भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज 1810 एकड़ जमीन के मामले में किसान बचाओ-जमीन बचाओ संघर्ष समिति की महापंचायत में अभूतपूर्व समर्थन मिला। स्मरण रहे कि पिछले 6 दिन से 6 किसान यहां आमरण अनशन पर बैठे थे और आज संघर्ष समिति ने आज महापंचायत आयोजित की थी। इस महापंचायत में इनको 6 दिन की आशा से अधिक समर्थन प्राप्त हुआ।

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी यहां आए और इनके संघर्ष में साथ देने का वादा किया। साथ ही यह कहा कि 2024 में यह सरकार बदलनी है। उनका कहना था कि जो पैसे यह दे रहे हैं, उतने में तो एक फ्लैट भी नहीं आता। यह सरकार किसान विरोधी है। हमें योजनाबद्ध तरीके से संघर्ष करना होगा। 

चर्चित किसान नेता राकेश टिकैत भी वहां पहुंचे और उनका कहना था कि जमीन हमारी है, हमारी ही रहेगी, यदि सरकार इस पर कब्जा करती है तो ट्रैक्टरों से उस दीवार को गिरा दिया जाएगा। यह संघर्ष केवल तुम्हारा ही नहीं बल्कि पूरी किसान बिरादरी का है और सभी किसान साथ रहेंगे। हमने तो दिल्ली तक लड़ाई की है और करते रहेंगे। 

रोहतक से चर्चित नेता नवीन जयहिंद भी यहां समर्थन देने आए और उनका भी कहना था कि वह उनके साथ हैं और जैसे पहरावर की जमीन सरकार से ली, वैसे ही यह जमीन लेकर रहेंगे या पूरा मुआवजा लेंगे। 

इसके अतिरिक्त मानेसर के सारी सरदारी, गुरुग्राम से किसान मोर्चा के अध्यक्ष संतोख सिंह और जजपा के बड़े नेता सूबे सिंह बोहरा एवं स्थानीय नेता सम्मिलित हुए।

सरकार की ओर से एडीसी मिलने पहुंचे :

एडीसी हितेश कुमार मीणा किसानों के काफी इंतजार के बाद मिलने पहुंचे और फिर वार्तालाप में निर्णय नहीं निकला। एडीसी साहब ने आश्वासन देते रहे और किसान लिखित में मांगते रहे। लिखित में देने को एडीसी तैयार नहीं। 

एचएसआइआइडीसी और मानेसर तहसील को किसानों ने लगाया ताला :

एडीसी के जाने के उपरांत किसान कुपित हुए और उन्होंने एचएसआइआइडीसी जहां वह धरने पर बैठे थे, उसके कार्यालय पर ताला लगाया और फिर मानेसर तहसील पर जाकर उसे भी ताला लगा दिया। 

अनशन पर बैठे किसान हालत बिगड़ी, अनशन समाप्त किया:

जब एचएसआइआइडीसी कार्यालय को किसान ताला लगा रहे थे तब अनशन पर बैठे एक किसान की हालत गंभीर हो गई और उसे अस्पताल ले जाना पड़ा। इस पर वहां की सरदारी ने बैठकर निर्णय लिया कि भूखे पेट लड़ाई नहीं होती, इसलिए अनशन समाप्त कर दीजिए। धरने पर बैठे किसान मान नहीं रहे थे और सरदारी ने दबाव बनाया तथा कहा कि पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और किसान नेता राकेश टिकैत भी कह गए हैं कि अनशन समाप्त करो और संघर्ष जारी रखो। इस पर अनशन पर बैठे किसानों ने अनशन समाप्त कर दिया।

विधायक, सांसद और सरकार पर खूब बरसे किसान :

वहां उपस्थित जनसमुदाय का कहना था कि दक्षिणी हरियाणा की वजह से ही यह सरकार बनी है और दक्षिणी हरियाणा के साथ ही यह पक्षपात किया जा रहा है। हम एक साल से धरने पर बैठे हैं, बहुत वार्ताएं भी हुईं लेकिन परिणाम शून्य, कोई समाधान नहीं निकला।

विधायक सत्यप्रकाश जरावता की भूमिका पर बहुत सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कई बार मुख्यमंत्री से बात भी हुई और विधायक ने यह प्रचारित किया कि फैसला हो गया है, जबकि उन्होंने कुछ किसानों को साथ मिलाकर यह खेल खेला। 

इसी प्रकार जजपा के नेता सूबे सिंह बोहरा का कहना था कि हमारे नेता ही कमजोर हैं। राव इंद्रजीत सिंह यदि एक बार उन्हें आंख दिखाएं तो सरकार अपने आप ही मान जाएगी। इनके पिता राव बिरेंद्र सिंह तो इंदिरा गांधी तक से टकरा गए थे। कुल मिलाकर कहा जाए तो वहां उपस्थित जनसमुदाय का कहना था कि अगली बार इस सरकार को जवाब दिया जाएगा।

सरकार को 9 तारीख तक का समय :

अब फैसला हुआ कि 9 तारीख को फिर पंचायत की जाएगी। यदि निर्णय नहीं हुआ तो फिर सरकार से सीधे-सीधे टकराने की योजनाएं बनाई जाएंगी।

लगता है कि सरकार के लिए गंभीर हो गया यह मामला :

सरकार ने जिस प्रकार हल्के में इस मामले को लिया था, लगता है यह अब उग्र रूप धारण कर लेगा और इसमें यहां विधायक सत्यप्रकाश जरावता से अत्याधिक नाराजगी थी। उनका कहना था कि पता नहीं यह कैसा विधायक है जो अपनी जनता की तो बिल्कुल सुनता ही नहीं। जनता की मर्जी के खिलाफ इसने मानेसर नगर निगम बनवाया। जनता की मर्जी के खिलाफ ही पटौदी नगर परिषद बनवाई और अब हमारे साथ बैठ राजनीति करता रहा। मुख्यमंत्री को पता नहीं क्या समझाता रहा कि मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद भी कोई निर्णय नहीं निकला। बातचीत का प्रयास यह रहा कि हमारे में फूट डलवाकर हमारे आंदोलन को समाप्त करा दें।

इसी प्रकार सांसद राव इंद्रजीत सिंह के बारे में भी उनका कहना था कि यदि वह बीच में रूचि लेते तो इसका समाधान हो सकता था। कुल मिलाकर वह दक्षिणी हरियाणा के सभी नेताओं से रुष्ट नजर आ रहे थे।

अब यह मामला मानेसर का न रहकर पूरे हरियाणा या यूं कहें कि देश का बनता जा रहा है तो शायद अनुचित न होगा, क्योंकि आज यहां पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, स्थापित किसान नेता राकेश टिकैत और हरियाणा में बेबाक बोले जाने वाले नवीन जयहिंद जैसे नेताओं का इन्हें समर्थन मिल गए। इससे किसानों में उत्साह बढ़ गया है। देखना यह होगा कि आने वाले समय में सरकार इसे संभाल पाती है या सरकार को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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