दिग्विजय व प्रेमलता के आपसी तंज से बढ़ी दूरियां बीरेंद्र मिले बिप्लब देब से, गठबंधन पर चर्चा संभव भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी अपने दम पर चुनाव की बात कह चुके है अशोक कुमार कौशिक हरियाणा में राजनीतिक गतिविधियां अब बढ़ गई हैं। आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत जहां सरकार और विपक्ष ग्राउंड में आ चुके हैं वहीं नेताओं के यहां भी परिक्रमा शुरू हो गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ़ बीरेंद्र सिंह ने मंगलवार को नई दिल्ली में भाजपा के हरियाणा मामलों के प्रभारी बिप्लब कुमार देब से मुलाकात की। पूर्व डिप्टी स्पीकर और भाजपा महिला मोर्चा की प्रभारी संतोष यादव ने भी प्रदेश प्रभारी से मुलाकात की। बीरेंद्र सिंह जिस तरह से मुखर हो रहे हैं और डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं, उसे देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि मुलाकात के दौरान बीरेंद्र सिंह ने भाजपा और जजपा गठबंधन को लेकर भी चर्चा की होगी। बीरेंद्र सिंह शुरू से इस गठबंधन के खिलाफ रहे हैं। हालांकि गठबंधन का फैसला राष्ट्रीय स्तर पर हुआ। दोनों पार्टियों का गठबंधन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में उनकी सहमति से हुआ था। बीरेंद्र सिंह लगातार कई बार उचाना कलां से विधायक रहे हैं। उनकी पत्नी प्रेमलता भी यहां से विधायक रह चुकी हैं। वर्तमान में उचाना कलां से डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला विधायक हैं। दुष्यंत ने उचाना के लिए कई अहम विकास परियोजनाओं को मंजूरी दिलवाई है। दुष्यंत आगे भी इसी सीट से चुनाव लड़ने के मूड में हैं। अगर दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ती हैं तो ऐसी स्थिति में बीरेंद्र सिंह परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। माना जा रहा है कि यह भी एक बड़ा कारण है कि बीरेंद्र सिंह ने पिछले कुछ दिनों से दुष्यंत चौटाला के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला हुआ है। विकास के मुद्दे पर भी वे दुष्यंत को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं। इस लिहाज से बीरेंद्र सिंह की प्रभारी से हुई मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि बीरेंद्र सिंह ने प्रदेश प्रभारी को सलाह दी है कि वे भाजपा व जजपा के भविष्य के गठबंधन पर पुनर्विचार करें। बता दें कि हिसार से भाजपा सांसद एवं बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह भाजपा को सलाह दे चुके हैं कि भविष्य में भाजपा को जजपा के साथ बिना गठबंधन के चुनाव लड़ना चाहिए। हालांकि हिसार की बैठक में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री के समक्ष कार्यकर्ताओं का आह्वान किया है कि वह दसों के 10 सीट पर अपना ध्यान केंद्रित करें। प्रदेश अध्यक्ष के बयान के बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि आने वाला चुनाव भाजपा अपने दम पर लड़ेगी। बीरेंद्र सिंह भाजपा में अपने परिवार को मिलने वाले टिकटों को भी परिवारवाद से अपवाद के रूप में मानते हैं। उनका कहना है कि हमारा परिवार राजनीति में अलग है। इसलिए यदि उनके बेटे, उनकी पत्नी को भाजपा के टिकट मिलते हैं तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। गठबंधन पर बीरेंद्र सिंह व दुष्यंत चौटाला के साथ ही दिग्विजय के बीच भी कई बार तनातनी हो चुकी है। जिस प्रकार से चौधरी बीरेंद्र सिंह व अजय सिंह चौटाला परिवार में जुबानी जंग हो रही है, उससे यही लगता है कि उचाना की लड़ाई कहीं जजपा-भजपा के बीच की खाई को और नहीं बढ़ा दे। दोनों ही परिवार उचाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं। यदि भाजपा-जजपा चुनावी गठबंधन के तहत लड़ेंगे तो फिर उचाना विधानसभा क्षेत्र से कौन चुनाव लड़ेगा, यह दोनों ही परिवारों के लिए बड़ा सवाल होता जा रहा है। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की तरफ से चौधरी बीरेंद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रेमलता और जजपा की तरफ से दुष्यंत चौटाला ने चुनाव लड़ा था। इसमें दुष्यंत चौटाला ने 47,452 वोटों से प्रेमलता को हरा दिया था। इसके बाद जजपा ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया और दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री बन गए। पिछले वर्ष हुए निकाय चुनाव से पहले चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा था कि अब भाजपा को बैसाखियों की जरूरत नहीं है। उस समय भी इस बयान पर काफी हो-हल्ला मचा था। इसके बाद अजय सिंह चौटाला ने कहा था कि बीरेंद्र सिंह को ऐसी बात नहीं करनी चाहिए, वह मात्र भाजपा के सदस्य हैं। अब फिर 25 मार्च को बीरेंद्र सिंह ने अपने जन्मदिन पर उचाना में आयोजित जनसभा में कहा कि दुष्यंत चौटाला ने उचाना हलके में कोई विकास कार्य नहीं करवाए हैं, जो भी विकास कार्य हुए हैं, वह प्रेमलता के कार्यकाल में हुए हैं। दुष्यंत के पास पांच कार्य भी गिनवाने के लिए नहीं हैं जबकि वह 100 कार्य गिनवा सकते हैं। इसके बाद पिछले दिनों अलेवा में आए दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यदि बीरेंद्र सिंह 100 काम गिनवाते हैं तो वह 200 काम गिनवा सकते हैं। यह जनता जानती है किसने कितने काम करवाए हैं। पांच दिन पहले हिसार में एक कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा कि मुझे लगा कि प्रेमलता पढ़ी-लिखी होंगी, लेकिन वह नहीं हैं। उनको उचाना विधानसभा क्षेत्र में दुष्यंत चौटाला द्वारा करवाए गए कामों की सूची मेल, फोन या किसी भी तरीके से भेज दी जाएगी। दिग्विजय सिंह चौटाला ने बृजेंद्र सिंह को गुमशुदा सांसद भी बताया। अब इसके जवाब में सोमवार को उचाना में प्रेमलता ने कहा कि वह सोचती थीं कि दिग्विजय ज्यादा पढ़ा लिखा होगा, लेकिन वह तो 12वीं पास है। उसमें काफी बचपना है। उसे अपने पिता के उम्र के लोगों को चैलेंज नहीं देना चाहिए। 2009 में उचाना में की थी चौटाला परिवार ने एंट्री 2009 में हुए विधानसभा चुनाव उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र में चौटाला परिवार ने एंट्री की थी। यहां 2009 में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने चुनाव लड़ा था और उन्होंने चौधरी बीरेंद्र सिंह को 631 वोटों से हराया था। इसके बाद 2014 में यहां से इनेलो की तरफ से दुष्यंत चौटाला ने चुनाव लड़ा। उनको प्रेमलता ने 7,480 वोटों से हरा दिया था। 2019 में फिर मुकाबला प्रेमलता और दुष्यंत चौटाला के बीच हुआ। इस बार दुष्यंत चौटाला जजपा की तरफ से लड़े। उन्होंने प्रेमलता को 47,452 वोटों से हराया था। गठबंधन पर कितना होगा बयानों का असर जजपा और चौधरी बीरेंद्र सिंह परिवार के बीच चल रही जुबानी जंग उचाना विधानसभा क्षेत्र तक सीमित रहेगी या फिर इसका असर गठबंधन पर पड़ेगा, यह तो आने वाले समय ही बताएगा। राजनीतिक पंडितों की मानें तो यह लड़ाई केवल उचाना विधानसभा चुनाव जीतने तक ही रहेगी। यदि भाजपा-जजपा गठबंधन में चुनाव लड़ेगी तो उचाना विधानसभा क्षेत्र की सीट अपने-अपने खाते में लाने के लिए दोनों ही परिवार पूरा जोर लगाएंगे और हो सकता है कि यह फैसला भाजपा केंद्रीय नेतृत्व को करना पड़े। यदि दोनों ही दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे तो फिर आसानी से इस सीट पर चौधरी बीरेंद्र सिंह परिवार के सदस्य चुनाव लड़ेंगे और जजपा की तरफ से भी दुष्यंत चौटाला इसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। Post navigation मुख्यमंत्री ने मुढ्ढे व खाट पर बैठकर जन संवाद करके जीता जनता का दिल मुख्यमंत्री ने जारी किया भगवान परशुराम के नाम पर डाक टिकट