विजिलेंस जांच में आरोपी अधिकारीयों पर कार्यवाही कौन करेगा ? माईकल सैनी (आप)

गुरुग्राम 4, जुलाई 2023 छोटी सी समस्या भी जबतल्क आपदा बनकर नहीं उभर जाती है तबतल्क प्रशासन की आंखे नहीं खुलती हैं क्योंकि आपदा में कहीं अधिक वय और आय के अवसर होते हैं इसलिए ही प्रशासनिक अधिकारी समस्याओं के प्रारंभिक समाधान में अपनी रुचि कम दिखाते अन्यथा बरसाती पानी की निकासी के लिए जिन ड्रेन्स और नालों की सफाई मार्च-अप्रैल महीने तक पूरी हो जानी चाहिए उन्हें लंबित नहीं रखा जाता परन्तु हर वर्ष यह जलभराव की समस्या शहरवासियों के लिए आपदा बनकर उभरती है और अधिकारियों के लिए अवसर बनकर , कोई इनसे सवाल आखिर क्यों नहीं पूछता है ?

आम आदमी पार्टी मीडिया प्रभारी माईकल सैनी ने कहा कि ठेकेदारों और भृष्ट अधिकारियों की जुगलबंदी से एक ओर जहां निगम के खजाने को चट कर लिया गया है वहीं दूसरी ओर शहरवासियों के द्वारा तमाम तरह के टैक्स भरने के बावजूद सहूलियतें निल/निल सन्नाटा हैं मगर अपनी उपलब्धियों का बखान करने वाली खट्टर सरकार यहां ज़ीरो टॉलरेंस की बात तो करती है मगर यह भी उसका चुनावी जुमला ही साबित हो रही है ।

माईकल सैनी ने भाजपा की खट्टर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भृस्टाचारी अधिकारी उसकी सहपरस्ती में ही फलफूल रहे हैं और बगैर किसी डर(भय) झिझक के निरंतर भृस्टाचार करने में व्यस्त हैं यह हाल तब है जब नगर निगम विजिलेंस और स्टेट विजिलेंस ने अनियमितताएं बरतने के मामलों में इन्हें आरोपी ठहराते हुए इनपर कानूनी कार्यवाही करने के लिए सिफारिशें की हैं मगर दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि अभी भी यह अधिकारी अपने पदों पर कार्यरत हैं जहां उन्हें निष्कासित कर जेल में डालने का कार्य किया जाना चाहिए था वहीं इनपर केवल विभागीय तबादले कर लीपापोती कर दी गई !

सैनी कहते हैं कि (सी&डी वेस्ट) घोटाला विजिलेंस द्वारा प्रमाणित घोटाला है जिसकी जांच में 48 करोड़ के घोटाला किए जाने की पुष्टि की गई परन्तु मजेदार बात यह रही कि जुमलेबाज भाजपा सरकार ने उनपर कोई कार्यवाही नहीं , ऐसे ही सड़क बनायी नहीं गई और बिल पास कराने वाला मामला रहा , अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों के हस्ताक्षर कर पेमेंट निकालने का मामला रहा हो या इकोग्रीन कंपनी का वेस्ट टू एनर्जी बनाए बगैर तय कीमत वसूलना हो वह भी सात सालों तक !

माईकल सैनी ने शहरी निकाय क्षेत्र की दुकानों के मालिकाना हक देने वाली स्वामित्व योजना की स्टेट विजिलेंस द्वारा जांच की मांग की थी जिसकी आड़ में अनेकों अनियमितताएं बरती गई जिसकी जांच अधूरे रिकॉर्ड पर आधारित होने के बावजूद नगर निगम विजिलेंस ने अपनी जांच में पाया कि अनियमितताएं तो बरती गई हैं यानी भृस्टाचार तो हुआ है मगर उस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और न ही जांच आगे बढ़ाई गई और ना ही स्टेट विजिलेंस को जांच के आदेश दिए , रही उन अधिकारीयों की बात तो वह अपने पदों पर आज भी आसीन हैं फिर क्यों न कोई संदेह करे कि सरकार की सहपरस्ती में ही यह सब घालमेल चल रहा है और ज़ीरो टॉलरेंस वाली बात केवल चुनावी जुमला है ? आखिरकार इन भृष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही करेगा कौंन और स्तिथियाँ स्पस्ट क्यों नहीं करती खट्टर सरकार ?

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