एक सिख तो दूजा मुसलमान लेकिन ये ख्वाहिश रह गई अधूरी
दोनों भाई हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के गोमला गांव के मूलनिवासी
बंटवारे के समय अपने दिवंगत पिता के दोस्त करीम बख्श के साथ

भारत सारथी/ कौशिक

1947 में विभाजन के दौरान एक दूसरे से अलग होने के 75 साल बाद दो सगे भाइयों के परिवार (एक सिख एक मुस्लिम) करतारपुर कॉरिडोर में मिले। गीत गाते हुए और एक-दूसरे पर फूलों की बारिश करते हुए मिले एक कुनबे के इन दो परिवारों के भावनात्मक पुनर्मिलन के दृश्य लोगों की आंखों में आंसू आ गए। 75 साल बाद दोनों परिवारों का यह मिलन सोशल मीडिया के माध्यम से संभव हुआ।

75 साल बाद करतारपुर कॉरिडोर में मिले एक कुनबे के दो परिवार

गुरदेव सिंह और दया सिंह के परिवार गुरुवार (4 मार्च 2023) को करतारपुर कॉरिडोर में पुनर्मिलन के लिए पहुंचे। गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर साहिब में परिवार के पुनर्मिलन के भावनात्मक दृश्य सामने आए, जहां उन्होंने अपनी खुशी का इजहार करने के लिए गाने गाए और एक-दूसरे पर फूल बरसाए। दोनों भाई हरियाणा के रहने वाले थे और बंटवारे के समय तक अपने दिवंगत पिता के दोस्त करीम बख्श के साथ महेंद्रगढ़ जिले के गोमला गांव में रहते थे।

विभाजन के समय एक भाई चला गया पाकिस्तान जबकि दूसरा भारत में ही रहा

1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दौरान बड़ा भाई गुरदेव सिंह करीम बख्श के साथ पाकिस्तान चला गया जबकि छोटा दया सिंह अपने मामा के साथ हरियाणा में रहा। पाकिस्तान पहुंचने के बाद, बख्श लाहौर से लगभग 200 किलोमीटर दूर पंजाब प्रांत के झांग जिले में चले गए और गुरदेव सिंह की जगह उन्हें एक मुस्लिम नाम गुलाम मुहम्मद दिया गया। गुरदेव सिंह का कुछ साल पहले निधन हो गया था। गुरदेव के पुत्र मुहम्मद शरीफ ने मीडिया को बताया कि सालों से उनके पिता ने अपने भाई दया सिंह के ठिकाने का पता लगाने के लिए भारत सरकार को पत्र लिखे थे।

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