–नारनौल पुलिस से नूंह पुलिस के पास पहुंचा था जांच के लिए मामला
-पीड़ित पक्ष का आरोप…कथित वारदात की तिथि के दिन मोबाइल लोकेशन व सीसीटीवी कैमरा की हो जांच, सामने आ जाएगी सच्चाई
भारत सारथी/ कौशिक
नारनौल । महंत रामदास चेला जगरामदास की शिकायत पर महेंद्रगढ़ सिटी थाना में एक केस दर्ज हुआ था। शिकायत में जिन लोगों पर आरोप लगाए थे, उनके अलावा एक मीडिया कर्मी के पति को भी बाद में जांच के दौरान शामिल कर लिया। पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा तो मामले की जांच नूंह पुलिस को सौंप दी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर रही। इस वजह से अब यह मामला प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के दरबार में पहुंचा है। दो दिन पहले दी गई इस शिकायत को मंजूर करने का एसएमएस पीड़ित पक्ष के पास वीरवार को पहुंच गया।
महेंद्रगढ़ शहर में रेलवे स्टेशन के पास रहने वाले राजेश कुमार ने गृह मंत्री को शिकायत दी है। उसने बताया है कि उसकी पत्नी मीडिया में है। समय-समय पर स्थानीय प्रशासन व विशेषकर पुलिस विभाग की कारगुजारियों के विषय में रिपोटिंग करती रहती है। जिस कारण स्थानीय पुलिस के कुछ अधिकारी व्यक्तिगत रंजिश रखते है। मेरी पत्नी द्वारा पुलिस की लापरवाही को लेकर 20 मार्च को एक समाचार प्रकाशित किया। महंत रामदास चेला जगरामदास ने 23 मार्च को एक अपराधिक प्रकरण मुकदमा नंबर 83 थाना महेंद्रगढ़ शहर में दर्ज करवाया था। उसमें राजस्थान से अधिवक्ता वासुदेव व गांव मालड़ा सराय वासी धर्मवीर के विरूद्ध पैसे के लेने-देने के आरोप लगाए। इसके साथ-साथी इसी प्रकरण में सुरेंद्र व अजय निवासी गांव झूक को भी शक के आधार पर आरोपित नामित किया गया। शिकायतकर्ता महंत रामदास ने उसके विरूद्ध कोई किसी प्रकार का आरोप नहीं लगाया और ना ही मेरा नाम अपनी शिकायत में किसी भी रूप में वर्णित किया। इस प्रकरण में उसका कोई तालुक व वास्ता भी नहीं है लेकिन जब स्थानीय पुलिस ने इस मुकदमा की तफ्तीश में एफआईआर में नामित आरोपित अधिवक्ता वासुदेव को गिरफ्तार किया तो उसके पुलिस हिरासत में स्वीकारोक्त लिखते समय राजेश कुमार भी नाम दर्शा दिया गया।
इस तरह केस में मेरी पत्नी द्वारा 20 मार्च को पुलिस लापरवाही को लेकर छापे गए समाचार के 3 दिन बाद शिकायतकर्ता द्वारा मेरे खिलाफ शिकायत में नाम ना दिए जाने के बावजूद भी 23 मार्च को नाजायज तौर पर महेंद्रगढ़ पुलिस ने सहदोषी बना दिया गया। जबकि इस मुकदमें व उसमें नामित अभियुक्त वासुदेव व इसमें वर्णित दस्तावेजों, लेन-देन से कभी कोई वास्ता ही नहीं रहा। शिकायत में राजेश कुमार ने बताया है कि अभियुक्त वासुदेव या उसके परिवार से किसी प्रकार की घनिष्ठता या रिश्तेदारी का संबंध नहीं है। ना ही कभी विवाह-शादी, खुशी-गम या अन्य किसी आयोजन में आना जाना है। ना ही कभी उनसे कोई व्यापारिक या अन्य किसी प्रकार की वार्ताएं हुई है। ना ही कभी उनसे दूरभाष पर कोई संपर्क हुआ और ना कभी कोई तालुक व वास्ता रहा है। उपरोक्त परिस्थितियां होते हुए भी स्थानीय पुलिस ने अपनी रंजिश निकालते के लिए गैर कानूनी तरीके से अभियुक्त वासुदेव के पुलिस हिरासत में लिखी गई स्वीकारोक्ति में राजेश कुमार नाम बतौर अभियुक्त दर्ज कर दिया। इसके आधार पर उसे गिरफ्तार करके निर्दोष होते हुए भी करीब 18-19 दिन जेल में बंद करवा दिया। जमानत होने के बाद मेरी शिकायत पर इस मुदकमे का अनुंसंधान मेवात एसपी के सुपुर्द अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक रेवाड़ी के आदेश 20 अप्रैल 2023 से किया हुआ है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि उसकी निर्दोषता के संबंधित साक्ष्य पुलिस थाना महेंद्रगढ़ की सीसीटीवी कैमरा फुटेज 23 मार्च से 26 जून 2023 में है। जिन्हें चैक करने पर स्पष्ट तौर पर स्थानीय पुलिस द्वारा रचा गया षडयंत्र साबित होता है। इसके अलावा नामजद मोबाइल की सीडीआर व कस्टमर आवेदन फार्म/सीएएफ दिनांक एक जनवरी से 26 मार्च 2023 तक की डिटेल जांची जा सकती है। यहीं नहीं, जिस दिन की कथित घटना की तिथि आठ फरवरी 2023 बताई गई है, उस तिथि की टॉवर लोकेशन व दोनों की मोबाइल लोकेशन देखी जा सकती है बल्कि उस दिन अभियुक्त वासुदेव महेंद्रगढ़ शहर में ही हाजिर नहीं था। ना ही वह किसी भी प्रकार से संपर्क या व्यवहार में था। शिकायतकर्ता का आरोप है कि जब पुलिस ने गिरफ्तार कर जिला जेल में बंद किया तो अभियुक्त वासुदेव से मेरे जीवन की वहां पहली बार वार्तालाप हुई। उसने बताया कि वह आठ फरवरी को महेंद्रगढ़ शहर में ही नहीं हरियाणा में ही नहीं था। वो अपने वकालत के सिलसिला में जयपुर शहर में था। जिस के संबंध में मेरे पास सबूत है। वासुदेव जो महेंद्रगढ़ उक्त केस की तारीख पर आया तो उसने मुझे और सबूत दिए। पीड़ित पक्ष का कहना है कि इस मुकदमा में उसे पुलिस ने एक षडयंत्र के तहत झूठा फंसाया है। केस से निकाला जाए और झूठ बोलने वाले लोगों व फर्जी दस्तावेज बनाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।