कि निगम ने पिछले समय में कार्य भली प्रकार से नहीं किए, जिसका खामियाजा अब गुरुग्राम भुगत रहा है। कहने वालों ने तो यहां तक कहा कि कहावत चरितार्थ हो रही है कि अंधी पीसे और कुत्ता खाये।

वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या कूड़ा निष्पादन की है, जो गुरुग्राम में नहीं हो रहा। जिस इकोग्रीन कंपनी को इस कार्य का ठेका दिया हुआ है, वह आरंभ से ही सवालों के घेरों में रही है। यहां तक कि निगम सामान्य मीटिंग में 35 के 35 पार्षद इसके विरोध में बोल रहे थे लेकिन फिर भी वही कंपनी कार्य करती रही। कूड़ा निष्पादन का कार्य उसने किया नहीं। वर्तमान में कुछ आंशिक कूड़ा निष्पादन का कार्य निगम द्वारा किया जा रहा है और वह करोड़ों रूपया जो उस पर खर्च हो रहा है, वह गुरुग्राम की जनता का ही है। ऐसे में जनता को सफाई व्यवस्था के बारे में अत्याधिक चिंता है और वर्तमान में तो गुरुग्राम की जनता अपने स्वास्थ्य के प्रति भी आशंकित है।

गुरुग्राम प्रदेश का सबसे अधिक राजस्व देने वाला जिला है। लंबे समय तक यहां कष्ट निवारण समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री भी रहे। अनेक मंत्रियों के निवास गुरुग्राम में ही हैं और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का निवास भी गुरुग्राम में ही है। यहां के विधायक गुरुग्राम के ही निवासी हैं लेकिन किसी के मुंह से कोई शब्द इस बारे में निकल नहीं रहे। विधायक तो जब जनता सफाई से जूझ रही है तो उनके जले पर नमक छिडक़ने के लिए नई सडक़ों का निर्माण और नई सीवर लाइन डालने की बात बरसात शुरू होने के पश्चात कर रहे हैं।

वर्तमान में चुनाव का समय है। कांग्रेस दोबारा सत्ता में आने की बात कर रही है। आप पार्टी उससे ज्यादा बड़े दावे कर रही है। कमी जजपा और इनेलो में भी नहीं लेकिन यह कितना अचंभित करने वाली बात है कि किसी भी पार्टी की ओर से इस पर आवाज नहीं उठाई जा रही। सबने जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।

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