-कमलेश भारतीय महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री के रूप में चल रही अघाड़ी सरकार को गिराने पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसले सुनाया है जो चौंकाने वाला है । यदि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा न दिया होता तो सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इसे बहाल करने पर विचार कर सकते थे लेकिन इस्तीफा ही दे दिया ! सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि न केवल राज्यपाल बल्कि स्पीकर भी गलत थे लेकिन हम सरकार बहाल नहीं कर सकते ! यदि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट से पहले पद न छोड़ा होता तो हम उन्हें बहाल कर सकते थे ! असल में तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का यह कहना है कि जब इस्तीफा ही मेरे पास आ गया तब मैं क्या करता ? यह कहता कि इस्तीफा वापस ले लो ! जबकि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करने के लिये बुलाना ही गलत था ! राज्यपाल समझे कि उद्धव ने समर्थन खो दिया , यह गलत सोच थी । राज्यपाल ने कानून के अनुसार अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया ! व्हिप नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला भी गलत था । उद्धव ठाकरे को बहुमत सिद्ध करने के लिये बुलाना भी गलत था । इसके बावजूद यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती ! इस्तीफा नहीं दिया होता तो सुप्रीम कोर्ट राहत दे सकता था ! इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मांग की है कि एकनाथ शिंदे की सरकार नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा दे ! यदि नैतिकता की बात होती तो आपकी सरकार गिराई ही क्यों होती ? इस सबके बीच यह बात साबित जरूर हो रही है कि महाराष्ट्र की सरकार गिराने में हर तरीका और हर हत्थकंडा इस्तेमाल किया गया ! संविधान को भी ताक पर रखा गया और राज्यपाल की जल्दबाजी से यह भी साबित हो रहा है कि ऊपर से अदृश्य शक्ति का कितना दबाब होगा उन पर कि तुरंत सरकार को चलता करो ! हरीश रावत की उत्तराखंड की सरकार को भी इसी तरह गिराने को कोशिश हुई थी जिसे उत्तराखंड कोर्ट ने बहाल कर दिया था और हरीश रावत कोर्ट के आदेश पर दोबारा मुख्यमंत्री बनाये गये थे । यदि उद्धव ठाकरे ने जल्दबाजी न की होती तो एक फिर तो सुप्रीम कोर्ट उन्हें फिर से मुख्यमंत्री पद दे ही देता ! अब क्या हो सकता है सिवाय पछतावे के ! इसके बाद भी सत्ताधारी दल की मंशा तो जगजाहिर हो ही रही है कि किस प्रकार येनकेन प्रकारेण महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार को गिराया गया ! हरियाणा के राज्यपाल तपासे की भूमिका भी याद आ रही है जब चौ देवीलाल ने उनके फैसले से नाराज होकर उनकी ठुड्ढी ही पकड़ ली थी ! अभी कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिये मतदान हुआ है और कल इसके परिणाम भी आयेंगे । किसी काॅर्टूनिस्ट ने पहले ही काॅर्टून बना दिया जिसमें चाणक्य अमित शाह से उनका सहयोगी पूछ रहा है कि रिसोर्ट बुक करवा दूं क्या ! यह हवा है रिसोर्ट राजनीति की ! यानी बचपन की छुप्पा छुप्पी का नया रूप ! ढूंढो ढूंढो रे साजना हमारे विधायक ! कहा गये ? कहां मिलेंगे ? यही खेल शुरू हो जायेगा। यदि बहुमत नहीं मिलता तो ! यहां संविधान क्या करे ? पहले से ही विधायकों की खरीद फरोख्त का इंतजाम होने लगा है । चुनाव परिणाम के साथ साथ यह खबरें भी आने लगती है कि कि पार्टी ने कहां अपने विधायकों को इकट्ठा करना शुरू किया है ! सीधे विधानसभा में ही शपथ लेने पहुंचते हैं विधायक ! जो अच्छा मैनेज कर गये वे सरकार बना गये ! जीत हार तो अब बहुमत से नहीं होती मैनेजमेंट से होती है ! कितनी सरकारों को गिरते देखा ! देखते देखते धराशायी हो जाती हैं सरकारें ! अभी कर्नाटक में कैसा नाटक देखने को मिलेगा , कह नहीं सकते लेकिन महाराष्ट्र की अनाड़ी सरकार की बिन आई मौत पर मातम तो मना ही सकते हैं कि नहीं ? दुष्यंत कुमार के शेर का आनंद लीजिये :बहुत मशहूर है आयें जरूर आप यहांये मुल्क देखने के लायक तो है , हसीन नहीं !-पूर्व उपाध्यक्ष , हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075 Post navigation बूथ स्तर की बैठकों में कार्यकर्ताओं का दिखाई दे रहा भारी उत्साह : निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता पहरावर की जमीन पर पहले बनेगा परशुराम मन्दिर फिर बनेगा शिक्षा का मन्दिर – जयहिन्द