गुरुग्राम के भाजपा विधायक के दफ्तर के सामने ही सरकार को चूना लगा रहे हैं भाजपाई नेता।

गुरुग्राम – गुरुग्राम नगर निगम को बने हुए करीब 15 साल से भी ज्यादा का समय बीत गया है। लेकिन अभी भी निगम क्षेत्र में बैठे लापरवाह अधिकारी निगम क्षेत्र की आय को बढ़ाने की बजाय सरकारी खजाने को जमकर चुना लगवा रहे हैं, जिसका जीता जागता नजारा गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक सुधीर सिंगला के सिविल लाइन स्थित दफ्तर के सामने देखने में नजर आ रहा है। जहां एक तरफ शमां टूरिस्ट कंपलेक्स बना हुआ है, वहीं दूसरी तरफ नगर निगम का पुराना कार्यालय है। जहां पर निगम कार्यालय के दोनों तरफ सरकारी यूनीपोल लगे हुए हैं। जिन पर निगम की तरफ से पेड़ विज्ञापन लगाए जाते हैं। लेकिन काफी समय से देखने में आ रहा है कि इन सरकारी जगहों पर भाजपा सरकार के चहेते अपनी दबंगी को प्रदर्शित करने के लिए निगम को राजस्व का घाटा पहुंचा कर जमकर चूना लगा रहे हैं।

जिसके लिए आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार डागर ने भी सीएम के पुनः ओएसडी बने जवाहर यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग उठाई थी, वही अब भाजपा के नेता रमन मलिक के भी होल्डिंग्स नजर आ रहे हैं। जिन पर भी ना तो निगम अधिकारी की ही नजर पहुंच रही है और ना ही भाजपा के विधायक सुधीर सिंगला की नजर पहुंच रही है। और ना ही उनके आसपास घूमने वाले उनके चहेतों को भी नजर नहीं आ रहे हैं कि उनकी पार्टी के ही नेता सरेआम सरकारी संपत्तियों का दुरुपयोग कर सरकार को चूना लगा रहे हैं। हालांकि निगम क्षेत्र में लगे अवैध विज्ञापनों के होल्डिंग्स के बारे में दर्जनों शिकायतें दफ्तरों की धूल चाट रही है। जबकि निगम अधिकारी आए दिन सदर बाजार में अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत छोटे दुकानदारों का माल उठाकर जबरदस्ती अपनी गाड़ियों में भरकर ले जाते हैं।

मगर बड़े-बड़े मगरमच्छों पर कार्रवाई करने से कतराते। वहीं निगम सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि नगर निगम गुरुग्राम का प्राइवेट कंपनियों पर विज्ञापन के तौर पर करीब 500 करोड़ रुपए बकाया है, जिनका अधिकतर मामले न्यायालय में भी चल रहे है। निगम के एक उच्च अधिकारी ने नाम ने लिखने की शर्त पर बताया कि हम कार्रवाई तो करना चाहते हैं लेकिन कुछ रस निगम पार्षदों की वजह से हमें चुप रहना पड़ रहा है। वही निगम कार्यालय में आम चर्चा है कि जो पहले निगम मैं विज्ञापन समिति के चेयरमैन बने हुए थे पार्षद उन्होंने भी अधिकारियों और प्राइवेट कंपनियों से मिलजुल कर करोड़ों के घपले विज्ञापन में किए हैं। जिनकी जांच की जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाए।

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