कांग्रेस की न कोई नीति न कोई सिद्धांत सत्ता पाना केवल और केवल सत्ता सुख है कांग्रेस की पहचान : प्रो.रामबिलास शर्मा

-कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद भी 6 दिन से अधिक समय बीत चुका है लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस नेताओं में जूतम पजार जारी

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस व अन्य पार्टियों से बिल्कुल अलग पार्टी है, भारतीय जनता पार्टी का उद्देश्य सत्ता सुख नहीं देश सेवा है जबकि कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों का उद्देश्य सत्ता सुख है। उक्त बातें हरियाणा भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने जारी एक बयान में कही। श्री शर्मा ने कहा कि कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद भी 6 दिन से अधिक समय बीत चुका है लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस नेताओं में जूतम पजार जारी है।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता में अनुशासन,आचरण तथा शरदा है,अनुशासन पार्टी में एक सिद्धांत है। डां. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से जगत प्रकाश नड्डा तक पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक एक दिशा में एक सिद्धांत में एक स्वर में चलने वाली पार्टी है। पार्टी के लिए सत्ता सुख कोई मायने नहीं रखता पार्टी के लिए सिद्धांत व देश सेवा मायने रखती है।

पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने 2014 में हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि हरियाणा प्रदेश में वे प्रदेश अध्यक्ष थे उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और पार्टी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त होने के बाद विधायक दल की मीटिंग में तत्कालीन पर्यवेक्षक के रुप में देश के उपराष्ट्रपति रहे वेंकैया नायडू पहुंचे थे। उन्होंने पार्टी के निर्णय से अवगत कराया कि मनोहरलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे और उन्होंने स्वयं खुशी खुशी से पार्टी के निर्णय को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम ऐलान किया था। भारतीय जनता पार्टी में छोटे से छोटा कार्यकर्ता बड़े से बड़े प्रधानमंत्री तक का कार्यकर्ता अपने आपको सत्ता सुख से दूर रहो कर देश सेवा व सिद्धांतों को महत्व देता है इसलिए भारतीय जनता पार्टी देश की सब पार्टियों से अलग है।

पूर्व शिक्षा मंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि गुजरात में पार्टी ने निर्णय लिया मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों को बदला जाए कहीं किसी ने पार्टी के आदेश का विरोध नहीं किया और पूरी मेहनत और लगन से कार्य करके दोबारा पार्टी को 156 सीटें दिलाने का कार्य किया। महाराष्ट्रमें 5 साल देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री रहे पार्टी ने निर्णय लिया कि वे प्रदेश के हालात अनुसार उप मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालेंगे। देवेंद्र फडणवीस ने पार्टी के निर्णय को एक मिनट में स्वीकार कर लिया। जबकि बड़े पद पर रहकर छोटे पद को स्वीकार नहीं करता देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री रहने के बाद उपमुख्यमंत्री की पद को लोगों की सेवा करने के अवसर को मानकर 1 मिनट में स्वीकार कर लिया और आज महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री रहकर लोगों की सेवा कर रहे हैं

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