बिना अदालत के आदेश संसद को भेजे सदस्यता रद्द करना भाजपा की चाल

गुड़गांव 31 मार्च – हरियाणा के पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल ने शुक्रवार को गुरुग्राम में राहुल गांधी को सूरत की अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के मुद्दे पर प्रेसवार्ता की। इस मौके पर मुख्य रुप से वरिष्ठ कांग्रेस नेता विरेन्द्र यादव,पंकज डावर, राव कमलबीर,शमसुदीन,गजे सिंह कबलाना, मुकेश शर्मा, कुलदीप कटारिया,अशोक भास्कर,जगन डागर,महाराज सिंह,निशित कटारिया,भारत मदान,शेखर गुर्जर, जय सिंह हुड्डा,कुलदीप सिंह समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

इस मौके पर श्री दलाल ने कहा कि राहुल गांधी की पद यात्रा से बढ़ते जनाधार को लेकर भारतीय जनता पार्टी में डर बैठ गया है। राहुल गांधी की लोकप्रियता से भाजपा घबराने लगी है और उल्टे सीधे कदम उठाकर कांग्रेस की आवाज दबाने में लगी है। यही कारण है कि भाजपा ने द्वेष भावना में आकर राहुल गांधी को अदालत के जरिए सजा कराई, साथ ही अदालत के आदेश संसद तक पहुंचने से पहले ही उनकी सदस्यता रद्द करा दी। सदस्यता रद्द होने के साथ ही राहुल गांधी को सरकारी आवास खाली करने का नोटिस भी भेज दिया। यह सब जितनी जल्दी हुआ उससे साफ पता चलता है कि इस मामले में भाजपा ने किस तरह का कदम उठाया है।

पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल ने कहा कि कहने को तो भाजपा अमृत महोत्सव मना रही है, लेकिन अमृत काल के इस अवसर पर अमृत तो खुद पी रही है और विपक्ष और जनता को जहर दे रही है, ताकि उनके खिलाफ कोई आवाज उठाने वाला न रहे।

भाजपा और अडानी के रिश्तों पर कोई सवाल न कर सके। पूर्व मंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि द्वेष भावना से ही यह मामला गुजरात में चलाया जा रहा है। इस मामले को दूसरे राज्य में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। पूर्व मंत्री ने माना कि हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस में अंदरूनी कलह है जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ रहा है। इसी वजह से वह इस कलह को मिटाकर एक साथ काम करने में लगे हुए हैं। राहुल गांधी को साजिश के तहत फंसाया जा रहा है क्योंकि भाजपा सरकार राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता से डरने लगी है। तभी उन्हें सरकारी आवास खाली करने का नोटिस दिया है।

आज हर कांग्रेसी राहुल गांधी को अपना आवास देने को तैयार है। पूरा देश भाजपा के इस तमाशे को देख रहा है। पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को आगे आकर यह बताना होगा कि आखिर उनके और अडानी के बीच क्या रिश्ते हैं। ऐसा क्यों होता है जहां भी प्रधानमंत्री के बाद अडानी जाते हैं वहां के सभी कांट्रेक्ट अडानी को मिल जाते हैं।