गुरुग्राम, 28 जून 2023 – अब एसजीटी यूनिवर्सिटी, गुरुग्राम में मधुमक्खी पालन किया जाएगा, जिससे रॉयल जेली के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। रॉयल जेली का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक दवाइयों और सौन्दर्य-प्रसाधन सामग्री को बनाने में किया जाता है। एसजीटी यूनिवर्सिटी ने बी नेचुरल फार्म के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) साइन किया। इस समझौते से विद्यार्थियों और किसानों को भी अधिक फायदा होगा क्योंकि रॉयल जेली की मार्केट में ज्यादा मांग होने के कारण इसकी कीमत 20,000 रुपए किलो है, जिसके उत्पादन से आर्थिक तौर पर किसानों को काफी फायदा होगा। इस समझौता ज्ञापन के दौरान बी नेचुरल फार्म के डायरेक्टर मनोज कुमार एवं ध्रुव अग्रवाल, एसजीटी यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर डॉ राकेश कुमार शर्मा, रजिस्ट्रार डॉ जोगिंदर यादव आदि मौजूद रहे।

प्रो चांसलर डॉ राकेश कुमार शर्मा ने कहा कि अब एसजीटी यूनिवर्सिटी में शहद का ही उत्पादन नहीं किया जाएगा बल्कि रॉयल जेली और मधुमक्खियों को बिना छुए शहद कैसे लिया जाए जैसे परिवर्तनात्मक सोच पर काम किया जाएगा और मधुमक्खियों का जहर जिससे दवाइयों में इस्तेमाल किया जाता है उसके उत्पादन पर भी कार्य होगा।

कृषि संकाय के डीन डॉ अशोक कुमार ने बताया कि मधुमक्खियाँ ज्यादा गर्मी सहन नहीं कर पाती जिसके कारण उनकी मृत्यु हो जाती है इसी वजह से किसान मधुमक्खियों को पहाड़ी इलाकों में ले जाते है। किसानों के फायदे के लिए मधुमक्खियाँ गर्मी ऋतु में रह सके, इसके लिए एसजीटी यूनिवर्सिटी शोध भी करेगी। इस तकनीक पर काम करने के लिए अशोक कुमार ने कृषि विभाग के संकाय सदस्यों की सराहना की।

कृषि संकाय से असिस्टेंट प्रोफेसर मीनाक्षी देवी ने कहा कि रानी मधुमक्खी भी रॉयल जेली के सेवन से 3 से 4 सालों तक जी सकती है जबकि एक आम मधुमक्खी की आयु 6 से 8 हफ्तों से ज्यादा नहीं होती। उन्होंने कहा कि इस समझौता ज्ञापन के साइन से विद्यार्थियों को भी स्टार्टअप में काफी मदद मिलेगी। विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ साथ एसजीटी यूनिवर्सिटी द्वारा प्रैक्टिकल काम भी करवाया जाता है ताकि विद्यार्थी नए आयाम स्थापित कर सकें।

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