उपायुक्त के नाम नगराधीश को ज्ञापन दिया

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं पर दर्ज एफआईआर के विरोध ने आज गति पकड़ ली है। आज जिला बार एसोसिएशन के सदस्य, बार प्रधान राजकुमार रामबास की अगुआई में नारे लगाते हुए जिला सचिवालय तक प्रदर्शन किया। आज दोपहर करीब 12 बजे सभी अधिवक्ता बार हाल में इक्कठे होकर, जिला सचिवालय तक जलूस के रूप में नारे लगाते हुए गए। उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण के विरूद्ध नारे लगाए। इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों अधिवक्ताओं ने हिस्सा लिया। अधिवक्ता जिलाधीश को ज्ञापन देने पहुँचे थे। जिलाधीश की तरफ से नगराधीश ने अधिवक्ताओं का ज्ञापन लिया।

जिला बार एसोसिएशन के प्रधान राजकुमार रामबास ने कहा कि अधिवक्ताओं के विरूद्ध दर्ज एफआाईआर को रद्द नहीं किया जाता है, तब तक संघर्ष जारी रहेगा तथा कोई न्यायिक कार्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह से तो कोई अधिवक्ता सुरक्षित नहीं रहेगा तथा कोई भी मुवकिल किसी भी अधिवक्ता के साथ अभद्रता तथा गाली गलौच व मारपीट करके चला जाएगा। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता बड़े अपराधियों के विरूद्ध भी वकालत करते हैं, फिर तो उन्हें कोई भी मारपीट करके या जान से मार कर चला जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक ने जानबूझ कर ऐसी एफआईआर लिखी है कि इसमें कितने ही अधिवक्ताओं को शामिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त एफआईआर पूरी बार एसोसिएशन के सदस्यों के विरूद्ध लिखी गई है।

एक अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ जिसके विरूद्ध एफआईआर दर्ज की गई है, ने बताया कि विरोधी मुवकिल संदीप यादव लम्बे समय से न्यायालय में भी उसके साथ बदतमीजी करता रहा है, जिस बारे दिनांक 20 मार्च को न्यायालय ने उसका आचरण भी लिखा था कि वह झगड़ा करने पर उतारू है। उसने बताया कि 26 अप्रेल को झगड़े के दिन भी वह भद्दी व गन्दी गालियाँ दे रहा था। उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक की पहले से ही मंशा थी कि अधिवक्ताओं के विरूद्ध झूठा मुकदमा दर्ज करना है। शायद जिला पुलिस पहले पुलिस अधीक्षक के विरोध का प्रतिकार लेना चाहती थी। श्री वशिष्ठ ने बताया कि उक्त मुवकिल संदीप यादव के विरूद्ध दर्ज करवाई गई एफआईआर में पुलिस ने जानबूझ कर धारा 504 आईपीसी अंकित नहीं की। इस बारे मनीष वशिष्ठ ने वकीलों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज होने से करीब 5 दिन पहले जाँच अधिकारी व थानाध्यक्ष को एफआईआर में धारा 504 आईपीसी दर्ज करने के लिए दरखास्त भी दी थी। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर किसी व्यक्ति का साशय अपमान करने की नीयत से गालियाँ देकर इतना प्रकोपित कर दे की सामने वाला व्यक्ति उस सार्वजनिक स्थल की शांति भंग करने पर मजबूर हो जाए तो वह धारा 504 आईपीसी का अपराध करता है। किन्तु पुलिस ने अधिवक्ताओं के विरूद्ध झूठा मुकदमा दर्ज करने की नीयत से उक्त संदीप यादव के विरूद्ध धारा 504 आईपीसी का मुकदमा दर्ज नहीं किया।

मनीष वशिष्ठ एडवोकेट ने कहा कि 17 मई को अधिवक्ताओं ने जरनल बॉडी की बैठक में विरोध का निर्णय लिया, तो पुलिस ने अपने इस कृत्य को छुपाने के लिए तथा आम जनता में अपने आपराधिक कृत्य को छुपाने के लिए तथा सहानुभूति पाने के लिए तथा अधिवक्ताओं की छवि को धूमिल करने के लिए बदनीयती से सीसीटीवी फुटेज को वायरल कर दिया। उन्होंने कहा कि यह पुलिस अधीक्षक की अपरिपक्कवता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई संवेदनशील मामला उनके पास आ जाए तो वह किस प्रकार कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि अभी एसपी को सामान्य कानून की भी पूरी तरह जानकारी नहीं है, उन्हें अभी प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

इस विरोध प्रदर्शन में जिला बार के सचिव बलजीत यादव, उपाध्यक्ष महावीर गुर्जर, सह सचिव भूप सिंह महायच, ऑडिटर अतुल सिंघल व बार पदाधिकारियों के अतिरिक्त सैकड़ों की संख्या में अधिवक्ता उपस्थित थे। 

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