बोले : सरसों खरीद में किसान को हो रहा ₹1500/क्विंटल का नुकसान! 
पूछा : प्रदेश के 24 हज़ार किसानों को 3 साल से क्यों नहीं मिला बर्बाद फसलों के लिए फसल बीमा योजना का मुआवज़ा

चंडीगढ़, 19 मार्च 2023 – कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि प्रदेश में पिछले तीन दिनों में हिसार, नारनौल, दादरी जिलों में हुई ओलावृष्टि तथा कैथल, जींद, कुरुक्षेत्र, अंबाला व लगभग सभी अन्य जिलों में बारिश और तेज आंधी से गेहूं, सरसों, सब्जियों तथा अन्य फसलों में भारी नुकसान हुआ है, किसानों की छह माह की मेहनत पर पानी फिर गया है। किसानों को हुए नुक़सान के आकलन के लिए तत्काल विशेष गिरदावरी कराने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने प्रति एकड़ 25 हज़ार रुपये का मुआवज़ा देने की मांग की है।

सुरजेवाला ने कहा कि मंडियों में किसान की फसल पड़ी है, लेकिन मंडियों में फसल के रखरखाव प्रबंधन और खरीद के कोई इंतजाम नहीं हैं। सरकार द्वारा 15 मार्च से सरसों की फसल की MSP पर खरीद के दावे भी कागजी और झूठे साबित हुए। प्रदेश की अधिकतर मंडियों में सरकार फसलों की खरीद नहीं कर रही है। फसल खरीद के लिए तैयार किए गए मानकों से किसान हताश है। सरकारी एजेंसियां 8% से अधिक नमी वाली सरसों फसल को नहीं खरीद रही है। एजेंसियां सरसों की फसल में 38% तेल अनिवार्यता की शर्त पर ही खरीद कर रही हैं। मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकृत किसानों की ही फसलों की खरीद हो रही है। इन सभी शर्तों से निराश किसान अपनी फसलों को प्राइवेट एजेंसियों को ओने-पौने दामों पर बेचने पर मजबूर है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट एजेंसियां किसानों से ₹3800 से ₹4500 प्रति क्विंटल तक सरसों फसल खरीद कर रही हैं, जिससे किसानों को सीधा  ₹1500 प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है। अपनी फसल बेचने के लिए किसानों को हर सीज़न में निरंतर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि गेहूं खरीद का समय नज़दीक है, बावजूद इसके किसानों को फसल पंजीकरण के नाम पर बार-बार तंग किया जाना बेहद निंदनीय है। प्रदेश में 10 लाख एकड़ फसल का ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण अभी भी बाकी है।

प्रदेश के आलू उत्पादक किसान भी सरकार की बेरुखी से बर्बादी की कगार पर हैं। किसानों को आलू की फसल का भाव ₹300 से ₹400 प्रति क्विंटल मिल रहा है। बेबस किसान अपनी फसल को सड़कों पर डालने को मजबूर है। क्योंकि किसानों के पास भंडारण और रखरखाव की उचित प्रबंधन व्यवस्था नहीं है, इसलिए अपनी फसल को कौड़ियों के भाव बेच रहा है।

सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि खट्टर-दुष्यंत सरकार एक बार फिर तीन काले कृषि कानूनों को लाने की साजिश रच रही है। जिसके लिए मंडी व्यवस्था के खात्मे के प्रयास हो रहे हैं। प्रदेश सरकार ने फसल खरीद पर आढ़तियों की आढ़त को 2.50% से घटाकर 1.25% यानी आधा कर दिया है जो आढ़तियों के हितों पर सरासर कुठाराघात है। इसके अलावा सरकार ने मंडियों में ‘एक दुकान एक लाइसेंस’ की प्रणाली शुरू की है। पहले प्रदेश के आढ़तियों को एक बड़ी दुकान पर दो लाइसेंस मिलते थे। जिससे आढ़ती फसल खरीद के अलावा छोटे-मोटे दूसरे व्यापार भी कर सकते थे। सरकार आढ़तियों को पिछला बकाया भी नहीं दे रही है। सत्ता में मदमस्त प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री आए दिन आढ़ती और किसान विरोधी गैर जिम्मेदाराना बयान देकर उनके जले पर नमक छिड़क रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार यह सब फैसले मौजूदा खरीद प्रणाली को खत्म करने के लिए कर रही है, ताकि एक बार फिर तीन काले कृषि कानूनों को लागू किया जा सके।

रणदीप ने कहा कि हर साल किसान लाखों टन खाद खरीदता है। कांग्रेस के राज में डीएपी का जो कट्टा 1075 रु. में आता था आज वही कट्टा भाजपा सरकार ने लगभग 1400 रु. तक कर दिया। इसके अतिरिक्त यूरिया के कट्टे का वजन 50 किलो से घटाकर 45 किलो करते हुए रेट में बढ़ोत्तरी कर दी व इसके साथ ही बीज, बिजली, सिंचाई के साधनों के रेट बढ़ा दिए।

प्रदेश के किसान, मजदूर और आढ़तियों की ओर से मांग करते बुरे सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा जजपा सरकार तुरंत स्पेशल गिरदावरी कर पीड़ित किसानों को 25,000 रुपए प्रति एकड़ की आर्थिक राहत प्रदान करे। सरसों और अन्य फसलों की खरीद MSP पर सुनिश्चित करे और जिन किसानों की फसल खरीद कम रेट पर हुई है, उन्हें आर्थिक सहायता दे। प्रदेश के 24,005 किसानों को बर्बाद फसल का 3 साल से फसल बीमा योजना की राशि का तुरंत भुगतान हो। प्रदेश के आढ़तियों की मांगों को तुरंत माना जाए ताकि मंडी प्रणाली दुरुस्त हो और फसल खरीद प्रणाली सुनिश्चित हो। केंद्र सरकार तुरंत लागू करें MSP गारंटी कानून, ताकि किसान दोबारा से सड़कों पर आंदोलन करने पर ना हो मजबूर।

error: Content is protected !!