रणदीप सिंह सुरजेवाला, सांसद व महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान…

खट्टर सरकार हरियाणा के हितों का अडानी के सामने समर्पण करके मोदी जी के मित्र उद्योगपति को ‘‘आपराधिक ढंग से ग़ैरक़ानूनी लाभ’’ देना चाहती है।

2.94 रुपये प्रति यूनिट की निश्चित कीमत पर बिजली की खरीद के लिए 25 साल के लिए हस्ताक्षरित ‘‘बिजली खरीद समझौते’’ (पीपीए) के उल्लंघन में सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का नग्न एवं निर्लज्ज मामला सामने आया है।

§ 2008 में, हरियाणा सरकार और अडानी ने 1424 मेगावाट बिजली की खरीद के लिए ख़रीद समझौते पर हस्ताक्षर किए। 25 साल के लिए ₹2.94/यूनिट की दर पर।

§ हरियाणा में भाजपा सरकार के साथ, अडानी ने अतिरिक्त क़ीमत की मांग की। प्रति यूनिट कीमत (पीपीए के विपरीत) बढ़ाने के लिए कुतर्क ये कि आयातित कोयले की कीमत बढ़ गई है।
मामला सुप्रीम कोर्ट में जाता है।

§ 11 अप्रैल, 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त क़ीमत के लिए अडानी की याचिका खारिज कर दी, आयातित कोयले के लिए प्रति यूनिट कीमत की एवज़ में।
§ दिसंबर 2020 के बाद, अडानी पीपीए के अनुसार हरियाणा को 1424 मेगावाट बिजली की आपूर्ति में चूक करता है।
§ कमी को पूरा करने के लिए हरियाणा को ₹11.55/यूनिट की दर से महँगी बिजली खरीदनी पड़ती है।
§ खट्टर सरकार अडानी से महंगी बिजली की लागत वसूलने में जानबूझकर विफल।

§ खट्टर सरकार 1424 मेगावाट बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित कराने में विफल। अडानी द्वारा हरियाणा को ₹2.94/यूनिट के करार के बावजूद।
§ खट्टर सरकार अब 1096 मेगावाट बिजली खरीदने के लिए अडानी के साथ एक पूरक पीपीए पर हस्ताक्षर करना चाहती है। संशोधित ₹3.50/यूनिट पर।

खट्टर सरकार से हमारे सीधे सवाल-

पूरक पीपीए पर हस्ताक्षर करके खट्टर सरकार 25 साल के पीपीए के तहत अडानी को 1424 मेगावाट की आपूर्ति ₹2.94/यूनिट पर बिजली देने की ज़िम्मेदारी से मुक्त कैसे कर सकती है?

एक बार जब सुप्रीम कोर्ट ने पीपीए के तहत उच्च कीमत के लिए अडानी की याचिका को खारिज कर दिया था, तो खट्टर सरकार ₹3.50/यूनिट की उच्च कीमत कैसे व किस आधार पर दे सकती है?

खट्टर सरकार हरियाणा के आर्थिक हितों को कैसे नुकसान पहुंचा सकती है और 1096MW के लिए सहमत होकर 25 साल के लिए 1424MW की आपूर्ति के लिए मौजूदा अदानी PPA का उल्लंघन कैसे कर सकती है?

खट्टर सरकार 25 साल के लिए ₹2.94/यूनिट के अनुबंधित मूल्य के बजाय अडानी को ₹3.50/यूनिट की उच्च कीमत पर कैसे सहमत हो सकती है?

1096MW की दैनिक खरीद के लिए अनुबंधित बिजली की कीमत ₹2.84/यूनिट से ₹3.50/यूनिट तक बढ़ाकर हरियाणा द्वारा अडानी को प्रति वर्ष कितने हज़ार CR का अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा और क्यों?

भाजपा सरकार किस आधार और अधिकार से हरियाणा के हितों को ताक पर रखकर अडानी के साथ पीपीए में एकतरफा बदलाव कर सकती है?

बिजली की कीमत में ग़ैरक़ानूनी वृद्धि से अडानी को अतिरिक्त भुगतान के माध्यम से सरकारी खजाने को हजारों करोड़ के नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है। समझौता ₹2.94 का तो भुगतान ₹3.50/यूनिट क्यों व कैसे?

हरियाणा को करार के बावजूद 328 मेगावाट बिजली की कम आपूर्ति के लिए कौन जिम्मेदार है। अडानी द्वारा हरियाणा को करार के तहत पूरी बिजली की आपूर्ति क्यों नहीं?

हरियाणा सरकार के साथ पीपीए पर हस्ताक्षर करने से पहले ही 1 मार्च, 2023 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में अडानी ने कैसे एकतरफ़ा फाइलिंग किस हैसियत व अधिकार से दायर कर दी, जबकि इस पर हस्ताक्षर होना अभी बाकी है?
क्या अडानी द्वारा अपने डूबते स्टॉक की कीमतों को स्थिर करने के लिए एकतरफ़ा सूचना दाखिल करना गलत व आपराधिक नहीं है?

अडानी के साथ 25 साल से चले आ रहे अनुबंध (पीपीए) का उल्लंघन कर जनता के पैसे की इस बेशर्म लूट को क्यों और किसकी शह पर होने दिया जा रहा है?

हरियाणा का सत्ताधीश ‘मौन’ क्यों है?

प्रदेश में बोलने और भाजपा सरकार व पूँजीपति मित्रों के अवैध गठजोड़ को उजागर करने का समय!

हरियाणा के लिए आवाज उठाने का समय!

क्या खट्टर साहेब मोदी के मित्र पूँजीपति के खिलाफ कठोर क़ानूनी कार्रवाई करेंगे या अडानी के सामने फिर से झुकते हुए हरियाणा के हितों के साथ आत्मसमर्पण कर देंगे ?
हरियाणा, जवाब माँगता है खट्टर साहेब!
जवाब दो, हिसाब दो !
नहीं हिम्मत तो कुर्सी त्याग दो !!

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